एक ऐसा गाँव जहां दीवाली पर भी अंधेरा रहा कायम,एक भी घर नही हो सका रोशन,जानें वजह !
रीवा– एक तरफ जहां पूरा देश रोशनी से जगमगा रहा है लोग दीपोत्सव का प्रकाशपर्व मना रहे हैं,वहीं दूसरी ओर रीवा जिले का छीड़ा गाँव अंधेरे में डूबा हुआ है.महीने भर से आकाशीय बिजली के गिरने से ट्रांसफार्मर ध्वस्त हो गया था जो आज तक नही बदला जा सका है.जिले के जवा तहसील की ग्रामपंचायत लूक का आश्रित वार्ड क्रमांक 2 का छीड़ा गाँव पेयजल संकट से त्रस्त है.बड़े तो बड़े हैैं बच्चे भी नौनिहाल भी हैंडपंप खुंभने लगे,महीने भर से यह संघर्ष जारी है.यह वीडियो जिसमे एक नौनिहाल हैंडपंप चलाने की जद्दोजहद कर रहा है.कारण बिजली न होने का है. इसे शेयर कर इन्हें निजात दिलाएं.
जल संकट से गुजर रहा है गाँव-
चूंकि बिजली की उपलब्धता हमेशा बनी रहती थी,मध्यप्रदेश में बिजली की हमेशा प्रवाह रहता रहा है इस वजह से लोग घरों में बोर कराकर मोटर फिट करवा लिए हैं उसी से पानी की सप्लाई लेते हैं.लेकिन बिजली न आने से अब पूरा गाँव पेयजल को लेकर परेशान है.खेतों की फसलें भी सूख रही हैं। मवेशी भी पानी का दंश झेल रहे हैं। छीड़ावासी दूर दराज से हैंडपंपों से पानी लाकर पी रहे हैं। कुओं का अब कोई अस्तित्व रहा नही,हैंडपंपों में मोटर/टुल्लू पंप लगा लिए गए,जो कि बिजली से चलता है और बिजली है नही,इसलिए ग्रामीण काफी दिक्कतों से सामना कर रहे हैं.
बच्चों की पढ़ाई हो रही बाधित-
गाँव वालों का कहना है कि गाँव मे पढ़ने वाले बच्चों की संख्या ज्यादा है चूंकि बस्ती बड़ी है,अब जब लाइट नही है तो स्कूल से आने के बाद शाम को बच्चे पढाई नही कर पाते हैं.न मिट्टी का तेल मिलता और न ही बिजली है तो खाना भी शाम के पहले बनाना पड़ता है और बच्चों की पढ़ाई भी ठप्प है.मच्छरजनित बीमारियों का प्रकोप भी बढ़ता जा रहा है.पंखा चलने से थोड़ी बहुत राहत मिल जाती थी,मच्छर कम काटते थे लेकिन अब हर व्यक्ति रतजगा करने को मजबूर है.
दीपावली में भी कायम रहा अंधेरा-
छीड़ा गाँव तहसील मुख्यालय से महज 7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है.ग्रामीण जब ट्रांसफार्मर जल जने की शिकायत जवा फिटर पर करने गए तो उनकी समस्या को अनसुना कर दिया गया.सितंबर माह की बरसात में गिरी आकाशीय बिजली के कारण गाँव का एकमात्र ट्रांसफार्मर छतिग्रस्त हो गया.स्थानीय बिजली अधिकारियों की उदासीनता दीपोत्सव में भी काली रात बनकर सामने आई और ग्रामवासी काली अंधेरी रात में आकाश में टिमटिमाते तारों को गई गिनते सरकारी भ्रष्टाचार को कोसते रहे.न तो घरों की सफ़ाई,लिपाई पुताई हो पाई और न ही घरों में रोशनी
मुख्यमंत्री को ट्वीटर पर की गई शिकायत, पर नही हो पाया समाधान-
प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को लोग प्रेम से मामा कहते हैं.लेकिन इस दिवाली मामा ने भी भांजों की विनती नही सुन पाए और अपने छीड़ावासी भांजों के घरों के उजाला नही ला सके.ट्विटर हैंडल पर शिकायत,टोलफ्री ऑनलाइन शिकायत भी की गई.लेकिन टोल फ्री नंबर भी इस दीवाली नही लग सका.टोल फ्री नम्बर 1800420300 पर जब कनेक्ट किया गया तो मोबाइल आपरेटर की आवाज यह सुनाते रहा कि लगाया गया नम्बर फाल्ट है कृपया नम्बर की जांच कर लें.रीवा कलेक्टर को भी इसकी सूचना व शिकायत अवगत कराया गया परन्तु आज तलक समस्या जस की तस बनी हुई है.अभी तक कोई टीम मौके पर नही पहुंच सकी है.उल्लेखनीय यह है कि ग्रामीणों ने आपस मे चंदा भी जुटा लिया है ताकि किसी तरह से इस अंधेरा से मुक्ति मिले और ट्रांसफार्मर लग जाये.गाँव के ही सेवानिवृत शिक्षक एवं पेंशनर एसोसिएशन ब्लॉक जवा के अध्यक्ष व वरिष्ठ समाजसेवी प्रेमनारायण तिवारी का कहना है कि हम लोग स्थानीय
लेवल पर ध्वस्त हुए ट्रांसफार्मर की व बिजली न होने की शिकायत व सूचना दी लेकिन अभी तक कोई भी संबंधित कर्मचारी यहां सुध लेने नही आ सका है.हम सभी ग्रामीणों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
प्रशासनिक उदासीनता की भेंट चढ़ी बिजली व्यवस्था-
इस ट्रांसफार्मर ने जिले की सरकारी व्यवस्था की पोल खोलते हुए यह साबित कर दिया कि अब भी जागरूकता का स्तर कितना पीछे है.जिम्मेदारों को अपनी जिम्मेदारी का एहसास नही और जो प्रमुख अधिकारी हैं उनको जनता की समस्या के निराकरण से कोई लेना देना नही है.यदि लेना देना होता तो शायद अभी तक कबका ध्वस्त ट्रांसफार्मर बदल दिया गया होता.मध्यप्रदेश सरकार जो कि सुशासन और जनता को राहत देने वाली कही जाती रही है उसकी उदासीनता सामने आ गई है.अन्यथा माह भर से ज्यादा खराब हो चुके ट्रांसफार्मर की शक्ति बिजली प्रवाह के रूप में देखी जा सकती थी.अब भी ग्रामीण उम्मीदों की आस लगाये सरकारी अधिकारियों की तरफ टकटकी लगाए बैठे हैं,बिजली की बाट जोहता यह छीड़ा गांव आखिर कब रोशनी देखेगा यह एक यक्ष प्रश्न बन गया है। ग्रामीण अपनी समस्या व आप बीती बता रहे हैं जो आप सुन सकते हैं-