गंगा किनारे बनेगा आर्गेनिक कॉरिडोर,पर्यावरण संरक्षण को मिलेगा बढ़ावा
मोटे अनाज जिन्हें मिलेट्स कहा जाता है,बढ़ावा मिलेगा और श्री अन्न योजनान्तर्गत किसानों को किया जाएगा समृद्ध.प्रयागराज के गंगा तट पर बसे गावों को चिन्हांकित कर की जाएगी शुरुआत
प्रयागराज– प्रयागराज की सदानीरा पतित पावनी गंगा के किनारे जैविक को संवारने की पहल सूचीबद्ध की जा रही है.इसको लेकर कार्य करने की रूपरेखा बनाई जा रही है. देश के किसानों यानी अन्नदाताओं को मजबूत बनाने तथा लोगों को स्वस्थ रखने इस वर्ष सरकार ने “श्री अन्न योजना”की शुरुआत की है.यह देश के अमृतकाल का पहला ऐसा कदम है जिसमे मोटे अनाजो को सार्वजनिक तौर पर बढ़ावा दिया जा रहा है जिसको सरकार खुद आगे ले रही है.अमृतकाल के पहले बजट में किसानों की इस योजना के साथ जैविक को बढ़ावा देने के लिए वित्तमंत्री ने 2200 करोड़ की योजना पोषित करने की जगह बजट में सुनिश्चित की है.
सदानीरा के किनारे बसे गावों में श्री अन्न योजना को लागू करने जिला प्रशासन ने योजनाबद्ध तैयारी में लगा है.किनारे के 111 गावों में जैविक खेती की जाएगी जो नदी तट पर होंगे.इस बार मैदानी तट पर बसे गांवों को तथा किनारों को जैविक संरक्षण प्रदान किया जायेगा जिसे ऑर्गेनिक क्लस्टर बनाकर अमलीजामा पहनाया जाना है.मोटे अनाजों की खेती को बढ़ावा देने के लिए श्री अन्न योजना की शुरुवात भारत सरकार ने की है.इससे जैविक खेती का रकबा भी बढ़ेगा और संतुलित पौष्टिक आहार भी देश को उपलब्ध होगा.
जिले में गंगा किनारे के 111 गांव तथा आसपास के 5 किलोमीटर में स्थित 88 गांवों में आर्गेनिक कॉरिडोर बनाने के लिए किसानों के क्लस्टर बनाये जाएंगे जो किसानों के जैविक समूहों के नाम से होंगे.इन 199 गांवों के लगभग 10 हजार किसानों को जैविक खेती के लिए प्रशिक्षित भी किया जाएगा.इस प्रशिक्षण में जैविक उत्पाद के साथ ही कृषि यंत्रों की खरीद करने अनुदान भी प्रदान किया जाएगा ताकि जैविक की उत्पादकता में बढ़ोतरी कर किसानो को समृद्धशाली बनाया जा सके.सरकार जैविक प्रमाणीकरण,विपणन,व्यापार,एवं ब्रांडिंग में सहायता देगी,जिससे किसानों को लाभ मिल सके.जैविक खेती के लिए 30 हजार हेक्टेयर रकबा बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है.इसमे मोटे अनाज की खेती को बढ़ावा दिया जाएगा,जिसके लिए बाजार भी उपलब्ध कराया जाएगा.कृषि विभाग से मिली जानकारी के अनुसार,जैविक खेती को इस वर्ष विशेषरूप से बढ़ावा देने के लिए प्रशासन व शासन स्तर पर बड़े बदलाव किये गए हैं जो कि मिलेट्स के लिए प्रोन्नत किये गए हैं.जैविक खेती से मिट्टी की उर्वरक क्षमता,जैव विविधता और पानी की गुणवत्ता को बनाये रखती है.सदानीरा के किनारे जैविक उत्पादन से पर्यावरण संरक्षण को बल मिलेगा साथ ही नदी की निर्मलता भी बनी रहेगी.केमिकल युक्त खेती से निजात मिलेगी और स्वस्थ पोषक आहार जनमानस को उपलब्ध होगा,इसके लिए कृषि विभाग पूरी जीवटता से तैयारी में लगा है.