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गोपियों सा समर्पण हो तो पुरुषों को परमधाम प्राप्त हो सकता है.नारी सम्मान ही राष्ट्र समृद्धि का कारण !

गोपियों सा समर्पण हो तो पुरुषों को परमधाम प्राप्त हो सकता है.नारी सम्मान ही राष्ट्र समृद्धि का कारण !
प्रयागराज- जनपद के मेजा तहसीलअंतर्गत भ‌इयां स्थित श्री कृष्ण प्रणामी मंदिर में पांचवें दिन की कथा महिला सशक्तीकरण को परिलक्षित दिखाई देती प्रतीत हुई। श्रीमद्भागवत कथा वाचक श्री चेतन दास जी महाराज ने कहा कि वैदिक काल से प्रमाण है कि प्रकृति पूजक समाज सदैव से नारी को समानता का अधिकार दिया है। बाद के कालखण्डो में भी नारियां अपने दायित्वों के प्रति निष्ठावान रहीं और समय के साथ कन्धे से कन्धा मिलाकर परिवार, समाज और राष्ट्र की प्रगति में सहायक रहीं हैं । भारतीय संस्कृति विश्व के लिए कल्याणकारी रही है इसीलिए किसी जमाने में भारत विश्वगुरू रहा है। आज भी जिस घर की महिलाएं सुशिक्षित एवं संस्कारित हैं उस घर में खुशहाली है। “यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमन्ते तत्र देवता”को चरितार्थ करने के लिए आवश्यक है कि समाज दहेज जैसे कुरीतियों को दूर करने में पहल करे। गौरतलब है कि जनसुनवाई फाउंडेशन नारी सम्मान मेरा अभिमान का कार्यक्रम संचालित करते आ रहा है। फाउंडेशन के समन्वयक कमलेश मिश्रा ने बताया कि,श्रीमद भागवत कथा के इस आयोजन से ग्रामीणों में अध्यात्मिक चेतना का संचार हुआ है जिसमे परमहंस महराज की कृपा का प्रसाद निश्चित ही रूप से सुन्दरसाथो को मिलेगा।

कुछ कालखंड ऐसे रहे हैं जिसमें हमारी साधना कमजोर हुई और हमारा समाज अपने कर्तव्य पथ से भटकते हुए गुलामी का दंश भी झेलने हेतु मजबूर हुआ। आज हम सजग हैं और राष्ट्र विकास के पथ पर अग्रसर हैं। भागवताचार्य स्वामी चेतनदास महराज ने साधना के महत्वपूर्ण नियमों को विस्तार से जानकारी देते हुए कहा कि मनुष्य को आनंद प्राप्त करने के संकल्प को साधना से साकार किया जा सकता है। अषाढ़ प्रतिपदा के दिवस पर परमहंस महाराज जी का धामगमन दिवस होने के कारण सुबह से दोपहर बारह बजे तक बड़ी संख्या में श्रद्धालु एकत्रित होकर अपने सद्गुरु श्री परमहंस महाराज जी के यादगार में श्रद्धावनत होकर नमन वंदन करते हुए शान्ति पाठ करते रहे। तत्पश्चात खिचड़ी व पूड़ी के प्रसाद का वितरण किया गया।

आषाढ़ प्रतिपदा के दिन ही परमहंस महराज का हुआ था धामगमन,सुन्दरसाथ करते हैं व्रत-

मंदिर के महन्त श्री ब्रह्मानंद जी महाराज ने बताया कि विक्रम संवत 1918दिन रविवार अषाढ़ प्रतिपदा के ही तिथि पर सद्गुरु परमहंस महाराज जी द्वारा अपने अनुयायियों को बुलाकर योग-साधना में दीक्षित करते हुए उपदेशित किये। और सशरीर अन्तर्ध्यान हो गये।उसी परम्परा के तहत आज भी परमहंस महाराज जी के समस्त अनुयाई एकत्रित होकर श्रद्धा -सुमन अर्पित करते हुए परमहंस महाराज जी के बताए हुए मार्ग पर चलने हेतु संकल्पित होते हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि सद्गुरु श्री परमहंस महाराज जी का जन्मदिन भी इसी तिथि विक्रम संवत 1616दिन रविवार को हुआ था । संयोगवश इस वर्ष की अषाढ़ प्रतिपदा को भी दिन रविवार ही है। दिवस की खास विशेषता है कि ग्राम भ‌इयां, नेवादा, शाहपुर,हड़गड़,सुजनी-कौहट,रामपुर,कोसफरा, आदि क‌ई गांवों के श्रद्धालु हजारों की संख्या में एकत्रित होते हैं। ग्राम शाहपुर के बग्गू सिंह, अर्जुनसिंह, रामराज सिंह आदि ने बताया कि परमहंस महाराज जी की कृपा से गांव में सम्पन्नता एवं शान्ति है इसीलिए अपने गांव का जन्मोत्सव परमहंस महाराज जी के स्मृति दिवस पर ही मनाया जाता है।

कोरांव के विधायक आशीर्वाद लेने पहुंचे कथास्थल

कार्यक्रम स्थल पर क्षेत्रीय विधायक राजमणि कोल द्वारा मंदिर महन्त श्री ब्रह्मानंद जी महाराज एवं ब्यास पीठ पर विराजमान स्वामी चेतनदास जी महाराज का माल्यार्पण कर आशीर्वाद प्राप्त करते हुए कहा कि ग्राम पंचायत भ‌इयां में स्थित परमहंस महराज जी की प्राकट्य स्थलीय को पर्यटक स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा क्योंकि भौगोलिक स्थिति से संपन्न इस गांव में देश के कोने -कोने से सैंकड़ों श्रद्धालु आते रहते हैं। जंगली मिश्र,मलेटर , कृष्ण कुमार, गोविन्द प्रसाद,व श्रीकृष्ण प्रणामी मंदिर ट्रस्ट के पदाधिकारी राजेश्वरी प्रसाद मिश्र, सांवरे लाल, सूबा लाल, अवधेश जी ,राजकुमार, विजय कुमार तिवारी आदि द्वारा कार्यक्रम में आए सुन्दर साथ व अतिथियों का साल ओढ़ाकर सम्मानित किया गया।

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