कैश से ऐश- गरीब क्यों नही कर सकते
ईडी के छापों से बरामद धनों से निर्धनों की बदली जाय सूरत

छत्तीसगढ़ – ललचाई आंखों से सपने देखना न्यायसंगत नही हो पाता। जो भोजन को तरस रहे हों उनकी डबडबाई आंखों से सपने बह जाया करते हैं। यह हालत है छत्तीसगढ़ के सुदूरवर्ती गांवों का। आलम यह है कि शहरों में अमीरजादों के गाड़ियों में नोटों की गड्डियां ठूस ठूस कर भरी पड़ी हैं और गरीब हैं कि उन्हें दो वक्त की रोटी नसीब नही हो रही है। जो गरीब हैं जो दलित आदिवासी समाज है उन्हें अमीरों के छीने हुए धन क्यों नही दे दिए जाते। लगातार राज्य में प्रवर्तन निदेशालय की टीम छापेमारी करती है जो पैसा पकड़ा जाता है यदि वह गरीब बच्चों के पोषण व शिक्षा में लगा दिया जाय तो शायद बेहद गरीब बस्तियों की सूरत बदली जा सकती है। छत्तीसगढ़ में गरीबी भी खूब है और अमीरजादों के पास पैसा भी।
बस्तर की हालत देखें तो आज भी बहुतायत में आदिवासी बस्तियां खस्ताहाल जीवन व्यतीत कर रहे हैं। जबकि इस वक्त आदिवासी समुदाय के मुख्यमंत्री भी हैं। बच्चों की हालत आज भी लगभग वही है जो दशकों पहले हुआ करती थी। जंगलों वनों आच्छादत बस्तर प्राकृतिक रूप से सौदर्यशाली तो है लेकिन आर्थिक रूप से कमजोर है क्योंकि वहां के भोलेभाले आदिवासी आज भी महुआ,ताड़ी और परंपरागत भोजन से ही पेट भर रहे हैं। उनके सपनों की पूर्ति नही होती ,कारण है गरीबी और संसाधनों की कमी।
छत्तीसगढ़ में एक ओर राजनेताओं की तिजोरियां पैसों से भरकर टूट रही हैं तो वहीं दूसरी ओर राज्य में गरीबी की दर भी बढ़ती जा रही है। जिसकी सत्ता इनके वोटों से बनती है वही ललचाई आंखों से सत्तासीनों की ओर निहारते हैं कि नेता मंत्री जी इनके सपनो को पंख देंगे ये उड़ान भरेंगे। लेकिन हर बार उनका सपना चकनाचूर हो जाता है। चुनाव में किया गया वादा झूठा हो जाता है। हालत जस की तस बनी हुई है। पूर्ववर्ती सरकार किसानों गरीबों की सरकार अपने आपको कहती रही लेकिन गरीब लुटता रहा भूख से बिलखता रहा। बस्तर के कोदुराम की माने तो उनका कहना है कि हम लोग कभी कभी भोजन को तरस जाते हैं। हमारे बच्चे स्कूल नही जा पाते। सरकारी स्कुलें तो हैं लेकिन हालत बुरा है। कहने को तो राशन फ्री में मिलना है लेकिन कोटेदार उसमें भी कटौती करता है। यदि कोई बीमार पड़ जाए तो बिना दवाई दम तोड़ देता है साहब,बहुत बुरा हाल है।
दूसरी पहलू पर नजर डालें तो पाते हैं कि आये दिन सीबीआई,इनकमटैक्स और ईडी के छापे पड़ते हैं बेहिसाब दौलत पकड़ी जाती है,जब्त की जाती है लेकिन वह पैसा किधर जाता है यह पता नही है। अभी हाल ही में गाड़ी में करोड़ से अधिक रुपया पकड़ा गया,किसका है कहाँ से आया यह बताने में कोताही की जा रही है।
एसपी अमन झा ने पीटीआई को बताया कि आज एक सफर रंद की इनोवा जांच के लिए रोकी गई। उसको जब चेक कर रहे थे तो पता चला कि उसमें कैश है। गाड़ी को जब थाने लगाया गया तो उसमें भारी मात्रा में कैश मिला। 500, 200 और 100 की गड्डियां थीं। अभी देखा जाएगा कि नकदी को वैध रूप से ले जाया जा रहा था या अवैद रूप से। पुलिस ने पूरे मामले की तहकीकात शुरू कर दी है।
भारी मात्रा में नकदी की बरामदगी ऐसे समय पर हुई है जब हाल ही में ईडी ने छत्तीसगढ़ में कई हाई प्रोफाइल लोगों के खिलाफ छापेमारी की है। सफेद रंग की इनोवा में कैश मिलने की खूब चर्चा हो रही है।
अमीरजादों से जब्त पैसों से सुधर सकती है हालत-
यदि यही रुपया किसी गरीब बस्ती में लगा दिया जाय तो सूरत बदल सकती है। तंगहाली में झोपड़ी में रहने वाले असहायों को मकान की छत मिल सकती है उन्हें अच्छा भोजन मिल सकता है। गरीब बच्चों की शिक्षा बदल सकती है। लेकिन पकड़ा गया पैसा कहाँ जाता है इसका कोई हिसाब नही है। सरकार को इस विषय पर गांभीरता से विचार करना चाहिए। गरीब बस्तियों के हालात सुधर सकती है।