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अतीक के अतीत के साथ महानगर सरकार बनाने की गर्मी भी सुपर हॉट है.नगरीय निकाय चुनाव के समर में जाने प्रयागराज का मूड!

प्रयागराज– हालांकि नगरीय निकाय चुनाव के लिए निर्वाचन आयोग ने तारीखों का एलान भी कर दिया,प्रत्याशियों की नामांकन प्रक्रिया भी हो गई और अब चुनाव प्रचार तेज भी हो गया है.लेकिन जनता के मुद्दे आज भी लगभग वहीं हैं जो पहले हुआ करते थे.वही बिजली पानी नाली जाम और सड़कों की मरम्मत,जी हाँ, इलाहाबाद से अब निगम प्रयागराज तो हो गया है लेकिन वार्डों के हालात तकरीबन उसी लचर पटरी पर हैं जहाँ इलाहाबाद में होते थे.

आज भी हजारों लोग बिजली पानी की समस्या से जूझ रहे हैं.इस बार का नगरीय निकाय चुनाव बड़ा दिलचस्प रहने वाला है.80 वार्डों से अब 100 वार्ड हो गए हैं,20 सीटों का इजाफा किया गया है.प्रत्याशी और मत पेटियां बढ़ गई हैं लेकिन सुविधाओं में बढ़ोतरी नही होने से जनता आज भी किल्लत झेल रही है.यहाँ यदि बात करें मुकाबले की तो भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी में सीधी टक्कर दिखाई पड़ रही है.आप जानते हैं कि,महीने भर से अतीक का अतीत और माफिया को मिट्टी में मिलाने की शूट आउट शो चलता रहा,प्रयागराज अभी इस एपिसोड से उबरा नही है कि चुनावी समर का एलान हो गया.अभी यहाँ का मूड अतीक के आतंक और उसके अतीत की कहानी के साथ ही मर्डर मिस्ट्री को लेकर भांपा जा रहा है.नगर निगम चुनाव में पार्टीगत उम्मीदवारी को लेकर बगावती सुर भी दिखाई दे रहे हैं तो निर्दलीय उम्मीदवार परेशानी का सबब भी राजनीतिक पार्टियों के लिए बने हैं.

वैसे तो,आधी से अधिक आबादी योगीराज के सुशासन की कसीदे पढ़ रही है तो अन्य उससे इतर खिसियाई बिल्ली की तरह खंभे नोचने में भी लगे हैं.चर्चा आम यह भी है,कि कुछ भी हो भाजपा में योगी राज की दरकार अभी लंबी है विकास,सुशासन और माफियाराज से मुक्ति की ओर यदि प्रदेश बढ़ रहा है तो उसमें योगी आदित्यनाथ की सरकार का होना आवश्यक है.इसका फायदा नगरीय निकाय चुनाव में भी दिखेगा.हालांकि पूर्व मेयर को टिकट न मिलने का मलाल तो है लेकिन पार्टी की अनुशासन और रणनीति पर गुटबाजी की सेंध शायद कारगर नही होगी इस बात का सन्देश ऊपर लेवल के नेताओं ने देना शुरू कर दिया है.चौक चौराहों पर अतीक अहमद के मर्डर मिस्ट्री की चर्चा के साथ ही अब चुनावी रणनीति की चर्चा भी सुनाई देने लगी है और कंडिडेटों में गहमागहमी भी दिखाई देने लगी है.जनता है सब जानती है क्या करना है और क्या नही.संगम में डुबकी लगाने के बाद दही जलेबी और पान से यहां दिन की शुरुवात होती है.यह प्रयागराज है यहां ऋषि भारद्वाज का आश्रम भी है,शहीदे आजाद की शौर्य रज के साथ बीर बजरंगी की अकाट्य मूर्ति का प्रताप भी और संगम की तेज लहरें भी,यहाँ की राजनीतिक मूड बदलाव भी तेजी के करता है,यदि निशाना साधने में तनिक भी देरी हुई तो नए गेम की शुरुवात होने में भी वक्त नही लगता.

हालांकि,100 वार्डों में सभासदों ने पर्चे दाखिल कर दिए हैं और महानगर सरकार के मुखिया के 77 दावेदारों ने भी अपनी दावेदारी ठोंक दी है.देखना यह है कि इस बेतहासा लू में कमल खिलेगा या साइकिल का पहिया घूमेगा यह तो आगामी 4 मई का दिन ही तय कर पायेगा.

Khabar Times
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