: कैश से ऐश- गरीब क्यों नही कर सकते

Admin
Wed, Mar 12, 2025
छत्तीसगढ़ - ललचाई आंखों से सपने देखना न्यायसंगत नही हो पाता। जो भोजन को तरस रहे हों उनकी डबडबाई आंखों से सपने बह जाया करते हैं। यह हालत है छत्तीसगढ़ के सुदूरवर्ती गांवों का। आलम यह है कि शहरों में अमीरजादों के गाड़ियों में नोटों की गड्डियां ठूस ठूस कर भरी पड़ी हैं और गरीब हैं कि उन्हें दो वक्त की रोटी नसीब नही हो रही है। जो गरीब हैं जो दलित आदिवासी समाज है उन्हें अमीरों के छीने हुए धन क्यों नही दे दिए जाते। लगातार राज्य में प्रवर्तन निदेशालय की टीम छापेमारी करती है जो पैसा पकड़ा जाता है यदि वह गरीब बच्चों के पोषण व शिक्षा में लगा दिया जाय तो शायद बेहद गरीब बस्तियों की सूरत बदली जा सकती है। छत्तीसगढ़ में गरीबी भी खूब है और अमीरजादों के पास पैसा भी।
बस्तर की हालत देखें तो आज भी बहुतायत में आदिवासी बस्तियां खस्ताहाल जीवन व्यतीत कर रहे हैं। जबकि इस वक्त आदिवासी समुदाय के मुख्यमंत्री भी हैं। बच्चों की हालत आज भी लगभग वही है जो दशकों पहले हुआ करती थी। जंगलों वनों आच्छादत बस्तर प्राकृतिक रूप से सौदर्यशाली तो है लेकिन आर्थिक रूप से कमजोर है क्योंकि वहां के भोलेभाले आदिवासी आज भी महुआ,ताड़ी और परंपरागत भोजन से ही पेट भर रहे हैं। उनके सपनों की पूर्ति नही होती ,कारण है गरीबी और संसाधनों की कमी।
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