छत्तीसगढ़धार्मिकरायपुर

सत्य को मार्ग बताने वाला ही सनातन धर्म है,राष्ट्रीय”हिंदुत्व”परिचर्चा का आगामी कार्यक्रम रायपुर में

रायपुर – सनातन का अर्थ है जो शाश्वत हो,सदा के लिए सत्य हो।जिन बातों का शाश्वत महत्व हो वही सनातन कही गई है। जैसे सत्य सनातन है। ईश्वर सत्य है,और इस सत्य को मार्ग बताने वाला धर्म ही सनातन धर्म भी सत्य है।

वैदिक या हिन्दू धर्म को इसलिए सनातन धर्म कहा जाता है क्योंकि यही एकमात्र धर्म है जो ईश्वर,आत्मा और मोक्ष को तत्व और ध्यान से जानने का मार्ग बताता है। सनातन धर्म के मूल तत्व सत्य,अहिंसा,दया,क्षमा,दान,तप,जप,यम-नियम आदि हैं,जिनका शाश्वत महत्व है। अन्य प्रमुख धर्मों के उदय के पूर्व वेदों में इन सिंद्धान्तों को प्रतिपादित कर दिया गया था।पांडित्य कर्म कांड विधा ही इसका स्वरूप है। जो लोग इस परम् तत्व परब्रह्म परमेश्वर को नहीं मानते वे असत्य में गिरते हैं।

पूर्णमदः पूर्णमिदं पूर्णात पूर्णमुदच्यते,पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते!!

ईश उपनिषद.में कही गई यह बात सर्वथा सत्य व सनातन है। इसी तारतम्य में रायपुर में मिशन सनातन के तत्वावधान में तुलसी मंगलम चंगोरा भाटा में राष्ट्र धर्म एवं नगर के शक्ति,ध्यान तथा धर्म स्थल-देवालयों के पुजारी,पुरोहित,कथावाचक एवं धर्माचार्यों का सम्मेलन संपन्न हुआ। नगर एवं आसपास के गाँव बस्ती से लगभग 150 ब्राह्मण सादर आमंत्रित किये गए।

जिनके साथ राष्ट्रीय सनातन मंच के सदस्यों एवं मुख्य वक्ता श्री राम मंदिर (वी आई पी रोड) के महंत “हनुमंत जी” तथा योगाचार्य “उमाशंकर शर्मा जी “ने पुजारियों की समस्याएं एवं निदान पर विचार- विमर्श किया, साथ ही भविष्य में पुजारियों के हितों की रक्षा हेतु कार्य करने एवं संगठित रहने का संकल्प लिया गया।

“पं हनुमंत जी”ने अपने वक्तव्य में कहा की आधुनिक स्वचालित यंत्र के द्वारा आरती बंद कर घर-घर जाकर या फोन कर मंदिरों में आरती के समय कम से कम 11 भक्तगण एकत्रित करें, वहीं योग गुरु ” उमाशंकर शर्मा जी” ने पुजारियों एवं आचार्यों के साथ- साथ सभी सनातनियों से आह्वान किया है कि प्रतिमाह की 4 तारीख को भारतीय परिधान पुरुष “धोती कुर्ता”एवं महिलाएं“साड़ी” दिवस के रूप में मनायें।

व्याख्यान देते मिशन सनातन के प्रमुख एम एम उपाध्याय

 

पुजारियों द्वारायह सुझाव दिया गया कि मंदिरों में आरती- पूजा के समय युवाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए आधुनिक वाद्य- यंत्र का प्रयोग करना आवश्यक है तथा पुजारियों को यजमानों के घर जाकर बच्चों के संस्कार करने से लेकर धर्म ज्ञानं हेतु प्रेरित करना चाहिए साथ ही उनके साथ सार्थक, धार्मिक, व्यवहारिक एवम तर्किक विचार- विमर्श करना आवश्यक है ।

कार्यक्रम में संस्कृत विषय में उच्चतर शिक्षा ग्रहण कर चुके युवा शास्त्री भी उपस्थित थे, उनका सुझाव आया है की समाज उनके ज्ञान का सदुपयोग नहीं कर पा रहा जबकि वे लोग गुरुकुल के माध्यम से बच्चों को वेद ज्ञान एवं संस्कार देंने में सक्षम हैं ,परन्तु सुविधाओं के आभाव में वे ऐसा करने में सक्षम नहीं हो पा रहे हैं। संस्था के सदस्यों ने इस विषय पर संकल्प लिया की “मिशन सनातन” दिसंबर माह के पहले इन समस्याओं का निराकरण कर सार्थक कदम उठाएंगे ताकि इन युवा विद्वानों के ज्ञान का समाज को लाभ मिल सके। कार्यक्रम के द्वारा राष्ट्र उत्थान का प्रथम स्थल “देवालयों” की दिशा- दशा एवं समाज में पंडित,आचार्य,पुरोहित के दायित्व,कर्तव्य एवं महत्व के साथ सामान्य जन को सहज एवं सुचारू जीवन के लिए पंडित, आचार्य, पुरोहित की आवश्यकता एवं सार्थकता पर विमर्श सार्थक निष्कर्ष तक सफल रहा।

मिशन सनातन द्वारा एक गैर व्यावसायिक सामाजिक व्यापार का सुझाव दिया गया, जिसमें पूजन सामग्री एवं अन्य धार्मिक पुस्तकों का विक्रय मंदिरों में आचार्य – पुरोहितों के द्वारा किया जाये और उसका लाभ पुजारी अपने जीवन यापन के उपयोग हेतु करें तो धर्म उत्थान की प्रक्रिया में उतरोतर गति प्रदान होगी। आगे भी सनातनी परंपरा को रेखांकित करने व समाज मे और अधिक मजबूत करने कार्यक्रम आयोजित होने जा रहा है,जिसमे भागीदारी सुनिश्चित की जानी चाहिए।

इस संगोष्ठी का प्रसारण देखने के लिए आप “eManch” यूट्यूब चैनल पर लॉगिन कर देख सकते हैं साथ ही अपने सुझाव प्रेषित कर इस महान कार्य में अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर सकते हैं।

 

Khabar Times
HHGT-PM-Quote-1-1
IMG_20220809_004658
xnewproject6-1659508854.jpg.pagespeed.ic_.-1mCcBvA6
IMG_20220801_160852

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button