तो क्या हो जाती मॉब लिंचिंग? बच्चा चोर के शोर में भगवाधारियों पर भीड़ का प्रहार,कर दी बेदम धुनाई,राज्य की सुरक्षा व्यवस्था पर उठे सवाल.
दुर्ग स्टेशन में भिक्षा मांगकर गुजारा कर रहे घुमन्तु साधुओं पर बरपा कहर,पड़ी बेदम मार से अस्पताल में भर्ती.चारोडमे भीख मांगना पड़ गया भारी.पुलिस ने समय पर पहुंचकर बचाई जान.एसपी पल्लव का निर्देश,किसी भी अफवाह पर ध्यान न दें,हिंसात्मक रुख न अपनाएं,कानून को हाथ मे लेने से बचें.
छत्तीसगढ़/दुर्ग-भिलाई-
मॉब-लिंचिंग की जैसे हालात,जा सकती थी जान?तो क्या पुलिस समझ गई इसकी गंभीरता?एसपी ने जारी किया निर्देश,अफवाहों पर न दें ध्यान,न लें कानून हाथ मे.
अक्सर यह कहा जाता है कि “भीड़ का कोई चेहरा नही होता और शायद इसी कारण से भीड़ मे मौजूद लोग सही और गलत के बीच फर्क नही कर पाते हैं”.
एक तरफ अधर्म पर धर्म की विजय,अनीति पर नीति की विजय का गुणगान कर आस्था,विश्वास और भक्ति का पर्व विजयदशमी मनाई जा रही थी,रावण दहन की राख ठंडी हुई नही रही होगी,की साधुओं की कुटाई शुरू हो गई। हालांकि,गेरुवा रंग का वस्त्र धारण कर लेने मात्र से कोई साधु नही हो सकता.और संदेह में भी किसी अनहोनी को अंजाम दे देना हमारी सभ्यता नहीं. यह दोनों बातें एक दूसरे के पूरक हो सकती हैं। जब कोई घटना घट जाती है,तब उसका विश्लेषण किया जाता है। दुर्ग वर्तमान समय मे राज्य का हाइप्रोफाइल जिला है। जहां प्रदेश का नम्बर 1 व नम्बर 2 दोनों अंकों की गंभीरता बतौर शासन में बैठे जिम्मेदारों की ओर इंगित करता है.
जमकर हुई कुटाई,तीन संदिग्धों की हालत गंभीर-
मुख्यमंत्री के थानांतर्गत भिलाई-3 के चरोदा बस्ती में एक दर्दनाक घटना घटी है.जिसमे 3 तथाकथित साधुओं की जमकर कुटाई हुई है। यह धुनाई आशंका व सन्देह पर भीड़ तंत्र ने किया है.आशंका थी बच्चा चोरी के गिरोह की,जिसमे भगवाधारी 3 लोग संदेहास्पद माने गए थे.हालांकि,यह कोई गिरोह के लोग नही,बल्कि भिक्षावृत्ति करने वाले घुमन्तु फक्कड़ लोग थे,इसको पुलिस ने माना है.अब सवाल यह उठता है,की क्या बच्चाचोर की अफवाह सच है,जो घटनाएं महज वायरल हो रही हैं,उनमें क्या सच्चाई है,और कितनी है? यदि सच्चाई है तो पुलिस इसको लेकर कितना सच और कितना झूठ,के आधार पर जागरूकता विषयक कोई मुहिम चलाई ? यदि ऐसी अफवाहों पर,जहां जनमानस किसी बड़ी घटना या अनहोनी को भूलबस अंजाम दे सकती है,उस सन्दर्भ में एहतिहात बरतना आवश्यक हो जाता है। जो स्थानीय प्रशासन को करना चाहिए.और यदि इस तरह की घटनाएं इलाके में नही घटी हैं,तो यह ख्याल किसी व्यक्ति के मन मे कैसे आया?क्या कोई हरकत संदिग्ध तीनो लोग कर रहे थे या यह किसी योजना का हिस्सा था?यह तमाम प्रश्न इस निंदनीय व गंभीर हमलावर घटना पर उठने लाजमी हैं.
क्या है घटना –
एक टैम्पो में बैठकर तीन लोग जो कि गेरुवा वस्त्र जिसे भगवा भी कहा जाता है,में थे. वे भिलाई-3 थानांतर्गत,चरोदा बस्ती में भिक्षा प्राप्ति के उद्देश्य से गये हुए थे. चेहरे पर दाढ़ी,बड़े बाल,और भगवा वस्त्र देखकर लोगों ने साधु ही माना है,लेकिन बच्चा चोर की संदेहास्पद आवाज को सुनकर उनकी धुनाई भी कर दी है.यह वाकया तब हुआ, जब किसी ने इन लोगों की बातें किसी बच्चे से होते देखा,उसे लगा कि ये अंजान चेहरे कहीं न कहीं साधु के रूप में चोर भी हो सकते हैं। संदेहास्पद स्थिति में उसने बच्चा चोर की रट लगाते हुए जोर जोर से शोर कर लोगों को इकट्ठा कर लिया,वही आवाज भीड़ की आवाज बन गई और अंजाम में लात घूंसे बरसने शुरू हो गए,परिणामतः साधुओं की सूरत-शिरत व हुलिया बदहाल हो गए.उनकी जान भी जा सकती थी,यदि समय पर उन्हें बचाया नही गया होता तो.
गुस्साई भीड़ किसी भी अंजाम तक जा सकती थी-
भीड़ का कोई चेहरा व कोई सभ्यता एवं संस्कार नही होता,भीड़ भीड़ होती है,वहाँ सिर्फ आवाज और इशारा काम करता है.यहां भी वही हुआ.तथाकथित साधुओं को पकड़ कर रस्सी में बांधा गया और जमकर कुटाई की गई,भीड़ में बस एक ही आवाज सुनाई दे रही थी..मारो.मारो..ये साले बच्चा चोर हैं. यह वीडयो वायरल हुआ तो पूरे इलाके में आग की तरह खबर फैल गई कि साधु की शक्ल में बच्चा चोर घूम रहे हैं। जरा,याद करें कि इसी तरह गुस्साई भीड़ कहीं कहीं जगह बेगुनाहों की जान भी ले चुकी है। संदेह में उठाया गया कदम,पश्चाताप पर खत्म होता है,जिसकी गुंजाइश कम बचती है। लोगों ने तो भीड़ की उग्रता को यहां तक बताया,कि बीच बचाव करने पहुंची पुलिस को भी धक्कामुक्की का शिकार होना पड़ा.उन्हें भी चोटें आईं.इस तरह गुस्साई भीड़ का अंदाजा लगाया जा सकता है.इस पर जांच भी प्रस्तावित हो सकती है,उसकी गुंजाइश भी है.लिंचिंग की अनहोनी से बचाकर पुलिस ने निभाया कर्तव्य.
क्या है मॉबलिंचिंग-
जब अनियंत्रित भीड़ द्वारा किसी दोषी को उसके किये अपराध के लिए कभी कभी मात्र अफवाहों के आधार पर ही,बिना अपराध किये भी तत्काल सजा दी जाए अथवा उसे पीट पीट कर मार डाला जाए तो इसे भीड़ द्वारा की गई हिंसा या मॉब लिंचिंग कहा जाता है.
इस तरह की हिंसा में किसी कानूनी प्रक्रिया या सिद्धांत का पालन नही किया जाता और यह पूर्णतः गैर-कानूनी होते हैं. तीनो की स्थिति भी महज ऐसी ही थी,परन्तु,ईश्वर की नेक नियति ने जान तो बच गई पर बेदम हो गए भगवाधारी भिक्षार्थी.
कौन हैं ये लोग,क्या हुई कार्रवाई-
पुलिस का कहना है कि उक्त लोगों की शिनाख्त कर ली गई है,ये तीनो राजस्थान के अलवर जिले के रहने वाले हैं। यहां, रेलवे स्टेशन के पास स्थित रैन बसेरा में रहकर भिक्षावृत्ति करते हुए अपना पेट पालते हैं। चरोदा बस्ती भी इसी कार्य से गये होने की संभावना व्यक्त की गई.साधु लोग एक बच्चे को प्रसाद खिला रहे थे,कि किसी ने हल्ला मचा दिया कि बच्चा चोर घुस आए हैं बस्ती में,और इसी पर बवाल मच गया और पिट गए गेरुवाधारी साधु लोग.
पुलिस का कहना है,कि तीनों लोगों की हालत को देखते हुए,उन्हें अस्पताल ले जाकर प्राथमिक उपचार कराया गया तथा भीड़ के खिलाफ अज्ञात में प्राथमिकी दर्ज कर ली गई है। पतासाजी की जा रही है,कार्रवाई की जाएगी.जल्द ही खुरापाती लोग पकड़ लिए जाएंगे, भीड़ में 30-35 लोगों की शिनाख्त की जाने की खबर है,जिस पर कार्रवाई हो सकती है.एसपी काफी सतर्क व एक्शन मोड। में लग रहे हैं,अनुमान है कि एकात दिन के अंदर ही अपराधियों को पकड़ लिया जाएगा.
दुर्ग जिला पुलिस अधीक्षक डॉ अभिषेक पल्लव ने इसकी गंभीरता को समझते हुए,लोगों को आगाह करते हुए कहा है,कि लोग किसी भी तरह के भ्रामक अफवाहों पर न पड़ें और न ही इस तरह की घटना को अंजाम दें,कोई भी व्यक्ति कानून को हाथ मे लेने से बचे.किसी भी मामले की सूचना पुलिस को देने की बात की है। हालांकि,जिला एसपी डॉ पल्लव इन मामलों की संवेदनशीलता समझते हैं,और इसी को लेकर जांच भी होनी चाहिए.
वीरान राजनीतिक गलियारों में सुनाई देने लगा शोर-
इधर,इस घटना को देखते हुए राजनीतिक पटाक्षेप के स्वर सुनाई देने लगे.चूंकि यह घटना कांग्रेसी मुख्यमंत्री व गृहमंत्री के गृह जनपद से जुड़ी है,अतएव इसकी आलोचना भी उन्हें झेलनी पड़ेगी,इसी का फायदा उठाते हुए विरोधी खेमे में हलचल तेज हो गई है. कांग्रेस सरकार में भगवाधारी साधुओं की बेरहमी से पिटाई का मामला सामने आने पर सियासत गरमा गई है.इस पर भाजपा नेताओं ने कांग्रेस सरकार पर जमकर हमला बोला है.पुलिस प्रशासन व सुरक्षा तंत्र पर सवाल उठाए गए हैं.जिसमे राज्यसभा सांसद व भाजपा की वरिष्ठ नेत्री डॉ सरोज पांडेय ने सवाल दागे हैं.उन्होंने ट्वीट कर प्रदेश की सुरक्षा व्यवस्था पर प्रश्न उठाते हुए चिंता व्यक्त की है और इस घटना को निंदनीय बताया है.
दुर्ग में तीन साधुओं को बच्चा चोरी के आरोप में लहुलुहान करने का समाचार दुखद है।
जब मुख्यमंत्री और गृहमंत्री के गृहजिले में यह आलम है तब समूचे प्रदेश में कानून-व्यवस्था की क्या हालत होगी यह बड़ा सवाल है।
बेहतर होता कि कांग्रेस के नेता अनर्गल बयानबाजी करने की जगह कुछ काम कर लेते। https://t.co/sxo5ghELHp pic.twitter.com/TRFC9ycvnb
— Saroj Pandey (@SarojPandeyBJP) October 6, 2022
इसी तरह रायपुर में प्रदेश के पूर्व मंत्री राजेश मूणत ने भी कांग्रेस की सुरक्षा व्यवस्था की पोल खोलते हुए खिंचाई की है.
भूपेश जी ! छत्तीसगढ़ में अपराधी लोगों के खून से खेल रहे हैं…आपका गृहजिला ख़ौफ़ और मातम से अशांत है।।। और आप भौरा चलाने में व्यस्त हैं… आपकी असंवेदनशील छत्तीसगढ़ के लोगों को चुभ रही है..@bhupeshbaghel @tamradhwajsahu0 pic.twitter.com/6bAOxsI7QL
— Rajesh munat (@RajeshMunat) October 6, 2022