‘राष्ट्रपत्नी’ गलत,तो ‘राष्ट्रपति’ कितना सही?
स्वतंत्रता के,75 साल बाद भी हम नहीं ढूंढ पाए 'राष्ट्रपति' का स्त्रीलिंग विकल्प!
- ‘राष्ट्रपत्नी’ गलत, तो ‘राष्ट्रपति’ कितना सही?
स्वतंत्रता के 75 साल बाद भी हम नहीं ढूंढ पाए ‘राष्ट्रपति’ का स्त्रीलिंग विकल्प!
नई दिल्ली। संजय शेखर
देश ‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’ मना रहा है, यद्यपि भाषा की एकरूपता के दृष्टिकोण से इसे ‘आज़ादी’ का नहीं वरन ‘स्वतंत्रता’ का ‘अमृत महोत्सव’ कहा और लिखा जाना चाहिए था, किंतु आधी उर्दू और आधी संस्कृत ने इसे हिंदुस्तानी खिचड़ी बना दिया। बात भाषा की हो तो इसमें मिलावट से बचा जाना चाहिए। क्योंकि मिलावट अशुद्धियों और परिणामस्वरूप भ्रम को ही जन्म देती है। आज हमारी पीढ़ी ‘योग’ को ‘योगा’ क्यों बोलती है! गणेश को गणेशा और कृष्ण को कृष्णा बोला जाने लगा है। संसद में अधीर रंजन ने ‘चूकवश’ राष्ट्रपति को ‘राष्ट्रपत्नी’ कह डाला। ऐसी चूक उनसे क्यों और कैसे हो गई? उनकी मानें तो ऐसा भाषाई ज्ञान की अपरिपक्वता के कारण हो गया। किंतु स्मृति ईरानी ने इस घोर-अपराध के लिए कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी को घेर लिया। इसमें सोनिया क्या करेंगी, उनकी हिंदी तो अधीर रंजन से भी गई बीती है। पर इस प्रसंग ने जो एक बड़ी बात सामने लाने का कार्य किया है वह यह कि देश अपनी स्वतंत्रता के 75 वर्ष उपरांत भी ‘राष्ट्रपति’ शब्द का स्त्रीलिंग नहीं ढूंढ सका है। इसकी आवश्यकता का अनुभव क्यों नहीं किया गया? जबकि दो महिलाएं इस पद तक पहुंच चुकी हैं। अंग्रेजी का प्रेसिडेंट शब्द उभयलिंगी है। महिला और पुरुष दोनों के लिए एक समान। किंतु हिंदी में राष्ट्रपति शब्द उभयलिंगी है या पुल्लिंग है, यह ज्ञान कितने भारतीयों को होगा? पति को प्रायः पुरुष या पुल्लिंग रूप में ही उपयोग में लाया जा रहा है। आम लोगों के भाषाई ज्ञान और प्रचलन के सापेक्ष यह कितना उचित है कि महिला (स्त्रीलिंग) के लिए भी इसे उसी सहजता से स्वीकार किया जा सके? तब द्रौपदी मुर्मू को ‘राष्ट्रपति’ कहा जाना क्या भाषा के मापदंडों के अनुरूप चूक का कारक हो सकता है? और क्या ‘राष्ट्रपत्नी’ कहा जाना अपराध हो सकता है?
पति अथवा स्वामी का उपयोग जब राष्ट्र के संदर्भ में किया जा सकता है, वर या husband के रूप में नहीं, तब इसी संदर्भ में पत्नी शब्द का उपयोग होने पर इसका अर्थ wife के रूप में क्यों निकाला जाना चाहिए? स्वामिनी के अर्थ में क्यों नहीं? स्वतंत्रता के महानायक यदि महात्मा गांधी न होकर कोई महिला रही होती, तो क्या उन्हें भी ‘राष्ट्रपिता’ ही कहा जाता? राष्ट्रमाता नहीं? और हां, भारत (राष्ट्र) को हम माता के रूप में मानते हैं, यही तथ्य हमारे सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का मूल आधार है, तब हम हमारी माता का किसी को पति या स्वामी कैसे कह सकते हैं?
पति, पत्नी और दम्पती जैसे शब्दों को, इनके वास्तविक अर्थ और प्रचलित उपयोग के बीच की भ्रांतियों के आधार पर शुद्ध अथवा अशुद्ध ठहराया जाना चाहिए था, किंतु यह कार्य आम लोगों पर छोड़ दिया गया। हुआ यह कि इन शब्दों के वास्तविक अर्थ विलुप्त हो गए।
यह शब्द इण्डो-यूरोपीय (भारोपीय) मूल के हैं। पति और पत्नी से आशय क्रमशः स्वामी और स्वामिनी से था और है। किंतु इन्हें Husband and Wife के रूप में उपयोग किया जाने लगा। संस्कृत के इतर ग्रीक इत्यादि भाषाओं में भी इनका मूल स्वरूप क्रमशः pótis तथा pót-nih परिकल्पित है। पती, पत्नी के रूप में नहीं, वरन स्वामी और स्वामिनी के रूप में। यही नहीं इन दोनों का सम्मिलित स्वरूप दम्पती भी भारोपीय मूल शब्द déms pótis माना गया है। यह शब्द जहां पति, पत्नी दोनों शासक या स्वामी हों, वहां युगल अर्थ में प्रयुक्त होता आया है। संस्कृत का दम्पती (हिंदी में दम्पति) शब्द पती-पत्नी के लिए तब उपयोग में लाया जाता जब दोनों सह-स्वामित्व रखते हों, जैसे विवाहोपरांत घर पर।
वाचस्पत्यम् के अनुसार पत्नी का पति से यज्ञ का सम्बन्ध है :
“पत्युर्नो यज्ञसम्बन्धे”। पत्नी की यज्ञ की स्वामिनी के रूप में ही व्याख्या है (न कि दासी के रूप में)। मनु संहिता 6.1.11.7 : “पत्नी इति हि यज्ञस्य स्वामिनीति उच्यते न क्रीता”।
पत्नी के साथ पति शब्द की व्याख्या भी आवश्यक है। वाचस्पत्यम् के अनुसार जो पालन, रक्षण, भरण आदि करे वह पति है, जो मूल (आधार) हो तथा गति दे :
“पतिः, पुं, (पाति रक्षतीति । पा ल रक्षणे + डतिः ।) मूलम् । गतिः । इति विश्वः ॥ पाणिग्रहीता । भातार इति भाषा ।”
पतिः, त्रि, (पाति रक्षति पालयतीति वा । “पते- र्डतिः ।” उणां । ४ । ५७ । इति डतिः ।) अधिपतिः । तत्पर्य्यायः । स्वामी २ ईश्वरः ३ ईशिता ४ अधिभूः ५ नायकः ६ नेता ७ प्रभुः ८ परिवृढः ९ अधिपः १० । इत्यमरः । ३ । ११० । ११ ॥
यद्यपि पति उभयलिंगी शब्द के रूप में भी प्रयुक्त है तथा विशेष अर्थ में स्वामिनी अथवा पत्नी के तात्पर्य में प्रयोग किया जाता है। यथा :— अष्टाध्यायी ४.१.३३ पत्युर्नः यज्ञसंयोगे ।
पति – पत्नी – दम्पति (युगल तथा गृहस्वामी दोनों अर्थ में) इनके इस क्रम में कुछ अन्य भाषाई शब्द यह हैं :
अल्बानियन : pata (पत)
लात्वियन, लिथुआनियन : pats (पत्स) — pati (पति)
गोथिक : -𐍆𐌰𐌸𐍃 (-फत्स — स्वामी, पति के उपसर्ग रूप में ही)
ग्रीक : πόσις (पोतिस) — πότνια (पोत्निआ) — δέσποινα (देस्पोइना — गृहस्वामिनी), δεσπότης (देस्पोतिस — स्वामी)
माइसेनियन ग्रीक : — 𐀡𐀴𐀛𐀊 (पोतिनिया)
लैटिन : potis (पोतिस)
अवेस्तन : 𐬞𐬀𐬌𐬙𐬌 (पति) — 𐬞𐬀𐬚𐬥𐬍 (पोथ्नी) — 𐬛𐬆𐬨𐬄𐬥𐬋.𐬞𐬀𐬚𐬥𐬍 (देमनोपथ्नी — गृहस्वामिनी), 𐬛𐬇𐬧𐬔 𐬞𐬀𐬙𐬋𐬌𐬴 (दङ् पतोइश — गृहस्वामी)
फ़ारसी : بد (बोद) — بانو (बानू)
पुरानी चर्च स्लावी : ⰳⱁⱄⱂⱁⰴⱐ (गोस्पोदी — स्वामी)
पत्नी और पति के लिए एकशेष द्वंद्व समास संस्कृत में है- दम्पती। अब क्योंकि दंपती में पति-पत्नी दोनों सम्मिलित हैं, इसलिए संस्कृत में इसके रूप द्विवचन और बहुवचन में ही चलते हैं अर्थात पति- पत्नी के एक जोड़े को “दम्पती” और दंपतियों के एकाधिक जोड़ों को “दम्पतयः” कहा जाएगा।
वस्तुतः इसमें जो दम् शब्द है उसका संस्कृत में अर्थ है पत्नी। मॉनियर विलियम्ज़ की संस्कृत-इंग्लिश-डिक्शनरी में जो कुछ दिया है, उसका सार है :
दम् का प्रयोग ऋग्वेद से होता आ रहा है धातु (क्रिया) और संज्ञा के रूप में भी। ‘दम्’ का मूल अर्थ बताया गया है पालन करना, दमन करना। पत्नी घर में रहकर पालन और नियंत्रण करती है इसलिए वह’ “घर” भी है। संस्कृत में ‘दम्’ का स्वतंत्र प्रयोग नहीं मिलता। तुलनीय है कि आज भी लोक में घर का एक अर्थ पत्नी है।
व्याकरण में दम्पती का समास-विग्रह किया गया : जाया च पतिश्च दम्पती। फिर स्पष्ट भी किया गया “जाया शब्दस्य दमादेशः” अर्थात् जाया शब्द का दम् आदेश हो जाता है। जाया शब्द दम् बन जाता है।
किन्तु वैदिक शब्दावली में ” दम ” पद गृह-वाचक है।
देखें – ऋग्वेद के प्रथम सूक्त का अष्टम मन्त्र-
॥ ” राजन्तमध्वराणां गोपामृतस्य ………. स्वे दमे ” ॥
सम्भाषण-संस्कृत में भी ‘ दम ‘ शब्द का प्रयोग गृह के लिए आजकल प्रचलन में नहीं है परन्तु – गृहस्वामी युगल (पति-पत्नी) के अर्थ में ” दम्पती ” शब्द का उपयोग संस्कृत सहित सभी भारतीय भाषाओं में होता है ।दोनों ही दम्पति = गृहपति है इसलिए पति-पत्नी के लिए दम्पती वैदिक शब्द है।
संस्कृत में पत्नी शब्द भी पति का स्त्री-प्रत्ययान्त रूप है जिसका अर्थ है स्वामिनी, किन्तु वैवाहिक यज्ञ के पश्चात्। किंतु ग्रीक इत्यादि भाषाओं में पत्नी शब्द का प्रचलन देवी और स्वामिनी के अर्थ में ही होता आया है। यह उसी प्रकार है जैसे कि श्रीमान और श्रीमती। श्रीमान से आशय यह नहीं कि व्यक्ति पति है, किंतु श्रीमती से यह मान लिया जाता है कि पत्नी है। यह उलझन अंग्रेजी के मिस्टर एंड मिसेज के कारण उत्पन्न हुई हो सकती है। आपको याद होगा कि लता मंगेशकर के अंतिम विदाई समारोह में पटल पर पहले “श्रीमती लता मंगेशकर” लिखा गया था, जो बहुत देर तक लिखा दिखा। किंतु बाद में श्रीमती हटा दिया गया। इसके स्थान पर ‘भारत रत्न’ की पट्टी लगाकर इसे ढंक दिया गया था। लता मंगेशकर आजीवन अविवाहित थीं। राज्य सरकार के अधीन वह समारोह था, तो क्या चूकवश श्रीमती लिख दिया गया था, अथवा भाषाई मिलावट की उलझन के कारण?
पति, लखपति, करोड़पति, अरबपति, राष्ट्रपति… यह सभी पति पुल्लिंग भावार्थ में ही प्रचलित हो चुके हैं। किंतु विकल्प के अभाव में स्त्री के लिए भी यही प्रचलन में हैं। तब आवश्यकता ही नहीं पड़ी होगी क्योंकि कभी विचार नहीं किया गया होगा कि स्त्री के लिए भी राष्ट्रपति का स्त्रीलिंग पर्याय होना चाहिए। जैसे सेनापति। इसका भी इसी कारण कोई स्त्रीलिंग पर्याय उपलब्ध नहीं है। क्षत्रिय का रहा है- क्षत्राणि। किंतु सेनापति का नहीं। कौन जानता होगा कि भविष्य में स्त्री भी सेनापति बन सकती है। यद्यपि विकल्प अवश्य था- सेनानायक, सेनानायिका। किंतु इसे अपनाया नहीं गया। आशय यह कि ‘पति’ का उभयलिंगी के रूप में प्रचलन नहीं रहा है। यदि है, तो अधीर रंजन को उलझन क्यों होती? यद्यपि स्वामी शब्द भी उपलब्ध है। पुरुष के लिए स्वामी और स्त्री के लिए स्वामिनी। इसमें कहीं कोई उलझन नहीं।
हो सकते हैं सुंदर विकल्प–
अत्यंत विचारणीय है कि क्या लोकतंत्र में कोई व्यक्ति इतना बड़ा हो सकता है कि उसे “राष्ट्रपति” ठहरा दिया जाए। वह राष्ट्र का पति या स्वामी कैसे हो सकता है? विशेषकर भारत में, जहां “राष्ट्र” को “माता” का सांस्कृतिक पद प्राप्त है। यहां “राष्ट्रपति” शब्द प्रचलन में कैसे है? क्या इस “चूक” को सुधारा नहीं जाना चाहिए? संघ, भाजपा, नरेंद्र मोदी और स्मृति ईरानी को राष्ट्रपति-राष्ट्रपत्नी से परे उठ प्रेसिडेंट आफ इंडिया के लिए उपयुक्त भारतीय शब्द खोजने और स्थापित करने के विषय में गंभीरता पूर्वक मनन करना चाहिए। अनेक सुंदर विकल्प उपलब्ध हैं- राष्ट्रप्रमुख, राष्ट्रनायक इत्यादि।