बिना गो प्रतिष्ठा हिन्दू राष्ट्र की परिकल्पना अधूरी
गोपाष्टमी के दिन श्री विद्या मठ में गौ भक्तों की बैठक आज।पूज्य शंकराचार्य ले रहे देश भर के गौ भक्तों की बैठक

- प्रयागराज- “गावो विश्वस्य मातरः” के सूत्र को ध्यान में रखते हुए गो माता को राष्ट्र माता बनाने के लिए इन दिनों ज्योतिर्मठ के वर्तमान पूज्य शंकराचार्य स्वामी श्री अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने “गो माता राष्ट्र माता” महाभियान का शंखनाद किया है।
आज दोपहर 12 बजे से 2 बजे तक होगी बैठक
आज गोपाष्टमी तिथि के पुनीत पर्व पर वाराणसी में केदारघाट स्थित श्री विद्या मठ में 36 राज्यों के गौ प्रमुखों की बैठक आहूत की गई है। इस बैठक में प्रमुख रूप से ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वयं उपस्थित रहेंगे। दोपहर 12 बजे से 2 बजे तक प्रमुख विन्दुओ पर चर्चा होगी और रणनीति बनाई जाएगी। इस बैठक में सभी राज्यों के गौ सांसद राज्य प्रभारियों की उपस्थिति होनी है। भारत यात्रा के प्रभारी ब्रह्मचारी मुकुंदानंद जी,महासचिव देवेंद्र पांडेय समेत कई गणमान्य संगठन प्रमुख भी शामिल हो रहे हैं। यह बैठक आगामी कार्ययोजना की रणनीति के लिए है। जिलेवार गो ध्वज स्थापना करने और सनातनियों को एकजुट करने की रणनीति पर मंथन होनी है। माँ गंगा के पावन तट पर बसे श्री विद्या मठ से कई महत्वपूर्ण फैसले हिन्दुओ के मंदिरों की रक्षा व गंगा बचाओ आंदोलन के लिए जा चुके हैं, जिसका सार्थक परिणाम सामने है। अब सनातन की मूल कही जाने वाली गाय माता को राष्ट्र माता बनाने का अभियान युद्ध स्तर पर इसी मठ से संचालित है,जिसका परिणाम भी विजय गाथा लिख सकेगा। क्योंकि पूर्व की सफलता व परिणाम पर ही वर्तमान व भविष्य की कल्पना की जाती है।
गो प्रतिष्ठा को लेकर पूरे भारत की कर चुके हैं यात्रा-बता दें कि, गो माता को राष्ट्र माता की प्रतिष्ठा दिलाने के लिए पूरे भारत की यात्रा ज्योतिष्पीठाधीश्वर ने कर लिया है। हर राज्य की राजधानी में गो प्रतिष्ठा ध्वज की स्थापना करके हिन्दू समाज को इस महाअभियान में जोड़ने का कार्य किया गया है। इससे पूर्व गो संसद का आयोजन प्रयागराज व दिल्ली में किया जा चुका है। अब पूरे भारत में गाय को राष्ट्र माता बनाने का माहौल बना हुआ है।
पहले शंकराचार्य जिन्होंने गो प्रतिष्ठा हेतु किए भारत यात्रा-
ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी श्री अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती एक मात्र ऐसे शंकराचार्य हैं जिन्होंने हिन्दू धर्म की आत्मा व मूल कही जाने वाली गौ माता की प्रतिष्ठा व संवर्धन को लेकर भारत की यात्रा की । ज्योतिष्पीठ के 55 वें आचार्य के रूप में प्रतिष्ठित शंकराचार्य ने गो संसद आयोजित कर भारत की यात्रा की है। पूरे देश में पूज्य शंकराचार्य को इसकी सराहना मिल रही है। हिन्दू मंदिरों,वेद गुरुकुल, गाय, गंगा ,गायत्री और सनातनी परंपरा के प्रखर पक्षधर हैं ज्योतिष्पीठाधीश्वर । खुलकर इन मुद्दों पर यदि कोई बात करता है तो शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज, यह सकल विश्व जानता है। इनकी लोकप्रियता भी सत्य व शास्त्र सम्मत बोलने की है।
पीएम मोदी का सांकेतिक समर्थन,बिना गो माता हिन्दू राष्ट्र की बात करना बेमानी –
कुछ दिनों पूर्व भारत के प्रधानमंत्री का अपने निवास में गौ माता को गले लगाकर फ़ोटो वायरल हुआ था। लोगों का कहना है कि यह निश्चित रूप से पूज्य शंकराचार्य के गो प्रतिष्ठा आन्दोलन का ही सकारात्मक परिणाम है,जिसका सांकेतिक समर्थन पीएम मोदी ने किया है। अब हर जगह गाय की चर्चा हो रही है। हिन्दू राष्ट्र की परिकल्पना भी बिना गाय के प्रतिष्ठा अधूरी है। जो लोग भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने की बात कह रहे हैं उन्हें पहले गौ माता को राष्ट्र माता बनाने की पहल करनी पड़ेगी। जब भारत की माता गो माता को राष्ट्र माता का सम्मान मिलेगा तो निश्चित रूप से भारत देश भी हिन्दू राष्ट्र बन सकेगा। बिना इसके हिन्दू राष्ट्र की कल्पना करना कोरी साबित होगी।
देश भर के हिन्दू संतों को होना होगा एकजुट,बनाना होगा माहौल –
सनातन धर्म में गाय को वेद माता व वेद लक्षणा कहकर पूजा गया है। सभी प्रमुख अवतारों का कारण ही गो माता हैं।भगवान राम,भगवान कृष्ण के साथ ही सभी महापुरुषों ने गाय की पूजा व रक्षा को मूल बताया है। जो भी संत मंचों पर कथा भागवत कहते हैं उन्हें गो माता को राष्ट्र माता घोषित करने का समर्थन मंचों से करना होगा तभी सार्थक परिणाम सामने आएगा। यदि संतों के मंचों से इस बात की उद्घोषणा होगी तो सभी सनातनी एकजुट होकर माहौल बनाएंगे। बद्रिकाश्रम के शंकराचार्य ने जो लोककल्याण का बिगुल फूंका है उसका स्वागत देश भर के सभी सनातनी संतों व लोगों को शिरोधार्य कर एकजुट होना पड़ेगा। सत्ता भी तभी कोई कानून पारित करती है जब उसका एकजुटता से माहौल बनता है। शायद,इसी की प्रतीक्षा केंद्र सरकार भी कर रही है। हिंदुओं को जगाने का कार्य जगद्गुरू शंकराचार्य कर रहे हैं अब संतों व सनातनियों को भी एकजुट होकर अपने मूल की रक्षा करनी होगी।