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सनातन का सामान्य धर्म- : जो भक्त नहीं वह सनातनी नहीं- शंकराचार्य

धार्मिक व्यक्ति का भक्त होना अनिवार्य है : शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती

● 'जो भक्त नहीं, वो सनातनी नहीं'

● 'एकजुट होकर पूजा करना हमारी एकता है'

● शंकराचार्य जी के दर्शन को उमड़े श्रद्धालु

मुम्बई ( महाराष्ट्र)- प्रत्येक सनातनी को भगवान का भक्त होना ही चाहिए। भक्त होना ऐच्छिक नहीं है, धार्मिक व्यक्ति का भक्त होना अनिवार्य है। जो भक्त नहीं है, वह सनातनी नहीं है। यह बात ज्योतिष्पीठाधीश्वर उत्तराम्नाय शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने भक्ति के नौ प्रकारों की व्याख्या करते हुए कही। यहां मुंबई में बोरीवली स्थित कोराकेंद्र मैदान पर चल रहे अपने चातुर्मास्य व्रत महामहोत्सव के दौरान अपनी अमृतवाणी में उन्होंने 'नवधा भक्ति' पर विस्तृत प्रकाश डाला।

उन्होंने कहा कि भक्ति के लिए धनवान होना आवश्यक नहीं है। भगवान की पूजा अपने सामर्थ्य के अनुसार करनी चाहिए। भगवान संसाधनों को नहीं देखते। भगवान आपके भक्तिभाव से प्रसन्न होते हैं। पूजा करने का जो भी सामर्थ्य हो तो हमें उसके अनुसार पूजा करनी चाहिए। सामर्थ्य न हो तो दूसरे से करवा लें। वह भी न कर सकें तो कोई पूजा कर रहा है तो उसमें कुछ लगा दें। इतना भी न कर पाएं तो दूसरे को पूजा करते हुए देख भर लें, तब भी पूजा का पूरा फल प्राप्त होता है। ऐसा शास्त्रों में विधान है। भगवान अमीर-गरीब नहीं देखते। उनके पास तो आशीर्वाद का भंडार है। वे जब भक्ति और पूजा का फल देते हैं तो सबको समान रूप से बांटते हैं। लेकिन जिसके पूजा करने से अन्य लोगों को भी लाभ मिलता है, उसको दूसरों के लाभ के बराबर अतिरिक्त लाभ भी प्राप्त होता है।

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज ने कहा कि जहां कहीं भी पूरे भक्तिभाव और श्रद्धा के साथ भगवान की पूजा-अर्चना होती है, वहां हम सभी सनातनी एक होकर भगवान की आराधना करते हैं। यह हमारी एकता है। कोई एक व्यक्ति भी पूजा करता है तो बाकी सारे श्रद्धालु उस पूजा को श्रद्धाभाव देखते हैं। उन्हें भी पूरी पूजा का फल मिल जाता है। यही हिंदू धर्म की एकता है।

महाराजश्री के पावन सानिध्य में बोरीवली में चल रहे चातुर्मास्य महामहोत्सव में 33 कोटी गौ-प्रतिष्ठा महायज्ञ, रुद्राभिषेक, प्रवचन, पादुका पूजन, भगवान चंद्रमौलेश्वर के दर्शन, महायज्ञ की परिक्रमा आदि के लिए श्रद्धालुओं का तातां लगा हुआ है। ज्योतिष पीठ के मीडिया प्रभारी अशोक साहू और उद्धोषक संजय मिश्रा ने महाराजश्री का पादुका पूजन किया।

पादुका पूजन करते अशोक साहू व संजय मिश्र

इस अवसर पर अशोक साहू ने कहा कि भगवान की सेवा से सचमुच चमत्कार होते हैं, उन्हें स्वयं इसका अनुभव हुआ है। बीमारी में डॉक्टर के जवाब देने के बाद शंकराचार्य के आशीर्वाद से आज उन्हें नया जीवन प्राप्त हुआ है। चातुर्मास्य महामहोत्सव की भव्य सफलता को भी उन्होंने शंकराचार्य का त्रिनेत्र खुलने का अद्भुत आशीर्वाद ही बताया। महाराजश्री ने चातुर्मास्य महामहोत्सव में प्रतिदिन हो रही सफलताओं के लिए प्रमुख संयोजक राजकुमार जाजू, अभिषेक जाजू, एम.एल.सोनी, जयकांत शुक्ला व आयोजन समिति के सभी सहयोगियों की प्रशंसा की।

बता दें कि, जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी का चातुर्मास्य महामहोत्सव मुंबई में 7 सितंबर तक निरंतर चलता रहेगा। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए जगतगुरु शंकराचार्य के दर्शन की विशेष व्यवस्था की गई है। मुंबई में पहली बार हो रहे जगद्गुरु शंकराचार्य जी के चातुर्मास्य महामहोत्सव में प्रतिदिन दूर-दूर से श्रद्धालुओं का आगमन जारी है। मुंबई ही नहीं देश के अलग-अलग शहरों और राज्यों से भी श्रद्धालु भक्तों और गौसेवकों का आगमन निरंतर हो रहा है। महाराष्ट्र के मंचीय कार्यक्रमों के दौरान भक्ति संगीत से जुड़े कलाकारों की प्रतिदिन हो रही रंगारंग प्रस्तुति भी श्रद्धालुजनों को भक्ति रस में सराबोर कर रही है। आयोजकों ने समस्त श्रद्धालुओं से इसमें सहर्ष से शामिल होने की अपील की है।

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