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संगठन शक्ति और आध्यात्मिक विकास का प्रतीक है दही हांडी-पूज्य शंकराचार्य जी महाराज

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श्रीकृष्ण जन्माष्टमी : संगठन शक्ति और आध्यात्मिक विकास का प्रतीक है दही हांडी-पूज्य शंकराचार्य जी महाराज

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Sat, Aug 16, 2025

संगठन शक्ति और आध्यात्मिक विकास का प्रतीक है दहीहंडी : शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद

● "टांग खींचने की प्रकृति को बदलता है'

● 'श्रीकृष्ण के साथ हमें गोप-ग्वाल बनाता है यह उत्सव'

मुम्बई- जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने यहां मुंबई में चल रहे अपने चातुर्मास्य व्रत महोत्सव के दौरान कहा कि दहीहांडी कोई साधारण बात नहीं है। यह संगठन शक्ति और आध्यात्मिक विकास का प्रतीक है। हम दहीहंडी का उत्सव बहुत पसंद करते हैं। उन्होंने श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर उमड़े श्रद्धालुओं को खूब आशीर्वाद दिया। महाराजश्री ने कहा कि दूध गिर जाए तो बिखर जाता है। लेकिन दही व माखन के रूप में उसका बिखराव संगठित हो जाता है। इसीलिए भगवान दूध की चोरी नहीं करते, वे संगठन शक्ति को बढ़ाने के लिए दही और माखन चोरी की लीला करते हैं। यही संगठन शक्ति का दर्शन है।

महाराजश्री ने कहा कि कोई ऊपर बढ़ता है तो लोग उसकी टांगे खींचते हैं। किसी को उपर नहीं जाने देते हैं। लेकिन दहीहंडी अकेला ऐसा उत्सव है जहां लोग दूसरे को ऊपर चढ़ने की प्रेरणा देते हैं। लोगों को उपर चढ़ाकर प्रसन्न होते हैं। इस तरह दहीहंडी हमारी प्रकृति को बदल देता है। इसीलिए यह उत्सव आध्यात्मिक विकास का प्रतीक है। यह उत्सव हमें भगवान श्री कृष्ण के साथ गोप-ग्वाल बनने का मौका देता है। जगद्गुरू शंकराचार्य की उपस्थिति में यहां मुंबई स्थित बोरीवली के कोराकेंद्र ग्राउंड पर उनके दिव्य-भव्य चातुर्मास्य महामहोत्सव के दौरान श्रीकृष्ण जन्माष्टमी धूमधाम से मनाई गई। भक्तों को महाराजश्री ने अपने हाथों से प्रसाद बांटे।

इस अवसर पर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि भगवान की भक्ति में प्रेम मुख्य आधार है। उन्होंने कहा कि हम आत्म पदार्थ में अपना प्रेम बढ़ाएं तो हमें कहीं बाहर नहीं जाना पड़ेगा। संसार की सारी वस्तुएं और समाधान हमारे अपने भीतर ही हैं। हम उन्हें पहचान नहीं पाते हैं इसीलिए भटकते रहते हैं। उन्होंने कहा कि ब्रम्ह हमारे भीतर है बस उसे पहचानने की जरूरत है।

मंच पर पादुका पूजन के पश्चात जाजू परिवार की ओर से माल्यार्पण किया गया। चंद्रकला जी व कृष्णा चतुर्वेदी ने सुंदर भजन की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम का संचालन किशोर दवे शास्त्री जी ने किया ।

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