उत्तरप्रदेशप्रयागराज

मनरेगा योजना उद्देश्यपरक पर हो रही संगठित कूटरचना का शिकार

मनरेगा योजना का उद्देश्य रोजगार और पर्यारण संरक्षण को बढ़ावा देना है- उपायुक्त श्रम व रोजगार-

प्रयागराज–    देश मे रोजगार सृजित करने के कई उपाय हैं जिसमे एक महत्वपूर्ण कड़ी “मनरेगा”यानि महात्मा गांधी रोजगार गारंटी अधिनियम भी शामिल है.इस योजना के अंर्तर्गत ग्रामीण वंचित मजदूर परिवारों को रोजगार मुहैया कराया जाता है.बातचीत के दौरान रोजगार व श्रम उपायुक्त कपिल कुमार बताते हैं कि लोककल्याणकारी इस योजना का उद्देश्य मानव व प्रकृति को सहेजना और उनको मजबूत बनाना है.इस योजना के माध्यम से 100 दिनों का रोजगार गारंटी प्रदान की जाती है.निवास से 5 किलोमीटर के दायरे में रहने वाले व्यक्ति को रोजगार गारंटी में शामिल किया जाता है.उनके किये गए पारिश्रमिक का भुगतान बैंक खाते के माध्यम से किया जाता है जो सीधे हितग्राही के बैंक एकाउंट में भेज दिया जाता है.साथ ही इस योजना के तहत सरकार ने जो सुविधा व अधिकार दिए हैं उसमें काम के लिए आवेदन करने पर 15 दिवस में कार्य प्रदान किया जाता है.15 दिवस के भीतर कार्य नही दे पाने की स्थिति में राज्य सरकार उन्हें बेरोजगारी भत्ता प्रदान करती है.
इस योजनान्तर्गत ग्राम पंचायत आवास का कार्य,लघु सिंचाई का कार्य,बागवानी ,तालाब खुदाई,ग्रामीण संपर्क मार्ग निर्माण,भूमि विकास कार्य,गौशाला निर्माण कार्य आदि समाहित है

.इस प्रावधन के तहत मजदूरी दर भी निर्धारित है जो कि राज्यवार अलग अलग तय किया गया है.यदि हम उत्तरप्रदेश की बात करें तो मनरेगा में काम करने वाले लाभार्थी को 201 रुपये का पारिश्रमिक निर्धारित किया गया है.
हालांकि,इस रोजगार गारंटी योजना में घालमेल की भी गुंजाइश बनी हुई है.पहले से अब टेक्निकल दांवपेंच तो विकसित किये गए लेकिन भरष्टाचारी रास्ता भी निकलने में माहिर हैं जो कि ग्राम पंचायत प्रधान व पंचायत सचिव की मिलीभगत से कूटरचना भी की जाती है.कई जगह की गई शिकायतों पर यदि नजर डालें तो प्रायः यह देखने को मिलता है कि जो रियल में काम किये उनका पैसा भी किसी अन्य के खाते में ट्रांसफर किया गया और जो नही भी कार्य किये हैं उनको भी पैसा मिला .यह सब पंचायत प्रधान व सिकरेटरी की सांठगांठ कर संगठित भ्रष्टाचार का नतीजतन उदाहरण है.इस पर जब उपायुक्त से बात की गई तो उन्होंने कहा कि,ऐसी शिकायत मिलती जरूर है लेकिन गुंजाइश बहुत कम है,क्योंकि जॉब कार्ड धारक व हितग्राही के ही बैंक एकाउंट में कार्य की राशि भुगतान की जाती है.यदि कहीं कोई ठोस प्रमाण के साथ शिकायत आती है तो उस पर कारवाई भी होती है.
जिले के मेजा ब्लॉक अंतर्गत भइयां ग्राम पंचायत में मनरेगा को लेकर शिकायत है.उक्त गाँव के मनरेगा हितग्राहियों का आरोप है कि उनके द्वारा किये गए कार्य का भुगतान अभी तक नही किया गया है और जिन लोगों ने कार्य नही किया उनके खाते में पैसा भी आया है.हालांकि इसकी शिकायत भी बीडियो के पटल पर की गई है.लेकिन अभी तक कोई सार्थक प्रतिक्रिया व कार्रवाई सामने नही आई है.

Khabar Times
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