छत्तीसगढ़दुर्ग भिलाईरायपुरस्वास्थ्य

सावधान! सिंगल यूज प्लास्टिक से बढ़ रहा खतरा, पॉलीथिन के यूज से बचें अन्यथा लग सकता है जुर्माना!

हर इंसान कर रहा 70 हजार माइक्रोप्लास्टिक का सेवन,स्वास्थ्य व पर्यावरण दोनों पर मंडरा रहा है खतरा

 –    दुर्ग-     सरकार ने यह फरमाना सुनाया है कि सिंगल यूज प्लास्टिक आने वाले महीने यानी जुलाई की पहली तारीख से ही प्रतिबंधित हो जाएगी ,ऐसा फैसला राज्य सरकार लेने जा रही है। इसकी जानकारी जिला प्रशासन ने दी है। जिला प्रशासन, नगर निगम प्रशासन ने कहा है कि शहर व जिले में सिंगल यूज प्लास्टिक पर रोक लगेगी सभी इसमें सहयोग दें ताकि सिंगल यूज प्लास्टिक के खतरे से खुद को व पर्यावरण को बचाया जा सके। क्योंकि सिंगल यूज प्लास्टिक से हमारे पर्यावरण पर काफी खतरा पैदा हो रहा है। यानी हम जो डेली यूज में पन्नी,पॉलिथीन का यूज कर रहे हैं उस पर पूर्णतः प्रतिबंध लग जायेगा, ऐसा सरकार का कहना है। इसको बाजार में बेचने पर जुर्माना भी लग सकेगा। राज्य में अब इस पर प्रतिबंध लगाने शासनादेश भी पारित हो रहा है। दुर्ग निगम ने जारी विज्ञप्ति में 1 जुलाई से सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाने जैसी बात की है।

सावधान! पॉलीथिन का यूज करने पर की जाएगी कार्रवाई – शहर के नगर आयुक्त व महापौर ने इसके लिए लोगों से अपील करते हुए कहा है कि पॉलीथिन का यूज न करें और न ही दुकानदारों से इसकी डिमांड करें। यदि कोई दुकानदार इसको बेचते पाया जाता है तो उस पर जुर्माना लगाकर उसके ऊपर प्रतिबंधात्मक कार्रवाई की जाएगी।

जाने, क्या है सिंगल यूज प्लास्टिक – सिंगल यूज प्लास्टिक यानी जिसे दोबारा से रिसाइकिल नही किया जा सकता है। जिसकी वजह से काफी कूड़ा फैलता है जो काफी नुकसानदेह होती है। जैसे, पालीथिन,पन्नी,स्ट्रॉ इत्यादि सामानों से पर्यावरण को काफी नुकसान पहुंचता है।

सिंगल यूज प्लास्टिक से क्या होता है नुकसान – बता दें कि,इस तरह के प्लास्टिक से सिर्फ जानवरों को ही नही बल्कि इंसानों पर भी पड़ता है बुरा असर.इसके अंदर जो केमिकल होता है उससे इंसान व पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है।प्लास्टिक की वजह से मिट्टी का कटाव काफी होता है।इसके अंदर का केमिकल बारिश के पानी के साथ जलाशयों में जाता है जो काफी खतरनाक होता है। हर साल करीब 11 लाख समुद्री पक्षियों और जीवों की प्लास्टिक की वजह से मौतें होती हैं। अगर आप सोचते हैं कि सिर्फ जानवर ही इसके प्रभाव से प्रभावित होते हैं तो यह बिल्कुल गलत है। इंग्लैंड के शोधकर्ताओं ने एक स्टडी की थी जिसमे यह तथ्य सामने आया था कि एक इंसान हर साल 70 हजार माइक्रो प्लास्टिक का सेवन कर जाता है।

  • कितना हो रहा है इसका प्रयोग – दुनिया भर में हर मिनट लोग करीब 10 लाख प्लास्टिक की बोतल खरीदते हैं।
  • जितनी प्लास्टिक इस्तेमाल होती है,उसका 91 प्रतिशत करीब रिसाइकिल नही होती है।
  • एक अनुमान के मुताबिक हर साल दुनिया भर में करीब 40 हजार करोड़ प्लास्टिक की थैलियों का इस्तेमाल होता है,उनमें से सिर्फ 1 फीसदी ही थैलियों की रिसाइकिलिंग होती होगी।

इसको कैसे कम किया जा सकता है-प्लास्टिक के अतिप्रयोग को कम करने हम प्लास्टिक की थैलियों को कम से कम प्रयोग में लाएं। बाजार जाते समय घर से ही कागज या कपड़े की थैलियों का यूज करें। दुकानदारों से कपड़े के थैले की मांग करें,उनसे प्लास्टिक ,पन्नी या पालीथीन की डिमांड न करें।

 कोरम पूरा करने से बचे प्रशासन तब बन सकता है काम- अक्सर यह देखने को मिलता है कि सरकारें बरसात जब आती है तब तो मुहिम चलाती है,लेकिन जैसे ही एकाध महीना हुआ मुहिम व सख्ती फीकी पड़ जाती है। प्रतिबंधात्मक करवाई भी ठप्प पड़ जाने के कारण जनता व दुकानदार लापरवाही बरतना शुरू कर देते हैं। जिससे महज दिखावा बन कर रह जाता है अभियान।  ऐसा अभियान हर साल चलाया जाता है लेकिन महज दिखावा ही रह जाता है,अन्यथा अब तक तो काफी कम जाता इसका प्रचलन । 

सरकार यदि चाहे तो इसकी कड़ाई से पालन कर सकती है। जो दुकानदार पॉलीथिन में समान दे रहा हो उस पर प्रतिबंध लगाए,यदि समझाइस पर भी बात न बने तो जुमार्ना भी लगाया जा सकता है और दंडात्मक कार्रवाई भी करें ताकि डर पैदा हो और सिंगल यूज प्लास्टिक पर सख्ती हो सके ।इसको बनाने वाली कंपनियों पर रोक लगाये। तब बन सकेगी बात।

Khabar Times
HHGT-PM-Quote-1-1
IMG_20220809_004658
xnewproject6-1659508854.jpg.pagespeed.ic_.-1mCcBvA6
IMG_20220801_160852

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button