संसार एक रंगमंच है,मानव जीवन में सफल अभिनय करना है- विजयानंद गिरी जी महाराज
भिलाई रामनगर आजाद चौक में दुर्लभ सत्संग प्रारंभ.गोवर्धन फाउंडेशन के तत्वावधान में भव्य ज्ञान गंगा का हो रहा प्रवाह.मुक्तिधाम परिसर में भटक रही आत्माओं को भी मिलेगी मुक्ति.दिव्य कथा का आरंभ श्री हनुमान चालीसा के गायन पाठ से हुआ.
भिलाई। गोवर्धन फांउडेशन के तत्वावधान में गिरजाधाम मंदिर प्रांगण आजाद चौक, मुक्तिधाम रामनगर में दिनांक 01 से 07 दिसम्बर 2022 तक दोपहर 2 से शाम 5 बजे तक चलने वाले दुर्लभ सत्संग का भव्य शुभारंभ श्री हनुमान चालीसा के साथ आज हुआ.पाठ के बाद भगवान श्री हरि के चरणों का पूजन कर माल्यार्पण किया गया.
दिव्य कथा के प्रवचनकर्ता स्वामी श्री विजयानंद गिरी जी महाराज जो कि ऋषिकेश से पधारे हैं.उन्होंने प्रवंचन करते हुए कहा कि 84 लाख योनियों में भटकने के बाद ईश्वर को प्राप्त करने के लिए व स्व कल्याण हेतु मोक्ष प्राप्त करने के लिए मानव शरीर प्राप्त होता है। अपने घर में पहुंचने के बाद इंसान को अनंत शांति का अनुभव होता है जो कि सांसारिक है. स्वामी जी ने कहा, अनुभव कीजिए जब मोक्ष के बाद जीव अपने वास्तविक घर पर में पहुंचेगा तो उसे कितनी शांति की अनुभति होगी।
विजयानंद गिरी जी ने कहा कि संसार में मानव अभिनय करने के लिए आया है। माता, पिता, भाई, बहन, दोस्त आदि रिश्ते केवल अभिनय मात्र है। वास्तव में मानव ईश्वर की संतान है, यहीं सच्चाई है। लेकिन संसार जगत में मिले अपने पात्र का अभिनय पूरे मन से निभाना चाहिए।
पद, रंग, रूप आदि का अभिमान छोड़ दे। यदि अभिमान करना है तो इस बात की करे कि वह ईश्वर की संतान है। मैं भगवान का हूं और भगवान मेरे है, वो ईश्वर है और मैं उनका सेवक हूं इस बात को धारण करने मात्र से ही मानव निहाल हो जाए।
मानव ईश्वर की सुंदर व दुर्लभ कृति है,मोक्ष ही लक्ष्य होना चाहिए-
स्वामी जी ने कहा कि, मानव योनि साधन योनि है, शेष सभी भोग योनि है। भोग सभी योनि में किया जा सकता है लेकिन मोक्ष के लिए चिंतन करने हेतु ईश्वर ने बुद्धि केवल मानव को ही प्रदान किया है। गो-माता जिसे हम बहुत अधिक पवित्र मानते हैं उन्हें भी यह सौभाग्य प्राप्त नहीं है। सांसरिक सुख लेने में लिप्त व्यक्ति कभी मोक्ष को प्राप्त नहीं कर सकता है इसलिए सांसरिक सुख को प्राप्त करने में लगे न रहे। भोग मिलने से मैं सुखी हो जाउंगा ऐसा नहीं सोचना चाहिए। भोग से इंसान कभी सुखी नहीं हो सकता है।
प्रथम दिन के सत्संग का समापन श्रीकृष्ण की आरती पश्चात् प्रसाद वितरण से हुआ।
श्रधेय स्वामी विजयानंद महराज भी हैं दुर्लभ संत,आडंबरों की है मनाही करें परहेज -बृजमोहन उपाध्याय
यह जानकारी देते हुए गोवर्धन फांउडेशन के केंद्रीय अध्यक्ष बृजमोहन उपाध्याय ने बताया कि सत्संग में व्यासपीठ एवं आरती में दान व रूपया पैसा आदि चढ़ाना मना है साथ ही संत का चरण स्पर्श, फोटो खींचना, मालार्पण, जयकारा करना सख्त मना है। सत्संग के दौरान गीता प्रेस, गोरखपुर के पुस्तक भी उपलब्ध रहेगी, जिसका लाभ भक्त ले सकते है। विदित हो कि गीता प्रेस की धार्मिक किताबों का मूल्य अन्य प्रकाशन के तुलना बेहद कम होता है। सत्संग के इसी पंडाल में दिनांक 2 से 8 दिसम्बर तक सुबह 7 से 8 बजे तक योग शिविर भी आयोजित किया जाएगा। जिसमें भिलाई के ख्यातिलब्ध योगगुरू अरूण पंडा के अनुभवों का लाभ लिया जा सकेगा।