नेशनलराजनीति

माँ की कदमो में पूरी यात्रा की मज़बूत डोर : राहुल गांधी का बढ़ता हुआ कदम.जज्बा जुनून और सहजता के साथ बढ़ रहा आगे.तेज बारिश में भी नही डिगे राहुल.यात्रा जारी…

राहुल कैमरे की तरफ पीठ कर मां के पैरों को मजबूत कर बेटे के कर्तव्य का किया पालन-माँ के पैरों तले जन्नत है.

जब एक बेटा माँ की तबियत और स्वास्थ्य सुरक्षा की चिंता करता है तो यह कर्तव्यपरायण कइयों को नसीहत भी दे देता है.राहुल इस वक्त महीने भर से पैदल यात्रा पर हैं.भारत जोड़ो यात्रा पर निकले राहुल गांधी देश भर के लिए ऊर्जावान युवा के रूप में नजर आ रहे हैं.यात्रा तमिलनाडु से निकलकर कर्नाटक पहुंच चुकी है.इसी बीच उनकी मां लंबी बीमारी के बाद पहली बार सार्वजनिक तौर पर यात्रा में शामिल हुईं, लेकिन अधिक देर चल नही सकीं. जितनी भी देर चलीं उतनी देर तक मे उनका स्नेह व प्यार पाकर राहुल गांधी और अधिक रिचार्ज हो गए.

राहुल अपनी माँ सोनिया गांधी के जूते का लेस मजबूत करते हुए(फ़ोटो सोशल मीडिया से)

सोनिया गांधी के पैर के जूतों का लेस बांधकर राहुल ने उनका ख्याल रखा.जूतों की रस्सी बांधने का वीडियो वायरल हुआ और खूब सराहा गया.सबसे अच्छी बात यह रही कि उन्होंने कैमरे को तवज्जो नही देकर पूरी तन्मयता से अपनी मां के पैरों पर दृष्टि गड़ाते हुए जूतों को दुरुस्त किया ताकि माँ के पैरों को मजबूत किया जा सके और वो कुछ दूर चल सकें. यह निष्ठा देश भर के बेटों के किये एक सबक भी है और सन्देश भी.अन्यथा आजकल तो कैमरे में स्नेह कम बनावटीपन अधिक दिखता है.मां की ममता का कोई मोल नही और किसी कैमरे की फोकस मे इतना दम नही जो उसकी परछाई कैद कर सके.आजकल तो मां को भी लोग राजनीतिक लाभ के लिए कैनवास पर उतारकर लाभ ले लेते हैं.निश्चितरूप से राहुल का यह सहज प्रेम व कर्तव्य उनकी कार्यप्रणाली व निष्ठा को उजागर करता है.

राहुल गांधी की पदयात्रा में इतनी भीड़ महीने भर से चल रही है जितनी कि किसी शीर्षस्थ नेता या सेलिब्रिटी बन चुके लोगों की सभाओं में महीने भर की तैयारियों के बावजूद देखने को नही मिलती.इसका साफ सन्देश है कि अब राहुल की लोकप्रियता देश महसूस करने लगा है.इस यात्रा से कांग्रेस निश्चित रूप से मजबूत हो रही है और चर्चा का विषय भी है.कौतूहल बन चुकी यह यात्रा यदि भारत को जोड़ लेती है तो राजनीतिक बदलाव संभव हो सकने में कोई दुविधा नही है.

भारत जोड़ो यात्रा में जनसैलाब(फोटो)

हर दिन राहुल की यात्रा में अलग अलग सामाजिक व जनसरोकारों को देखा जा सकता है.बड़े बुजुर्ग युवा बच्चे महिलाएं सभी साथ दिखते हैं.बिना थके बिना रुके यह यात्रा सुबह सूर्योदय के साथ निकलती है और सूर्यास्त के बाद पड़ाव पर विराम पाती है.चर्चा व रणनीति के बीच फिर अगले दिन नए उत्साह उमंग के साथ बढ़ती चली जाती है.

हजारों किलोमीटर की लंबी यह यात्रा भारत जोड़ने को लेकर जारी है.निराश व थकी कांग्रेस पार्टी अब फिर से नए कलेवर में सेवा भावना के उत्साह के साथ दिखने लगती है. धीरे धीरे लोग भूलने लगे थे इस पुरातन पार्टी को लेकिन अब फिर से राजनीतिक गलियारों में इस पार्टी का सूरज उदय होने लगा है, हाथ के पंजे को मजबूती मिलने लगी है.राहुल का मखौल उड़ाने वाले लोग अब स्तब्ध भी हैं और परेशान भी.राहुल गांधी की कर्मठता देख मीडिया भी सजग होने लगी है नतीजन राहुल गांधी मीडिया की फलक पर एकायक सुर्खियां बन जाते हैं.यही है सच्चे हिंदुस्तान का चेहरा जो कर्म और सहज निष्ठा को बहुत दिन तक भ्रमित किया जा सकता.कुछ भी हो अभी पांव थके नहीं हैं और न ही पांव के छाले कदमो की ताकत क्षीण कर पाए हैं.

कुछ कयास विधानसभा चुनाव को मद्देनजर रख लगाए जा रहे हैं लेकिन राहुल गांधी का लक्ष्य दूरदर्शिता को भी दर्शाता है.यदि लक्ष्य बड़ा हो तो छोटे मोटे भाव दरकिनार हो जाते हैं। दलितों,वंचितों का विश्वास अब राहुल की यात्रा के साथ जुड़ता जा रहा है.हालांकि यह एक दिशा दक्षिण की ही यात्रा है,इतने में ही परिवर्तनशाली अनुमान लगा लेना उचित नही होगा.अभी तो पूर्व व उत्तर दिशा की प्रबल व कठिन यात्रा बाकी है,पश्चिम दिशा का सूर्य भले ही अस्तकारी माना जाता है लेकिन अगले दिन की तेजोमय किरण भी लेकर उदय होने की तासीर इसी दिशा से तय होती है,जो अभी बाकी है.

तेज बारिश में भी नही डिगे राहुल गांधी हो रही सकारात्मक चर्चा-

तेज बारिश में भी कदम न रुक पाना निश्चित किये गए लक्ष्य की बखान करता है.राहुल गांधी ने न तो बारिश की फिक्र की और न ही तेज धूप व आंधियों की चिंता.मन मे दृढ़ विश्वास रखकर अपने लक्ष्य को भेदने की तैयारी में राहुल मंझे हुए खिलाड़ी व राजनेता के तौर पर भावनात्मक रूप से जनता का जुड़ाव हासिल किया है.इसकी मीडिया के पटल पर अलग अलग ढंग से चर्चा की जा रही है.विपक्ष फ़ोटो व वीडियो में कुर्सियों व लोगों की गिनती कर झुठलाने का प्रयास कर रहा है तो समर्थक अपने नेता के जज्बे व जुनून की तारीफ भी कर रहे हैं.ऐसे में बस एक बात तय होती है कि हौसलों की उड़ान जब दिलोदिमाग में हो तो बाधाएं कुछ बिगाड़ नही सकतीं,महज यही रूप लोगों के जेहन में दिखाई पड़ रहा है जो सकारात्मकता को जन्म देता है.

 

 

 

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