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योग से मानसिक व शारीरिक शक्ति का होता है विकास,चेतना व संकल्प शक्ति का आध्यात्मिक-सामाजिक जागरण है योग,9वें अंतराष्ट्रीय योग दिवस पर ग्रामीणों ने किया योग

9वें अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस पर ग्रामीणों योग कर स्वच्छता व आरोग्यता का लिया संकल्प-

प्रयागराज/मेजा – 9वें अंतराष्ट्रीय योग दिवस के उपलक्ष्य में जनसुनवाई फाउंडेशन के तत्वावधान में जनपद के मेजा तहसील अंतर्गत ममोली ग्राम में योग कार्यक्रम का आयोजन किया गया। ममोली के ग्रामीणों ने ग्राम पंचायत सचिवालय पर सुबह 6बजे उपस्थित होकर योग-साधना किया।

आजादी के अमृतकाल में योग की सिद्धि तक पहुंच गए हैं,स्वस्थ समाज और बेहतर कल का करें निर्माण-राहुल तिवारी-

कार्यक्रम का आयोजन करने वाली राष्ट्र स्तरीय सामाजिक संस्था जनसुनवाई फाउंडेशन के मंडल प्रभारी राहुल तिवारी द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय योगदिवस पर ग्रामीणों को जागरूक करते हुए कहा गया कि प्रकृति प्रदत्त मानव शरीर रूपी अनमोल धरोहर को योग द्वारा ही संरक्षित किया जा सकता है। श्वास ही शरीर का प्राण तत्व है इसकी महत्ता को प्रत्येक प्राणी आत्मसात करता है। इसलिए आवश्यक है कि प्रतिदिन सूर्य नमस्कार,अनुलोम -विलोम प्राणायाम एवं रिचार्जिंग क्रिया को करते हुए अपने आप को स्वस्थ रखें।उन्होंने कहा कि आजादी के अमृतकाल में योग की सिद्धि अहम है।उन्होंने यह भी कहा कि,योग के जरिये हम अपने स्वास्थ्य को बेहतर बनाकर चेतना को जागृत करके समाज को एक स्वस्थ व बेहतर कल दे सकते हैं।

स्वस्थ्य शरीर में ही अच्छे विचार आते हैं। और यदि विचार पवित्र हो़गा। तो निश्चित ही नियन्ता सहायक होगा। फाउंडेशन के समन्वयक संजय शेखर मिश्र ने कहा कि जिनके घरों में नियमित रूप से योग करने की परंपरा है उनके घरों में खुशहाली बनी रहती है। मधुमेह, उच्च रक्तचाप,असमय में आंखों की रोशनी का कम होना, बाल्यावस्था में ही बालों का सफेद होना जैसी जनसामान्य की समस्याओं का निराकरण केवल योग के ही द्वारा संभव है, इसलिए आवश्यक है कि जनसामान्य भी योग की आदत डालें।

आध्यात्मिक चेतना का विकास व मानसिक विस्तार का माध्यम है योग-महंत ब्रह्मानंद प्रणामी-

इस अवसर पर प्रणामी मंदिर के महंत श्री ब्रह्मानंद जी महाराज ने ग्रामीणों को भेजें अपने उपदेश में आग्रह किया कि भ्रष्टाचारी मन का उपचार किये बिन रोगों से मुक्ति असंभव है क्योंकि सदाचार और निरोगी काया का आपस में गहरा संबंध है। यदि व्यक्ति सदाचारी नहीं है तो इसका सीधा सा अर्थ है कि उसका मन भ्रष्ट है। और जब मन‌ ही भ्रष्ट हो तब तन सुखी कैसे होगा। ऋषि मुनियों ने पहले मन को साधा। मन को ईश्वर का आश्रय लेते हुए सदाचारी बनाया। और जब मन सदाचार में रम गया, तब तन को भ्रष्ट होने से बचाने के लिए योगासनों का आश्रय लिया। इस प्रकार जब तन-मन सदाचार में निपुण हो गये तब ध्यान, धारणा और समाधि का उपक्रम किया। भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे आज के व्यक्ति और समाज को योगासनों से तब तक कोई सिद्धि प्राप्त नहीं हो सकती है जब तक कि वह विभिन्न मनोरोगों से अपना पीछा न छुड़ा ले। आज नशा, रिश्वतखोरी, झूठ-फरेब, व्याभिचार, अश्लीलता, अनियमितता, अमर्यादा, क्रोध, लोभ, अंधविश्वास जैसे अनेकानेक भ्रष्ट आचरण व्यक्ति और समाज की पहचान हैं। इसी कारण अनेक बीमारियां, अशांति, अनिष्ट और क्लेश से हर व्यक्ति पीड़ित है। अतः सर्वप्रथम मन को सदाचारी बनाने का संकल्प लिया जाना आवश्यक है। तभी योग को सहजता और सार्थकता सहित अपनाया जा सकता है। मन मैला और तन को धोये…, इससे कुछ लाभ नहीं होगा।

प्रतिदिन योग करके निरोगी काया को प्राप्त कर समाज को नई चेतना दे सकते हैं-कमलेश मिश्र योग प्रशिक्षक

फाउंडेशन के राज्य विस्तारक व योग प्रशिक्षक कमलेश प्रसाद मिश्र द्वारा ग्रामीणों को विभिन्न प्रकार के योग आसन कराते हुए योग की विशेषता के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। योग-क्रिया की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि तन,मन और विचार को सुदृढ़ रखने का एक मात्र साधन योग ही है। उन्होंने कहा कि,योग से हमारा मानसिक विस्तार,हमारी चेतना शक्ति का जागरण और संकल्प शक्ति मजबूत होती है,जो कि स्वस्थ मस्तिष्क का निरूपण माना जाता है,प्रतिदिन दिनचर्या में योग को शामिल करें और चिकित्सकों व दवाइयों को दूर रखें क्योंकि योग से निरोगी काया का निर्माण होता है। उन्होंने कहा कि प्रतिदिन योग करें,निश्चितरूप से आरोग्य जीवन प्राप्त करेंगे। कार्यक्रम स्थल पर डा.प्रशान्तकुमार, शैलेन्द्र द्विवेदी, मुनेश कुमार, सुमन, मोतीलाल, धर्म राज, रामरती, अंजू देवी,कल्लन, रेखा देवी, रामसागर, बबिता देवी,तिलकधारी, रामप्रवेश पटेल,रामसुंदर शुक्ला,अश्वनी शुक्ला,ननकू, रीता,मोथा,मोहन आदि क‌ई ग्रामीण उपस्थित रहे।

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