शिवनाथ के रौद्र रूप से मची तबाही का जायजा लेने निकली शहर सरकार !एक्शन मोड में दिखे विधायक वोरा व मेयर बाकलीबाल!!!
दुर्ग के शिवनाथ नदी के खतरे से ऊपर बहने, बाढ़ के हालात पर जायजा लेने पहुंचे विधायक व मेयर ।
दुर्ग – शिवनाथ नदी खतरे से लगभग 10 फ़ीट ऊपर रौद्र रूप में बह रही है। दुर्ग के निचली बस्तियों में पानी घुसने से शहर के विधायक व मेयर नदी तट का जायजा लेने निकले। गंजपारा,पोटिया,महमरा सहित कई बस्तियां जलमग्न होने की कगार पर हैं। नदी के साथ ही शहर के नालों का पानी रिवर्ट हो बस्तियों में ही जमा होने लगा। लगातार तेज बारिश भी हो रही है और नदी में ऊपर से मोगरा बैराज से छोड़ा गया 70 हजार क्यूसेक पानी इसकी वजह बनी। शहर की दयनीय हालत का माजरा देखने व स्थिति का जायजा लेने इलाकाई द्वय जिम्मेदार प्रतिनिधि घर से निकलकर नदी तट पहुंचे। हालांकि प्राप्त जानकारी अनुसार बाढ़ की स्थिति से निपटने विधायक अरुण वोरा ने अधिकारियों को निर्देश देते हुए राहत व बचाव कार्य के प्रति मुस्तैद रहने कह चुके हैं। बावजूद इसके,आज बस्तियों में घूम घूम कर लोगों से संपर्क किया तथा हर स्थिति से निपटने का भरोसा दिलाया। मेयर धीरज बाकलीवाल भी साथ मे होकर निगम के अमले को साफ सफाई समेत बाढ़ में फंसे लोगों को सुरक्षित जगह पहुंचाने व खाने पीने की व्यवस्था कराने का निर्देश भी जारी किया है। शासन प्रशासन व मौसम विभाग एलर्ट जारी कर राहत व बचाव कार्य मे स्थानीय स्तर पर जुटने की बात कही है।
गौरतलब है, कि जब बरसात का मौसम आता है तभी जिम्मेदार जगते भी हैं। शहर की नालियां,बड़े नालों एवं बस्तियों के जल निकासी व्यवस्था की साफ सफाई यदि समय रहते होती रहती तो शायद बस्तियों में पानी भराव की स्थिति भी कम ही होती। कम बारिश में भी शहर की गलियां,सड़कें पानी भराव से जलमग्न हो जाती हैं।महज तमाशबीन बना प्रशासन खानापूर्ति तो कर देता है,लेकिन सुव्यवस्थित दूरगामी निजात नही कर पाता,एक वजह यह भी है इस वक्त हाथ पैर पटकने का। खैर,जो प्रचलन में व प्रशासन की परंपरागत व्यवस्था में परिपाटी चली आ रही है,परिणामस्वरूप हालात सामने हैं। यदि यही मुस्तैदी,जिम्मेदार समय रहते पूर्वानुमान के साथ रखते तो शायद शहर की हालत इतनी बदतर नही होती। बाढ़ तो एक दो दिन में ढल जाएगी,लेकिन बाद कि स्थिति से कैसे निपटान होगा यह भी प्रशासन व जनप्रतिनिधियों की सोच व मुस्तैदी पर निर्भर है।
दुर्ग निगम बाढ़ पीड़ितों को प्रदान की राहत सामग्री-हालांकि,प्रशासन ने कुछ लोगों को राहत सामग्री बांटकर उन्हें सुरक्षित जगह लाने का कार्य किया है। शासन के आपदा प्रबंधन विभाग का बजट इसकी ढाल बनता है,आपदा प्रबंधन विभाग इसी समय काम पर देखा जाता है। निगम आयुक्त प्रकाश सर्वे बाढ़ पीड़ितों से मिलकर उनके व्यवस्था भोजन-पानी व रहने तथा स्वास्थ्य के बारे में जानकारी लेते हुए निगम अमला को चुस्त दुरुस्त रहने के निर्देश दिए हैं। हालांंकि दवाई,भोजन केे साथ रहने की समुचित व्यवस्था निगम द्वारा निर्धारित कर दी गई है।
बाढ़ ढल जाने के बाद,संभावित बदतर स्थिति से भी लड़ने तैयार हो प्रशासन-
बाढ़ ढल जाने के बाद जो हालात पैदा होंगे उनसे निपटने प्रशासन की क्या व्यवस्था है,इस पर भी गौर करना जरूरी होगा। एक बारगी जब जलमग्न बस्तियों से पानी निकलेगा तब नालियों,गलियों,घरों में फंसे मलवे की दुर्गंध व गंदे पेयजल से निपटने की व्यवस्था प्रशासन को तगड़ी करनी होगी,ताकि किसी भी तरह की फैलने वाली बीमारी से जनता को बचाया जा सकेगा,इस पर भी नगर निगम,स्वास्थ्य विभाग व जिला प्रशासन को चेतना व एलर्ट रहना होगा। बरसात में ही और खासकर ऐसे हालात में डेंगू,मलेरिया,पीलिया और टाइफाइड जैसी बीमारियां घर करती हैं,अतएव एहतियातन इस पर भी प्रमुखता से टीम बनाकर कार्य करने की जरूरत है। ताकि,प्यास लगने पर कुआं खोदने की स्थिति से बचा जा सके।