प्रयागराज

एक तरफ जश्ने आजादी तो दूसरी ओर किसानो को छलक रहे दर्द से राहत का इंतजार!कब मिलेगा फसलों को खाना पानी?

 क्षेत्र की समितियों में डीएपी खत्म होने से किसान हो रहे हैं परेशान,एक तरफ अमृत महोत्सव का जश्न तो दूसरी तरफ जीवन तलाश रही फसलों का दर्द.

प्रयागराज – धान की रोपाई लगभग हो गई है। अब किसानों को फसल के लिए खाद चाहिए,लेकिन खाद की किल्लत होने से किसान निराश व रोषयुक्त दोनों हैं। फसल को खाना-पानी की जरूरत है अब । किसान कहते हैं कि फसलों के लिए डीएपी खाना है तो वहीं यूरिया पानी की तरह काम करता है,जिससे फसलों का पोषण मिलता है। यदि दाना पानी मतलब खाना पीना नही होगा तो विकास रुक जाएगा। फसलों के लिए खाद ही खुराक है और अब वही खुराक सहकारी समितियों में खत्म हो गया है।

दोहरी मार झेल रहे किसान,अब काफी हैं परेशान- 

साधन सहकारी समितियों में खाद के स्टॉक का खत्म होना किसानों की चिंता का कारण है। जिले के पथरा न्यायपंचायत में सहकारी समिति में खाद न होने की वजह से क्षेत्र के किसानों में अब चिंता की लकीरें साफ दिखने लग गई हैं। वहीं कपूरी बढ़ईया की सोसायटी में भी खाद खत्म है। डीएपी की पहली खेप ही किसानों को नही मिल रही है। प्राइवेट दुकानों में ब्लैक में बढ़े रेट पर खाद खुलेआम बिकती है लेकिन इस बार वहाँ भी किल्लत है। किसानों को दोहरी मार झेलनी पड़ रही है। एक तो खाद की बढ़ी कीमत और दूसरी खाद न मिल पाना इस वक्त सबसे बड़ी मार हिअ किसानों के लिए। कपूरी के किसान अशोक कुमार मिश्र का कहना है कि किसी तरह किसान खेती मजदूरी करके अपनी जीविका चलाता है,और अन्न उगाकर एक तरह से अपनी ही नही बल्कि अन्य लोगों को भोजन देने का भी काम करता है। लेकिन यदि देखा जाय तो सबसे ज्यादा दुखी व परेशान किसान ही है। हमने इस बार किसी तरह खेत मे रोपाई तो करा ली लेकिन खाद नही मिल पाने से फसल खराब हो रही है। सहकारी समिति में खाद नही मिल पा रही है,जिससे गाँव व आसपास के किसान परेशान हैं। ब्लैक रेट में खाद की विक्री करने वाले बड़े स्तर के दुकानदार इसका फायदा उठा कर खाद ब्लैक में बेचते हैं,जिससे गरीब किसानों को इसका दंश झेलना पड़ता है। अशोक ने कहा कि यदि जल्दी सहकारी समितियों में खाद उपलब्ध नही होती तो फसलें खराब हो जायेगीं,किसानों का काफी नुकसान होगा।

आजादी के अमृत महोत्सव पर जीवन तलाश रहीं धान की फसलें-  एक तरफ पूरे देश मे आजादी के 75 साल को सेलिब्रेट करने जश्न मनाया जा रहा है। उस तिरंगे को हर घर मे फहराने की पुरजोर कोशिश की जा रही हैजिस तिरंगे को बनाने में किसानों व जवानों ने अपनी शहादतें दी हैं। स्वतंत्रता के 75 साल हो गए,लेकिन किसान आज तक अपनी आजादी का जश्न नही मना पाया? कभी प्राकृतिक आपदा तो कभी सरकारों की मनमानी उदासीनता,बढ़ती मंहगाई और सस्ते रेट पर फसलों की खरीद तो अब खाद की अनुपलब्धता,हमेशा किसी न किसी पीड़ा से जूझता रहा किसान,देश के साथ फिर भी खड़ा मिलता है।

क्षेत्र के किसानों,दलितों,मजदूरों व जरूरतमन्दों की लड़ाई लड़ने वाले अधिवक्ता विवेक सिंह बताते हैं कि कई बार साधन सहकारी समितियों पर जाकर खाद स्टॉक करने की बात की गई,लेकिन हीलाहवाली कर उदासीन बने सोसायटी के जिम्मेदार पदाधिकारी लापरवाही करते हैं। सरकारें किसानों को फायदा पहुंचाने का भ्रम पैदा कर उनके साथ छल करती रही हैं। डीएपी खाद न मिल पाने से किसानों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। यदि समय पर खाद नही मिलती तो फसलो का उत्पादन प्रभावित होगा। एक तरफ सरकार हर घर झंडा लगाने की बात कर रही है वहीं दूसरी ओर किसान अपनी जीविका के झंडे को बचा पाने की चिंता में इधर उधर समितियों का चक्कर लगा रहे हैं। अधिवक्ता विवेक सिंह रानू कहते हैं कि जब फसलों को पानी देने की बारी आती है तो नहर धोखा देती है और जब खाद की बारी आती है तब सोसायटियां। अब किसान आखिर करें तो क्या करें। आजादी का अमृत महोत्सव बिना किसानो के खुशहाली के अधूरा है। जिला प्रशासन व शासन से जल्द से जल्द खाद की उपलब्धता कराये जाने की मांग मीडिया व सोशल मीडिया के माध्यम के साथ ही जनसुनवाई फाउंडेशन के सशक्त मंच से की गई है। उम्मीद में बैठे किसान अब डीएपी खाद मिलने अपनी बारी की प्रतीक्षा में हैं।

 

Khabar Times
HHGT-PM-Quote-1-1
IMG_20220809_004658
xnewproject6-1659508854.jpg.pagespeed.ic_.-1mCcBvA6
IMG_20220801_160852

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button