गौ वंश आश्रय स्थल अड़ियल रवैया की उदासीनता का चढ़ा भेंट,गायें बेसहारा घूम हो रहीं चोटिल,एसडीएम ने दिया पड़ताल का आदेश
धरातल पर दम तोड़ती योजनाओं की बानगी आई सामने.प्रधानपति ने किया अधिवक्ता संग अभद्रता.चोटिल गाय की सेवा कर अधिवक्ता अशोक मिश्र ने किया मानव धर्म का पालन,लेकिन गौ वंश आश्रय स्थल में न रखने का दंश झेल रहे गौ वंश बेसहारा.मामला कोरांव विकासखण्ड का.
गौ वंश आश्रय स्थल की दम तोड़ती योजना का पोल खोलता प्रधानपति का अड़ियल रवैया,चोटिल गाय को नही मिला आसरा-
कोरांव– उत्तरप्रदेश की योगी सरकार एक ओर जहां गौ-संरक्षण को लेकर काफी संवेदनशील है.ग्रामपंचायतवार गौ-वंश आश्रय स्थल का निर्माण करा कर किसी भी तरह से गायों को असुरक्षा से मुक्त करा सुरक्षित करने का उपक्रम किया है.लेकिन यह उपक्रम प्रयागराज के कोरांव ब्लॉक में कपूरी-बढ़ईया सिरियारी में फेल होता दिखता है.जिसकी बानगी खुलेआम देखने को मिली जिस पर मेजा एसडीएम ने जांच के आदेश भी दे दिए हैं.मामला गौ वंश आश्रय स्थल से जुड़ा हुआ है.गांव के ही सम्मानित व्यक्ति अशोक मिश्रा ने चोटिल-घायल गाय का इलाज व सेवा किया अब हालत में सुधार है,घाव भर गया है.चोट का घाव तो भर गया लेकिन गाँव प्रधानपति के अव्यवहार का जो घाव अनियमितता पर है उसको कैसे ठीक किया जाएगा यह एक यक्ष प्रश्न की तरह स्थानीय पंचायतीराज व्यवस्था पर कुठाराघात की तरह है.निम्नलिखित खबर व मामला दर्शाता है कि कैसे गावों में सरकारी योजनाओं का मखौल उड़ाया जा रहा है.
मामला इसी महीने की 16 तारीख के सुबह का है. जब गाँव के ही सम्मानित सामाजिक व्यक्ति अशोक कुमार मिश्र जो कि पेशे से अधिवक्ता भी हैं.एक गाय को लेकर पंचायत में बने “बाबा गौरक्षधाम गौ आश्रय स्थल” पहुंचते हैं और उसे वहां आश्रय देने की बात कर गाय को आश्रय स्थल में रखने का प्रयास करते हैं.लेकिन गाँव के प्रधानपति वरुण कुशवाहा ने यह कहते हुए मना करता है कि हम इसकी ठीकेदारी नही लिए हैं,यहां कोई भी गाय नही रखी जायेगी, इस गाय को आप यहां से तत्काल ले जाइए.चूंकि अशोक मिश्र गाँव के संभ्रांत आध्यात्मिक व्यक्ति हैं,उन्होंने उस बेसहारा गाय को उस वक्त अपने यहां शरण दी जब किसी ने घायल कर दिया था.चोटिल हुई गाय तड़प रही थी, उसी वक्त वकील साब की निगाह उक्त घायल गाय पर पड़ी,गौमाता की घायल पीड़ित हालात देखकर अशोक मिश्र जो कि जनसुनवाई फाउंडेशन के राष्ट्रव्यापी जनमंच जनपंचायत के ब्लॉक समन्वयक भी हैं, उसे अपने घर ले गए.भूसा चारा देते हुए पशु चिकित्सक की निगरानी में इलाज कराया.लगभग 4 महीने बाद जब गाय पूर्णतः स्वस्थ हो गई,घाव भर गया तो उसे गाँव मे बने गौ वंश आश्रय स्थल में रखने के लिए उक्त आश्रयस्थल पहुंचे,लेकिन वहां का माहौल ग्राम प्रधान के पति ने बिगाड़ते हुए प्रशासनिक अव्यवस्था की पोल खोल,सरकार की महत्वाकांक्षी योजना पर पानी फेरते हुए बेसहारा गाय को उक्त गौ-वंश आश्रय स्थल में रखने से मना कर दिया.और कहा कि भूसा चारा सरकार नही देती हम अपने पैसे से नही खिला सकते.इसकी जानकारी देते हुए अशोक मिश्र बताते हैं कि जब जोर जोर से प्रधानपति वरुण कुमार चिल्लाने लगा और कहने लगा कि जहाँ शिकायत करनी है कर लो,मेरा कुछ नही उखाड़ सकते,मैं जो चाहूंगा वह करूंगा गाँव का प्रधान हूँ. यह सब सुनकर ग्रामीण इकट्ठा हो गए मामले को शांत कराया गया.परन्तु गौ माता को उनका अधिकार नही मिला जो मिलना चाहिए था.
अब यहां,सवाल यह उठता है कि शासन स्तर पर योजनाएं तो लांच कर दी जाती हैं, उद्देश्य भी जनहित का ही रहता है लेकिन धरातल पर वे दम तोड़ती नजर आती हैं? स्थानीय स्तर पर बिना किसी मौलिक मोनिटरिंग के मनमानी और उदासीनता के चलते उन योजनाओं की सार्थकता विफल रहती है.यही हाल यहां भी हुआ.यदि कागजात का निरीक्षण किया जाए तो शायद है कि लाखों रुपयों का वारा-न्यारा इस गांव में गौ वंश आश्रय स्थल में हुआ होगा.लेकिन धरातल पर यह भी रिपोर्र्ट मिली कि कई गायों ने बिना चारा भूसा के यहां दम भी तोड़ चुकी हैं.पंचायत स्तर पर अन्य सरकारी मदों से किये गए कार्यों की यदि जांच पड़ताल की जाय तो निश्चित तौर पर सरकारी राशि के गबन का मामला मिल सकेगा. कार्यों के भौतिक परीक्षण कराये जाने की मांग भी ग्रामीणों ने उठाई है.
एसडीएम से की शिकायत,जांच का निर्देश-
इस मामले की धमक उपजिलाधिकारी मेजा तक पहुंची है. लिखित शिकायत को संज्ञान में लेते हुए जांच के आदेश एसडीएम मेजा विनोद पांडेय ने दिया है.तहसील मेजा का उक्त गाँव विकासखण्ड कोरांव में पड़ता है,अतएव बीडीओ कोरांव व थाना प्रभारी कोरांव को मामले की पड़ताल कर अपराध पंजीबद्ध करने का निर्देश दिया है.गाँव का एक प्रतिनिधि मंडल इसकी शिकायत एसडीएम के समक्ष की है.हालांकि अशोक मिश्रा एक अधिवक्ता भी हैं,जो मेजा बार एसोसिएशन से जुड़ाव रखते हैं,उनके साथ यदि प्रधानपति इस तरह से अव्यवहारिकता से पेश आ सकता है तो आम ग्रामीणों से कैसे बात करता होगा,इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है.यह बातें सिरियारी गाँव के लोगों ने कहते हुए पंचायत स्तर पर किये गए कार्यों व गौ वंश आश्रय स्थल की जांच की मांग उठाई है.
महिला सशक्तिकरण पर उठता सवाल,प्रधान पतियों की दखलंदाजी से बढ़ रहा भ्रष्टाचार व निरंकुशता-
एक तरफ देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी महिलाओं के अधिकार व उनके सशक्तिकरण की बात करते नही थकते.महिलाओ को मुख्यधारा में लाकर उन्हें शीर्ष तक पहुंचाने व अधिकार संपन्न बनाने वाले राष्ट्र में अब भी जब कि देश की प्रथम नागरिक महिला हैं.उसके बावजूद भी गाँव पंचायतों व क्षेत्र पंचायतों में महिला प्रधान या अन्य जनप्रतिनिधियों के ऊपर उनके पति ही हावी होते हैं। मेजा-कोरांव के लगभग पंचायतों में यही हाल है.महिला प्रधान घर से निकलती नहीं है,जिन्हें की जनता ने चुना है.उनके पति कार्यों में दखल देते हैं,जिससे कई जगह अनियमितता की भी खबर आई है.इस पर न तो पंचायत विभाग के अधिकारी ध्यान देते और न ही जिलाधिकारी.हालांकि सरकार की तरफ से गजट होता रहा है की महिला जनप्रतिनिधियों को खुद जिम्मेदारी संभालनी होगी उनके कार्य मे पतियों की दखलंदाजी बर्दाश्त नही की जाएगी.यह खबर भी प्रकाशित हुई,लेकिन विकासखण्डवार मिलीभगत से सभी कानून व सरकारी फरमान छू मंतर हो जाते हैं.जो कि मेजा व कोरांव में प्रमुखता से देखने को मिलता है.