कोविड 19 – बूस्टर डोज की आवश्यकता व महत्व निजी नही,सार्वजनिक है।

हेल्थ डेस्क – महामारी के टीके द्वारा हमारा लक्ष्य है कि कम से कम 80 प्रतिशत लोगों का टीकाकरण हो जाए ताकि समाज मे एक “कवच” बन जाए और महामारी को फैलने का रास्ता ना मिले।यह एक सार्वजनिक जरूरत है।इसे मात्र निजी सुरक्षा के उपाय के रूप में प्रस्तुत नही करना चाहिए।
बूस्टर डोज की जरूरत क्यों –
विशेषज्ञों का कहना है कि महामारी के टीके का असर 6 से 9 महीनों में कम हो जाता है। इसलिए सभी देश अपनी जनता को बूस्टर डोज लगवा रहे हैं। कई देशों ने यह काम पहले ही शुरू कर दिया था। यदि शरीर की महामारी के लड़ने की क्षमता को बरकरार रखना है तो बूस्टर डोज की जरूरत होगी।
अब चूंकि कोविड फिर से फैल रहा है,तो जरूरी हो जाता है कि बूस्टर डोज सभी को लगे। और यह काम महामारी का नया स्वरूप फैलने से पहले होना चाहिये। इसके अलावा,बूस्टर डोज केवल 75 दिन के लिए नहीं ब्लकि समान्य रूप से उपलब्ध होना चाहिए कि यह सभी को लगवाना है।
हमारे यहां दुर्भाग्य यह है कि हम महामारी के टीके के सिद्धांत को समझ नही रहे हैं।हम तभी सुरक्षित होंगे , जब सभी लोग सुरक्षित होंगे। महामारी के टीके द्वारा हमारा लक्ष्य है कि कम से कम 80 प्रतिशत लोगों का टीकाकरण हो जाए, ताकि समाज मे एक “कवच”बन जाए और महामारी को फैलने का रास्ता ना मिले । इसे “हर्ड इम्युनिटी” कहते हैं। अर्थात यह एक सार्वजनिक जरूरत है। इसे मात्र निजी सुरक्षा के उपाय के रूप में प्रस्तुत नही करना चाहिए।
कुछ लोग समझते हैं कि मुफ्त भी हो तो मैं क्यों लगवाऊं, महामारी हमारे इलाके में नही है। यहां सार्वजनिक संवाद की जरूरत है। हम तभी सुरक्षित हैं जब अधिक लोग इसे लगवाएंगे। यह याद रखना चाहिये कि महामारी का फैलाव एक प्राकृतिक प्रक्रिया है।नए नए संस्करण मिलेंगे।ऐसे में ,लगातार निगरानी और विज्ञान ही हमें महामारी से मुकाबला करने के रास्ते बता सकता है।दवा की अनुपस्थिति में मास्क,टीका और भीड़भाड़ से दूर रहना ही उपाय है।
साभार द्वारा- अरविंद सरदाना..खबर टाइम्स जनहित प्रसारण!