By- एस शेखर.
रायपुर/छत्तीसगढ़– अपने मूलभूत अधिकारों व सुविधाओं की मांग को लेकर धरने पर बैठे राज्यभर के पटवारियों पर आई आफत.राज्य सरकार ने अपने विशेषाधिकार का प्रयोग कर हड़ताल पर लगा दिया प्रतिबंध। यह प्रतिबंध भूपेश सरकार ने लगाया है। अब पटवारी- कर्मचारी 3 महीनों तक कोई भी हड़ताल नही कर सकते हैं। हालांकि 3 महीने बाद राज्य में आचार संहिता लगने की भी सँभावना जताई जा रही है,क्योंकि आगामी कुछ महीनों बाद राज्य में विधानसभा का चुनाव भी है।
15 मई से धरने पर बैठे पटवारियों को अब हड़ताल समाप्त करना होगा। राज्य भर के लेखपाल/पटवारी अपनी कई मांगों को लेकर हड़ताल पर बैठे थे जिस पर सरकार ने कठोर कारवाई करते हुए विशेष धारा का प्रयोग कर प्रतिबंध लगा दिया है। जोर जबरदस्ती के लिए पहचानी जाने वाली सरकार कर्मचारियों की कोई भी मांग को सुनने और मानने की बजाय उन पर अपने वजूद का ठप्पा लगाकर जबरन कुचलने व उनकी मांगों को विफल करने का काम करती रही है। आज भी वही किया गया,जिससे 23 दिनों से हड़ताल पर बैठे सरकारी कर्मचारियों को सरकार के आगे मजबूर होना पड़ा है।
राज्य सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ अत्यावश्यक सेवा संधारण तथा विच्छिन्नता निवारण अधिनियम, 1979 की धारा 4 की उपधारा 1 तथा 2 में प्रदत्त शक्तियों को प्रयोग में लाते हुए राजस्व विभाग के पटवारियों के लिए यह आदेश जारी किया है। यह आदेश 7 जून से प्रभावीशील किया गया है और आगामी 3 महीने के लिए प्रभावशील रहेगा।
उल्लेखनीय है कि इस एक्ट के अंतर्गत राजस्व विभाग से जुड़ी अत्यावश्यक सेवाएं भी आती हैं। शासन ने लोकहित में यह निर्णय लिया है। पटवारियों के हड़ताल के चलते शिक्षा सत्र चालू होने एवं रिक्त पदों की भर्ती प्रक्रियाधीन होने से विद्यार्थियों को जाति, निवास एवं आय प्रमाण पत्र प्राप्त करने में कठिनाई हो रही है।
इन जरूरी दस्तावेजों के नहीं बनने से इन विद्यार्थियों को आने वाली दिक्कतों को संज्ञान में लेते हुए यह आदेश जारी किया गया है। साथ ही कृषि कार्य भी आरंभ होने वाला है। ग्रामीण क्षेत्रों में सीमांकन, बटांकन और नामांतरण की कार्यवाही शासकीय योजनाओं का लाभ लेने अत्यावश्यक है। पटवारी प्रतिवेदन के अभाव में राजस्व न्यायालयों का कार्य प्रभावित हो रहा है।
इन सभी दिक्कतों को दृष्टिगत रखते हुए यह निर्णय लिया गया कि अत्यावश्यक सेवाओं की पूर्ति में बाधा होने से लोक हित प्रभावित हो रहा है और लोगों का कार्य सुचारू रूप से हो सके, उन्हें किसी तरह की दिक्कत न आये, इसके चलते यह आदेश जारी किया गया है।
क्या है एस्मा : आवश्यक सेवा अनुरक्षण कानून (एस्मा) हड़ताल को रोकने के लिए लगाया जाता है। एस्मा लागू करने से पहले इससे प्रभावित होने वाले कर्मचारियों को किसी समाचार पत्र या अन्य दूसरे माध्यम से सूचित किया जाता है। एस्मा अधिकतम छह महीने के लिए लगाया जा सकता है और इसके लागू होने के बाद अगर कोई कर्मचारी हड़ताल पर जाता है तो वह अवैध और दण्डनीय है।