फिर छापा छत्तीसगढ़ को ईडी ने,इसके मायने क्या? कलेक्टर,माइनिंग हेड,सीए और नेताओं के ठिकानों पर ईडी के छापे.
गढ़बो नवा छत्तीसगढ़ में छापे ही छापे ? उठने लगे सवाल,आखिर कहां से आ रहा चिन्हांकित लोगों के पास इतना धन.की पड़ने लगे ईडी के छापे.मुख्यमंत्री को क्यों कहना पड़ गया कि यह राजनीतिक प्रतिद्वंदिता है.ऐसे अन्य मामलों में क्यों नही होती कार्रवाई.
रायपुर (छत्तीसगढ़)– मौजूदा समय मे छत्तीसगढ़ एक ऐसा राज्य बन गया है जहाँ केंद्रीय जांच एजेंसियां बार बार आने का मन बना ली हैं.जाहिर है,कि यहां की प्राकृतिक छटा का प्रतीक मैनपाट देखने तो नही आती होंगी,निःसन्देह अपना कार्य छापेमारी करने ही आती हैं। लेकिन नतीजतन खाली हाथ लौटना पड़ता है? जो कि अब सवाल बन गया है इसे समझना.एक बार आज फिर बड़ी रेड (छापेमारी) राज्य के कई जिलों में धनकुबेरों के यहां की गई है.जिसमे प्रशासनिक अधिकारी भी लपेटे में हैं और सीए भी.नेता व्यवसायी तो हैं ही. जांच एजेंसी केंद्र सरकार के अधीन,और सरकार है भाजपा की,जहां छापे पड़ रहे हैं वे राज्य सरकार के चहेते हैं और यहां सरकार है कांग्रेस की. यहां सवाल कई खड़े हो रहे हैं जो आपके भी जेहन में भी चल रहे हों. सवालों को जानने के पहले यह जाने की किसके हुई छापेमारी और कौन हैं वे लोग?
किसके यहां हुई छापेमारी-
राज्य में मंगलवार को पहुंची ईडी की तीन टीमों ने चिन्हांकित जिन लोगों के ठिकानों पर रेड की है,वे सभी सरकार के खासमखास व महत्वपूर्ण लोग हैं. जिनमे मुख्यमंत्री की करीबी और कृपापात्र सीएम ऑफिस की उपसचिव सौम्या चौरसिया,जिनके यहां बीते जून में ही छापेमारी हो चुकी है.कोयला कारोबारी कांग्रेस के नेता सूर्यकांत तिवारी,इनके यहां भी छापेमारी पूर्व में भी की जा चुकी है.इस बार दो नए ऐसे प्रशासनिक चेहरे ईडी के निशाने पर आए हैं जो आईएएस हैं और पति- पत्नी हैं.एक रायगढ़ कलेक्टर हैं रानू साहू तथा उनके पति आईएएस जे पी मौर्य जो अभी माइनिंग हेड हैं.साथ ही सीए विजय मालू और सत्ता पक्ष के नेता अग्नि चंद्राकर भी हैं.इनके ठिकानों पर ईडी की छापेमारी की गई.कुछ कारोबारी भी लिस्ट में शामिल किए गए हैं.
रायपुर,दुर्ग-भिलाई, रायगढ़,महासमुंद और रायपुर में छापेमारी कर ईडी ने बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया है.हालांकि जून जुलाई में आई टी की भी रेड पड़ चुकी है,जिसमे सूर्यकांत तिवारी सहित सौम्य चौरसिया के यहाँ साथ ही साथ अन्य कारोबारियों के यहाँ पड़े छापों से लगभग 200 करोड़ रुपये को जब्त करने की बात सामने आई थी.गहनों से भरा बैग और कैश बरामद कर टीमें रवाना हुई थी,परन्तु उसके बाद क्या हुआ इसकी जानकारी का सुराग नही लग सका.आई टी के बाद अब ईडी की रेड पड़ने से राजनीतिक व सत्ता पक्ष के गलियारों में हड़कंप मच गया है। हालांकि इस बार भी छापे में सोना,गहने और कैश मिलने की बात सामने आई है। मतलब,सीधा सा है कि “जब आओ तब पाओ” पहली बार दो सौ करोड़,इस बार भी लगभग उतनी ही रकम मिलने की आशंका जाहिर की गई है. यह सोचने वाली बात है कि एक तरफ बेरोजगारी और मंहगाई का रोना रोया जा रहा है और दूसरी तरफ धनकुबेरों के घर मे पूरे प्रदेश को महीने भर का राशन में लगने वाले दाम से भी ज्यादा पैसा मिलना,सियासत और सत्ता पर गहरा प्रश्न खड़ा करता है.राजनीति दोहरी मानसिकता का परिचायक तो नही जो आम आदमी को वेवकूफ भी बनाया जा रहा और दूसरी तरफ प्रशासनिक अधिकारी लूट मचाकर राज्य के नागरिकों का पैसा हड़प रहे हैं.देखने वाली बात यह होगी कि ईडी इस पर क्या कार्रवाई करती है.आय से अधिक संपत्ति रखने पर मामला दर्ज होगा या फिर वही जो होता आया है …जनता के जेहन में चर्चा व सवाल यही है.
ईडी के छापे के मायने क्या हैं?
जरा इस पर गंभीरता से गौर करें कि आखिर ईडी क्या है और क्या कर सकती है और क्यों पड़ सकते हैं छापे?
ईडी जिसे प्रवर्तन निदेशालय कहते हैं अंग्रेजी में इसका फुल्फार्म है Inforcement Directorate. यह एक सरकारी एजेंसी है, जो भारत मे आर्थिक अपराधों के खिलाफ कार्रवाई करने और आर्थिक कानूनों को लागू कराने का काम करती है.और इसका उद्देश्य वित्त मंत्रालय के तहत राजस्व विभाग द्वारा प्रशासित एक्सचेंज कंट्रोल लॉ के उल्लंघन से निपटने का है.
किस पर करती है कार्रवाई,और क्या हैं इनके अधिकार-
ईडी ऐसे सभी संस्थानों व व्यक्तियों पर कार्रवाई कर सकती है जो गलत तरीके से धन कमा कर उसे वैध बनाने की कोशिश की हो या उस धन पर टैक्स छिपाया गया हो,जो मनी लांड्रिंग के रूप में हो सकते हैं.यदि सीधे शब्दों में कहें तो यह कहा जा सकता है कि,जो अवैध रूप से कमाए गए धन को छुपाते हैं,उन पर कार्रवाई करने का अधिकार ईडी के पास है.छत्तीसगढ़ में भी यही मकसद हो सकता है.
बता दें कि, मनी लांड्रिंग,इनकम टैक्स फ्रॉड और आपराधिक मामलों में जांच करने का पूरा अधिकार ईडी,सीबीआई और आई टी को होता है. आम लोगों की यदि बातें की जाय,तो उनका यक्ष प्रश्न यही भी है कि आखिर प्रदेश के तथाकथित धन कुबेरों के पास इतना पैसा आता कहाँ से है.और कुछ लोग ही चिन्हांकित क्यों किये जाते हैं जिनको जांच एजेंसियों का कोपभाजन बनना पड़ता है? और भी तो अधिकारी हैं और भी तो करोड़पति शहर व राज्य में हैं,लेकिन एजेंसियां इन्ही के पास कैसे पहुंचती है यह भी जांच व प्रश्न खुद से पूंछना चाहिए,क्योंकि छापेबाजी से कहीं न कहीं सरकार पर व राज्य की छवि पर भी प्रतिकूल असर पड़ता है.दूसरा यह भी की,ईडी इन पैसों का क्या करती है। आज तक जब्त राशियों को सार्वजनिक क्यों नही किया गया.इसे नागरिकों को भी बताना चाहिए,उनके भी समक्ष रखना चाहिए ताकि जांच की पारदर्शिता बनी रहे.उठने वाले सवालो का यह जबाब भी हो सकता है.
कार्रवाई पर राजनीतिक पलटवार के मायने क्या हैं-
दिलचस्प बात यह है कि उपरोक्त तीनो जांच एजेंसियों ने छत्तीसगढ़ में अपने अपने स्तर पर जांच एक एक बार कर चुकीं लेकिन अभी तक अपराधिक मामले दर्ज नही हो सके.अब यहां एक प्रश्न यह भी उठना स्वाभाविक है, कि क्या नवा छत्तीसगढ़ राज्य गढ़ने में मनी लांड्रिंग के केस ज्यादा हो गए हैं या फिर कोई केंद्रीय सरकार की विपक्षी राजनैतिक प्रतिद्वंदिता है? जिसे प्रदेश के मुख्यमंत्री ने हाल ही में किये गए छापेमारी को लेकर मीडिया में इसे प्रकट किया था.मुख्यमंत्री ने पिछली बार के छापेमारी को राजनैतिक प्रतिद्वंदिता करार दिया था और कहा था कि भाजपा की केंद्र सरकार राज्य सरकार पर सीधा हमला न कर केंद्रीय जांच एजेंसियों के माध्यम से दबाब बनाने की कोशिश में लगी है.हालांकि इसकी कोई जबाबी प्रतिक्रिया केंद्रीय सरकार की तरफ से नही दी गई थी.सवाल यह भी उठना लाजमी है,आखिर,अभी तक छापामार कार्रवाई में अपराध पंजीबद्ध क्यों नही और जो कुछ जांच एजेंसी को मिला उसे सार्वजनिक क्यों नही किया जा रहा है. यह प्रश्न स्थानीय लोगोँ के हैं.लेकिन यह भी सच है कि और प्रदेशों में भी ईडी कार्रवाई कर रही है.इसे राजनीतिक करार देना भी बहुत उचित नही लगता.क्योंकि सच यही है,जहां आग लगती है वहीं धुआं भी उठता है,बिना आग के धुआं उठना तर्कहीन है.
एक मामला ऐसा भी इस पर भी होगी कार्रवाई?
ज्ञातव्य है कि अभी कुछ ही समय पहले भिलाई के एक निजी बैंक में एक सामान्य आदमी के खाते में कई करोड़ों रुपए नगद रूप से लेनदेन किए गए और विदेशों से भी करोड़ों रुपए खाते में आए. इस मामले में किसी प्रकार की कोई जांच नहीं हुई.एक सामाजिक, कर्मचारी यूनियन के नेता प्रभुनाथ मिश्र ने अधिवक्ता सतीश त्रिपाठी के माध्यम से उच्च न्यायालय में ईडी और इनकम टैक्स से जांच की मांग करते हुए याचिका भी लगाई है. इस याचिका में इन जांच एजेंसियों के प्रमुख राज्य स्तरीय अधिकारियों पर क्रिमिनल मामला बनाकर जांच करने का आग्रह किया गया है.लेकिन इस पूरे मामले में आज तक किसी जांच एजेंसी ने कोई कार्यवाही नहीं की.अभी तक मामला लंबित है.