प्लास्टर ऑफ पेरिस से बनी मूर्तियां पर्यावरण को पहुंचाती हैं नुकसान,धर्म मे भी है मनाही,गणेश उत्सव पर मिट्टी से बने गणेश की प्रतिमा स्थापित करने से हैं कई लाभ,महापौर ने पीओपी को दरकिनार करने दुर्ग वासियों से की अपील
प्लास्टर ऑफ पेरिस से बनी प्रतिमा को करें टाटा बाय बाय,मिट्टी से बनी गणेश प्रतिमा का करें पूजन,पर्यावरण की रक्षा ही धर्म की उपासना है।
दुर्ग – प्लास्टर ऑफ पेरिस से बनी मूर्तियां विसर्जित करने से पानी विषैला होता है और इसका विपरीत प्रभाव जल जीव-जंतु और मानव समाज पर पड़ रहा है तथा जल स्रोत भी अपना अस्तित्व खोते जा रहे हैं। तालाब और नदियों में मूर्ति विसर्जन से पर्यावरण प्रदूषित होता है। विसर्जन और निर्माण में रोक लगाने दुर्ग नगर निगम महापौर धीरज बाकलीवाल और आयुक्त प्रकाश सर्वे ने शहरवासियों से पीओपी से बनी मूर्तियों को न रखने अपील किया है।
आज गणेश चतुर्थी है.आस्था व विश्वास के साथ लोग गणेश भगवान की मूर्ति अपने घर मे रखकर पूजा करते हैं। शास्त्रों में मिट्टी से बने गणेश जी की मूर्ति का विधान है प्लास्टर ऑफ पेरिस का नही,क्योंकि प्लास्टर ऑफ पेरिस कई तरह से प्रदूषित तत्व है जो कि पर्यावरण पर भारी पड़ता है। स्थापना,पूजन के बाद लोग इसे नदियों,तालाबों में विसर्जन करते हैं जिससे जलीय जीव जंतुओं एव नदी की पारिस्थितिकीय तंत्र पर खतरा पहुंचता है। इसलिए इसकी मनाही है। मेयर बाकलीवाल ने अपने नगर वासियों को गणेश चतुर्थी की बधाई व शुभकामनाएं देते हुए,यह अपील कर कहा है कि मिट्टी से बनी गणेश प्रतिमा की स्थापना कर पूजन करें ताकि आस्था विश्वास और भक्ति के साथ पर्यावरण की भी रक्षा हो सके। आयुक्त प्रकाश सर्वे ने भी इसी बात पर बल दिया है।