तो क्या कांग्रेस का भरोसा बनेंगे अशोक गहलोत या फिर बने रहेंगे राजस्थान के मुखिया?
गहलोत पर ही क्यों फिदा कांग्रेस
सचिन पायलट तो क्या संभालेंगे राजस्थान या फिर पार्टी तलाशेगी कोई और चेहरा?
राहुल गांधी अध्यक्ष क्यों नहीं? सोनिया का भरोसा राहुल पर क्यों नही,अशोक पर क्यों?
ये तमाम सवाल उस वक्त और लाजमी हो जाते हैं,जब कांग्रेस पर संकट के बादल मंडरा रहे हों। इस वक्त कांग्रेस कई विषम परिस्थितियों से जूझ रही है। ईडी का शिकंजा हो या फिर महाराष्ट्र की गठबंधन की सरकार का खात्मा सभी पर भाजपा का कड़ा पहरा है। देश में कांग्रेस में अब गैर गांधी अध्यक्ष की मांग पर पार्टी में अंदरूनी कलह व रार मची हुई है। गुलाम नबी आजाद अब कांग्रेस से आजाद होने अपनी मंशा जाहिर करते हुए नाराजगी का ठीकरा राहुल गांधी पर फोड़ा है,इससे और खलबली मचना स्वाभाविक है। जिस राहुल गांधी के पसन्दी का पहाड़ा पढा जा रहा था उसी चहेते राहुल गांधी के ऊपर कांग्रेसी सिपाही द्वारा आरोपों की झड़ी लगा देना अब सोनिया गांधी के लिए मुश्किल खड़ी कर दी है। ऐसे में क्या होगा कांग्रेस का,यह ही चिंता का विषय है। अशोक गहलोत ही ऐसे सिपाही हैं जिसपर अंतरिम अध्यक्षा सोनिया गांधी भरोसा कर सकती हैं,या फिर गहलोत के ऊपर बंदूक रखकर निशाना साधा जा रहा है। सचिन पायलट भी मौके की तलाश में हैं कि राजस्थान का मुख्यमंत्री पद उन्हें मिल सकता है। कुछ भी हो कांग्रेस पर संकट की दोहरी मार पड़ी है जिससे बड़े ही सावधानी से निपटना होगा। इधर क्या कहते हैं अशोक गहलोत जानें!
मुझे हाई कमान जो कहता है मैं वो करता हूं. मेरी पार्टी ने जब भी जो भी हुक्म दिया है मैंने एक अनुशासित सिपाही की तरह पूरा किया है.’ अशोक गहलोत
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से जब पत्रकारों ने पूछा कि क्या वो कांग्रेस के अध्यक्ष का पद स्वीकार करेंगे तो उन्होंने यही जवाब दिया.
अशोक गहलोत ने मंगलवार को दिल्ली में कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाक़ात की. इस मुलाक़ात के बाद मीडिया रिपोर्टों में ये कहा गया कि सोनिया गांधी ने उनसे कांग्रेस का अध्यक्ष पद स्वीकार करने के लिए कहा है.
राजस्थान में पार्टी की आंतरिक राजनीति झेल रहे अशोक गहलोत के लिए ना सोनिया गांधी के आदेश पर इनकार करना आसान है और ना ही राजस्थान का मुख्यमंत्री पद छोड़ना.