साइरस मिस्त्री की मौत का जिम्मेदार कौन? लापरवाह ड्राइविंग या तेज स्पीड,पोस्टमार्टम के बाद हो सकेगा खुलासा
टाटा संस के पूर्व चेयरमैन सायरस मिस्त्री की महाराष्ट्र के पालघर में रविवार को हुई एक सड़क दुर्घटना में मौत हो गई. पुलिस के मुताबिक़, ये हादसा उस वक्त हुआ जब मिस्त्री की कार सूर्या नदी के ऊपर बने पुल पर डिवाइडर से टकरा गई.
सायरस मिस्त्री मर्सिडीज कार की पिछली सीट पर केपीएमजे ग्लोबल स्ट्रैटेजी ग्रुप के डायरेक्टर जहांगीर पंडोल के साथ बैठे हुए थे. हादसे में उनकी भी मौत हो गई.
इंडियन एक्सप्रेस की ख़बर के मुताबिक गाड़ी जानी-मानी स्त्री रोग विशेषज्ञ अनाहिता पंडोल चला रही थीं. उनकी बगल में उनके पति डेरियस पंडोल बैठे थे.
हादसे में दोनों बुरी तरह घायल हो गए. उनका अस्पताल में इलाज चल रहा है. डेरियस जेएम फाइनेंशियल इक्विटी के एमडी और सीईओ हैं. सायरस मिस्त्री पंडोल परिवार के दोस्त थे.
ये हादसा रविवार की दोपहर पालघर के कासा इलाके में हुआ. इंडियन एक्सप्रेस ने कासा के एक पुलिस अधिकारी के हवाले से बताया है कि साइरस मिस्त्री और जहांगीर मर्सिडीज गाड़ी में पिछली सीट पर बैठे हुए थे. लेकिन उन्होंने सीट बेल्ट नहीं बांध रखी थी. जब कार डिवाइडर से टकराई तो वे फ्रंट और बैक सीट के बीच दब गए.
मिस्त्री की मौत की असली वजह का पता पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के बाद ही पता चल सकेगा. महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस हादसे की जांच के आदेश दिए हैं. लेकिन सोशल मीडिया पर सायरस मिस्त्री की मौत को लेकर लोग सवाल भी उठा रहे हैं.
कुछ लोगों का कहना है कि आखिर मिस्त्री दस घंटे का सफर फ्लाइट के बजाय कार से क्यों कर रहे थे? कुछ लोग मर्सिडीज कार के सेफ्टी स्टैंडर्ड को लेकर भी सवाल उठा रहे हैं.
सायरस मिस्त्री की मौत को लेकर जो सवाल उठाए जा रहे हैं उनका जवाब तो जांच के बाद ही मिलेगा. लेकिन हादसे के बाद हाईवे पर स्पीड लिमिट, एयरबैग की क्वॉलिटी और सीट बेल्ट की भूमिका पर बहस हो रही है.
क्या लापरवाह ड्राइविंग बनी हादसे की वजह?
शुरुआती जांच में पता चता है कि मिस्त्री और उनके दोस्त जहांगीर पंडोल मर्सिडीज जीएलसी कार की पिछली सीट पर बैठे थे.
महाराष्ट्र में पालघर जिले के चारोटी चेकपोस्ट पार करने के बाद इस कार ने नौ मिनट में ही 20 किलोमीटर की दूरी तय कर ली थी. यानी कार की स्पीड काफी ज्यादा थी.
चारोटी चेक पोस्ट पर लगे सीसीटीवी कैमरों को देखने के बाद पालघर पुलिस का कहना था कि यह हादसा ओवर स्पीडिंग और गाड़ी चलाने के दौरान ड्राइवर के सही तरीके से फैसला न लेने की वजह से हुआ होगा.
मिस्त्री की मौत के बाद भारतीय सड़कों पर गाड़ियों की गति पर कड़ी निगरानी का मांग तेज कर दी है.
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के ताजा आंकड़ों के मुताबिक सड़कों हादसों में हुई 1.56 लाख मौतों में से 85 हजार मौतें तेज रफ्तार गाड़ियों की वजह से हुईं थीं.
100 किलोमीटर से ज्यादा स्पीड से गाड़ी चलाने के खतरे
हर साल राष्ट्रीय राजमार्ग की लंबाई बढ़ती जा रही है.
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो ने 2018 सड़कों पर प्रति 100 किलोमीटर की दूरी पर मौतों का आंकड़ा इकट्ठा करना शुरू किया था.
इस आंकड़े के मुताबिक 2018 में नेशनल हाईवे पर प्रति 100 किलोमीटर पर सड़क हादसों में मौतों की संख्या 44 थी. हालांकि 2021 में यह आंकड़ा घट कर 44 हो गया था.
एनसीआरबी के मुताबिक ज्यादातर सड़क हादसे शाम छह बजे से रात नौ बजे के बीच हुए. ज्यादातर हादसे दिसंबर-जनवरी महीने में हुए, जब ठंड के कोहरे की वजह से दृश्यता कम हो जाती है.
मर्सिडीज बेंज काफी सुरक्षित गाड़ी मानी जाती है. मिस्त्री मर्सिडीज बेंच एसयूवी में यात्रा कर रहे थे. ये भारत में सबसे ज्यादा बिकने वाले लग्जरी कार मर्सिडीज बेंज का बेस्ट सेलिंग मॉडल है.
पचास लाख से ज्यादा कीमत की मर्सिडीज़ को यूरो एनसीएपी (यूरोपियन न्यू कार एसेसमेंट प्रोग्राम) ने फाइव स्टार सेफ्टी रेटिंग दी है और यह एमआरए आर्किटेक्चर पर बनी है.
जाने-माने ऑटो एक्सपर्ट टुटु धवन ने इस दुर्घटना पर बीबीसी हिंदी से कहा, “मर्सिडीज़ बेंज पैसेंजर सेफ्टी के हिसाब से काफी आला दर्जे की गाड़ी है. इसके सेफ्टी मानकों को लेकर कोई सवाल नहीं है. सायरस मिस्त्री की मौत जिस सड़क हादसे में मौत हुई वह सिर्फ एरर ऑफ़ जजमेंट (गाड़ी चलाने के दौरान हुई चूक) का नतीजा थी.”
उन्होंने कहा, “ये गाड़ी हाईवे पर 100 से 125 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल रही थी. आपने देखा होगा कि इतनी ज्यादा स्पीड से डिवाइडर से टकराने के बावजूद कार के छोटे से हिस्से को ही नुकसान पहुंचा है. इसलिए यह कहना गलत होगा कि मर्सिडीज बेंज सुरक्षित गाड़ी नहीं है. पिछली सीट बेल्ट पर बैठ कर बेल्ट न बांधना सायरस के लिए घातक साबित हुआ.”
पिछली सीट पर सीट बेल्ट बांधने की अहमियत
केंद्रीय मोटर वाहन नियमों के तहत नियम 138 (8) के मुताबिक फ्रंट सीट या फ्रंट सीट के पीछे की सीटों पर सीट बेल्ट बांधना अनिवार्य है. ऐसा न करने पर 1000 रुपये का जुर्माना है.
सेव लाइफ फाउंडेशन की ओर से 2019 में एक सर्वेक्षण कराया था. इसके तहत 11 शहरों के 6,306 लोगों से सवाल पूछे गए.
इनमें से सिर्फ सात फीसदी ने कहा कि वे पिछली सीट पर बैठते हुए सीट बेल्ट का इस्तेमाल करते हैं. सिर्फ 27.7 लोगों को पता था कि पिछली सीट पर बेल्ट बांधना अनिवार्य है.
द हिंदू ने डब्लूएचओ के हवाले से बताया कि पिछली सीट पर सीट बेल्ट का इस्तेमाल हादसों की स्थिति में मौत की आशंका 25 फीसदी कम कर सकता है.
सीट बेल्ट और इंश्योरेंस क्लेम के नियम
गलत तरह से गाड़ी चलाने के साथ ही अगर सीट बेल्ट लगाए बगैर गाड़ी चला रहे हैं तो हादसे की स्थिति में इंश्योरेंस क्लेम खारिज किया जा सकता है.
मोटर व्हीकल इंश्योरेंस नियम के मुताबिक तेज गति से गाड़ी चलाने के अलावा गलत दिशा में या शराब पीकर गाड़ी चलाने पर हादसे का शिकार होते हैं तो परिवार वालों को इंश्योरेंस क्लेम नहीं मिलेगा.
इस तरह सीट बेल्ट लगा कर भी गाड़ी चलाना अनिवार्य है.
एचडीएफसीएरगो की वेबसाइट के मुताबिक सीट बेल्ट पहने बगैर चलाई जा रही गाड़ी अगर हादसे का शिकार होती है तो इंश्योरेंस कंपनियां क्लेम खारिज कर सकती हैं.
इसके मुताबिक 6 सितंबर 2019 को जारी आईआरडीएआई के मुताबिक गाड़ी इंश्योरेंस के प्रीमियम अदा करने के दौरान ट्रैफिक चालान हिस्ट्री भी देखी जाती है.
इसका मतलब ये है कि अगर सीटबेल्ट न पहनने पर चालान कटता है तो आपका इंश्योरेंस क्लेम खारिज हो सकता है.