कई बार भारत पर हुए आक्रमण से भी नही डिगा सनातन,हमारी पारिवारिक इकाई ही हमारे हिंदुत्व की है ताकत,सनातनी संत समागम के आयोजन को लेकर हुई बैठक,19 को होगा शंखनाद.
परिवार ही राष्ट्र की सबसे अनमोल व अंतिम इकाई है उसके द्वारा ही राष्ट्र की संकल्पना को शक्ति मिलेगी-आरएसएस प्रचारक प्रेमशंकर जी
परिवार राष्ट्र की धुरी हैं-प्रेम शंकर जी
भारत मे कई आक्रंताओं मुगलों व अंग्रेजों ने चढ़ाई की लेकिन हमारी पारिवारिक एकरूपता व सांस्कृतिक विरासत को खत्म नही कर पाए,अब सनातन की अखंडता व हिंदुत्व की ताकत को एकजुट करने की है जरूरत.
रायपुर(छत्तीसगढ़)– आक्रांताओं द्वारा परिवार को तोड़ना संभव नहीं हो पाने के कारण ही मुगल व अंग्रेज भारत को पूर्ण रूप से जीत नहीं पाए। उन्होंने तलवार के दम पर हमारी सम्पदा एवं भूमि तो हथिया लिया, परंतु हमारा धर्म व संस्कृति की सबसे प्रबल इकाई “परिवार” को प्रभावित नहीं कर पाए। उक्त बातें आरएसएस के प्रांत प्रचारक प्रेम शंकर ने श्री राम मंदिर की बैठक में कही.
बता दें कि,हिन्दू स्वाभिमान जागरण एवं सामाजिक समरसता के लिए संत यात्रा निरन्तर जारी है,जो कि राज्य के चारों दिशाओं से निकलकर रायपुर में धर्म समागम में इकट्ठी होगी.समागम की तैयारी हेतु रायपुर वी आई पी रोड स्थित श्री राम मंदिर में पंडितों,धर्माचार्यों, सामाजिक प्रमुखों,आचार्यों व ब्राह्मणों की बैठक शनिवार को आहूत की गई. जिसमे 19 मार्च को होने वाली संत समागम धर्म सभा के आयोजन व क्रियान्वयन की रूपरेखा तय की गई है.इस बैठक में आरएसएस के प्रांत प्रचारक प्रेम शंकर जी,मन्दिर के पुजारी हनुमंत जी,विश्व हिंदू परिषद के पदाधिकारी,विभिन्न मंदिरों के पुजारी,कर्मकांडी ब्राह्मण एवं अन्य धर्मनिष्ठ लोग उपस्थित रहे.
प्रेम शंकर जी ने सभी सदस्यों से कुशलक्षेम पूछकर यात्रा के उद्देश्यों एवं तैयारियों के साथ-साथ, यात्रा के दौरान संतों को मिल रहे आदर सत्कार एवं विराट समर्थन से अवगत कराया।बैठक में आर एस एस प्रचारक ने राष्ट्र की अवधारणा के महत्व को रेखांकित किया जिसमें परंपरा ,संस्कृति ,व्यवहार रहन-सहन के साथ धर्म को इस पृथ्वी पर उपलब्ध वनस्पति, जंगल, नदी, पहाड़ के साथ पशु-पक्षी एवं पारिवारिक व्यवस्था के महत्व को उकेरा। उन्होंने बताया की दो हजार वर्षों से भारत भूमि पर बसने वाले हिंदुत्व को रौंदने का प्रयास किया जाता रहा है जिसमें आक्रांताओं द्वारा हमारे मंदिर, मठ, गुरुकुल को नष्ट कर भारत के अध्यात्म व संस्कृति को छिन्न भिन्न करने के सारे प्रयास किए गए, परंतु आज भी समाज में वेद, पुराण, उपनिषद से लेकर हमारे पूर्वजों की मान्यताएं आज भी जीवित है, जिसका कारण भारतीयों की सबसे उत्तम व अंतिम व्यवस्था “परिवार” ही है। उन्होंंने कहा कि,वामपंथियों की सबसे बड़ी दुखती रग हमारे देश के परिवार ही थे, जिसको तोड़ने का प्रयास उन्होंने फिल्मों, पत्र-पत्रिकाओं एवं धारावाहिको के माध्यम से भरपूर प्रयास किया, परन्तु पूर्ण रूप से सफल नहीं हो सके ।आज भी इतने आधुनिक पाश्चात्य परिवेश के बावजूद हर परिवार में कोई एक व्यक्ति ऐसा होता ही है जो पूर्वजों की हजारों साल पुरानी संस्कृति, संस्कार, परंपरा को बताने एवं उसका निर्वहन करने-कराने का प्रयास करता ही है, जिसके कारण हमारी राष्ट्रीयता जीवंत रूप से दिखाई देती है।
किसी भी संस्कार में पाश्चात्यता की कितनी भी आधुनिकता रहे परंतु वनस्पति, मिट्टी से तिलक, मौली धागे की महत्ता को समाप्त करना संभव नहीं हो पाया है जो हमारे देश में परिवारिक पृष्ठभूमि के कारण ही संभव है। इस चर्चा व बैठक तथा सनातन सभा का प्रमुख प्रसारण कार्य देख रहे राज्य के सीए मदन उपाध्याय ने सभी का आभार प्रकट करते हुए होने वाले संत समागम सभा के आयोजन को सफल बनाने हेतु प्रदेश के सभी सनातन प्रेमियों, धर्माचार्यों व समाज प्रमुखों व कर्मकांडी विद्वत जनों का आह्वान किया है.ताकि हिन्दू राष्ट्र की अवधारणा पर छत्तीसगढ़ राज्य की धमक संस्कृत व संस्कार अनुरूप सुदृढ़ दिखे और सनातन का झंडा अखंडता के साथ लहराता रहे.