स्वच्छतम छत्तीसगढ़ के खिताब पर चोट करता बदबूदार भरे बाजार कचरे का ढेर.सुंदरता पर बना धब्बा!कब होगा साफ?
देश भर मे स्वच्छतम राज्य का परचम लहरा रहे छत्तीसगढ़ प्रान्त में चंद जिम्मेदारों की उदासीनता लोगों के लिए परेशानी बनी हुई है। भिलाई में सरेआम बाजार में फैली गंदगी यहां की खूबसूरती को धूमिल बना रही है। जनजागरण को प्रेरित करती इस ख़बर का उद्देश्य स्वच्छतम सन्देश व जागरूकता के लिए है जो सामाजिक उत्तरदायित्व का निर्वहन कर व्यापारियों ने इस समस्या से निजात पाने उठाई है आवाज.
जनजागरण-स्वच्छता एवार्ड पर मुंह चिढ़ाती यह तश्वीर!
छत्तीसगढ़- भिलाई / वैसे तो स्वच्छता केे खूब ख़िताब छत्तीसगढ़ को मिले हैं। राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद के हाथों राज्य के मुखिया सफाई मित्र सुरक्षा चैलेंज 2021 व स्वच्छतम राज्य का खिताब पा चुके हैं। इसका मतलब है कि प्रदेश काफी स्वच्छ रहा होगा,सर्वेक्षण टीम खुश हुई होगी तभी यह अवार्ड मिला है। और राज्य इससे अधिक गंदे रहे होंगे जो उक्त अवार्ड अपने नाम नही कर पाए,यही न कहा जा सकता है। मतलब हम ‘सुग्घर छत्तीसगढ़’में रह रहे हैं।
लेकिन जो तश्वीर आप इस खबर के संदर्भ में देख रहे हैं,वह भी छत्तीसगढ़ की है,और वह है सबसे ज्यादा राजस्व देने वाले निगम भिलाई की,और वो भी निगम मुख्यालय से महज 800 मीटर की दूरी पर! अब जरा गौर करें कि आपको स्वच्छतम अवार्ड मिल चुका है.और आप बदबू के कारण नाक सिकोड़ कर मुंह बाँध कर बाजार कर रहे हैं। यह हालत,भिलाई के भरे बाजार सुपेला के होजियरी मार्केट की है। सुप्रसिद्ध बाजार है इलाकाई जनता व फुटकर व्यापारी यहाँ कपड़े खरीदने आते हैं.शौकीन लोग यहीं टाकीज में फिल्में देखने आते हैं। बच्चे भी और महिलाएं भी। यह तश्वीर भी पुरानी नही है,बल्कि 28 सितंबर 2022 बुधवार यानी कल की सुबह 11 बजकर 14 मिनट की है। बाजार के व्यापारियों ने बताया कि इस गन्दगी की बदबू से हम लोगों में स्मेलिंग कन्फ्यूजन हो गया है। यही दुर्गंध बाहर भी घण्टो तक दिमाग मे रहती है,कैसे रह रहे हैं यहां क्या बताएं। व्यापरियों का कहना है कि भरे बाजार ट्रेचिंग ग्राउंड बनाया जा रहा है.
स्वच्छता के मापदंड जिस पर होती है ग्रेडिंग-
राज्य जब सबसे स्वच्छतम राज्य का अवार्ड ले रहा था तब वह 2021 था,अब 2022 है। पुरस्कार व ग्रेडिंग के लिए निर्धारित मापदंडों में एक महत्वपूर्ण मापदंड यह है कि,मुख्यरूप से घर घर से कचरा एकत्रीकरण, कचरे का वैज्ञानिक तरीके से निपटान,खुले में शौच मुक्त शहर, कचरा मुक्त शहर,इन्ही मापदंडों के आधार पर रैंकिंक की जाती है और रैकिंक के आधार पर शहरों एवं राज्यों का प्रदर्शन तय होता है। उत्कृष्टता प्राप्त करने वाले शहर व राज्य को उसकी श्रेणी के आधार पर पुरस्कृत किया जाता है। गौरतलब,है कि वर्ष 2019 और 2020 के बाद लगातार तीसरी बार छत्तीसगढ़ ने स्वच्छता में अव्वल होने का गौरव हासिल किया है।
वैसे तो आयुक्त प्रतिदिन भ्रमण करते हैं- पर कदम हैं कि इधर बढ़ते नही..
अक्सर अखबारों व सोशल मीडिया में पढ़ने को मिलता है कि भिलाई नगर निगम के आयुक्त नगर भ्रमण कर कचरा ,नाला साफ सफाई का निरीक्षण किया,आज यहां तो कल वहां और परसों कहीं और.ऐसे में यह सवाल उठना भी लाजमी हो जाता है कि आयुक्त साहब,को उनके कार्यालय के नजदीक वाला कचरा क्यों नही दिख रहा है। क्या उनके दौरे व शेड्यूल के बाहर है यह गन्दगी का ढेर?या बाजार वाले राजस्व नही देते या निगम के अंतर्गत नही आते ये लोग? यह तमाम सवाल उठने लाजमी हैं,क्योंकि सवाल है लोगों को स्वच्छ वातावरण में रहने के अधिकार का,उनके स्वास्थ्य का और बाजार की सुंदरता का,नागरिक सुरक्षा व स्वास्थ्य की जिम्मेदारी का. और यह जिम्मेदारी निगम की है। कचरा निष्पादन व स्वच्छता कराना.जो शायद ठीक से नही हो पा रहा है अन्यथा यह तस्वीर भरे बाजार नही होती! पीड़ितों ने कहा कि आयुक्त लोकेश चंद्राकर के समक्ष भी शिकायत की गई है,लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई है। किसी भी जिम्मेदार अधिकारी का रूझान स्वच्छता को लेकर यहां तक देखने नही मिल रहा है।
नजदीक ही है 2 अक्टूबर,क्या भरे बाजार इस कचरे का समापन हो पायेगा गांधी जयंती तक?-
देश भर में स्वच्छता सप्ताह मनाया जाता है। प्रधानमंत्री मोदी ने इसकी शुरुवात इसी तारीख से की थी,हाथ मे झाड़ूओं को लेकर फ़ोटो शूट की काफी खबरें चलीं,लोग स्वच्छता अभियान के कार्यक्रमों की तश्वीरों में दिखने लगे,एक झाड़ू दर्जनों लोग,यह भी हाल होता रहा.लेकिन अब ऐसा हो कि झाड़ू और लोग बराबर बराबर में हों,सबके हाथ मे झाड़ू हो तब जाकर इस अभियान की सार्थकता कुछ हद तक सिद्ध हो सकती है। लोगों ने यह उम्मीद भी जताई है कि हो सकता है,2 अक्टूबर नजदीक आ रहा है,आयुक्त जिलाधिकारी या मेयर साहब ही इसकी सुध ले लें। वैसे 2 अक्टूबर को हर कचरा साफ दिखता है,सफाई कर्मी भी तैनात रहते हैं,कलेक्टर,मंत्री,विधायक, मुख्यमंत्री, मेयर ,नेता तथा प्रधानमंत्री तक हाथ मे झाड़ू उठा लेते हैं.महात्मा गांधी के जयंती तक कचरा साफ हो जाने की उम्मीद जताई गई है। व्यापारियों का कहना है कि,अगले महीने दीपावली की खरीदारी शुरू हो जाएगी लोग यहाँ खरीदारी करने आते हैं,लोगों को देखते हुए हमारी परेशानी दूर होनी चाहिए.
क्या कहते हैं कचरे के पड़ोसी,व्यापारी–
सुपेला के संजय नगर वेंकटेश्वर टाकीज के पास का दृश्य सोशल मीडिया पर वायरल हुआ,आपबीती के साथ.और होना भी चाहिए,हर जागरूक व्यक्ति का यह कर्तव्य है कि यदि आपके जिम्मेदार सो जाएं तो उन्हें जगाना जरूरी कर्तव्य बन जाता है। इस बाजार में प्रमोद सिंह की दुकान है उन्होंने बाजार की समस्या को उठाते हुए कहा कि भरे बाजार कचरे का ढेर हम व्यापारियों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है। कई बार इसकी शिकायत निगम अधिकारियों के पास की गई,बार बार शिकायत करने पर एकात बार सफाई हुई तो,लेकिन आलम यही है कि आज भी हम गन्दगी व कचरे की बदबूदार दुर्गंध से परेशान हैं। आगे व्यापारियों ने हाले बयां किया कि वर्षों से यह मार्किट ट्रेचिंग ग्राउंड बना हुआ है.इस कचरे के ढेर में गन्दगी पसरी रहती है,लोग मरा हुआ चूहा,सुअर,कुत्ता भी फेंकते रहते हैं,इसके साथ साथ लोग अपशिष्ट पदार्थ भी यहीं फेंक जाते हैं,इसका निपटान कराना आवश्यक है।
महापौर देखने आए,आस्वासन देकर गए,लेकिन कचरा है कि हटता ही नहीं-व्यापारीगण
कपड़ा व्यापारी प्रमोद सिंह बताते हैं कि,कचरा सफाई को लेकर हम लोग महापौर नीरज पाल से भी मिले,वो आये भी देखे,सफाई कराने का वादा और इस जगह की सौंदर्यीकरण करने का आस्वासन देकर चले गए,लेकिन वह वक्त अभी तक नही आ पाया कि इस घुरवा का भी दिन बहुर सके?
हालांकि मेयर नीरज पाल की बातों के भरोसे को लेकर आशांवित हैं यहां के व्यापारी। प्रमोद सिंह,शिवदयाल सिंह,सचित गुप्ता,सीए देवेंद्र जैन,रंजय गुप्ता,सतीश अग्रवाल,उमा देवांगन,पदुम चंद जैन आदि व्यापारियों ने इस समस्या से निजात दिलाने आयुक्त व मेयर से अपनी फ़रियाद कर चुके हैं।