स्टोरी- एक स्टूडेंट से बनी मिस नटवरलाल की,जिसने करोड़पति बुजुर्ग दंपत्ति को कर दिया कंगाल,जालसाजी से करोड़ों की संपत्ति की अपने चहेतों के नाम,किराए पर रहने आई नवयुवती ने अपने मकानमालिक को ही लगा दिया करोड़ो का चूना.प्रेस कांफ्रेंस में किया गया खुलासा
भिलाईं (छत्तीसगढ़)– हालांकि आप ने नटवर लाल के बारे में काफी सुना होगा कि किस तरह फर्जीवाड़ा कर ताजमहल व लाल किला और संसद भवन तक बेच दिया था.राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद के फर्जी हूबहू हस्ताक्षर कर संसद भवन का भी सौदा तय कर लिया था.दिलचस्प यह भी रहा कि जिस समय संसद भवन को बेचा उस वक्त सभी सांसद उसी भवन में मौजूद भी थे.नटवरलाल ने खूब पैसा व नाम कमाया.नटवरलाल के नाम के उसके कारनामों पर फिल्में भी बन चुकी हैं। जिक्र भी खूब होता है। अभी तक आपने मिस्टर नटवरलाल को जानते थे.अब जानिए मिस नटवरलाल के बारे में,आखिर कौन है मिस नटवरलाल और क्या है उसका फर्जीवाड़ा करने का शातिराना अंदाज जिसने शुरू से ही पढ़ाई के दौरान से ही कम उम्र में करोड़ों की ठगी कर बन बैठी करोड़ों की मालकिन.
दरअसल,मामला भिलाई के नेहरू नगर के 80 वर्षीय बुजुर्ग दंपति के साथ हुए फर्जीवाड़े का है। जिसको 2013 में किराएदार के रूप में रहने आई एक लड़की ने अंजाम दिया है.तत्कालीन मकानमालिक देवनारायण नायक और उनकी धर्मपत्नी उमा नायक को भावनात्मक रूप से ब्लैकमेक कर करोड़ों की संपत्ति अपने नाम व अन्य साथियों के नाम पर करवा ली.यह मामला तब पूर्ण रूपेण उजागर हुआ जब देवनारायण नायक जो कि पूर्व एच एस सी एल के पूर्व मुख्य अभियंता व शहर के प्रतिष्ठित सामाजिक संचेतक रहे हैं,बीमार रहने लगे,हालत गंभीर होने लगी,अपने से उठ बैठ नही सकते थे तब बेटा विदेश से आया और इसके पीछे का कारण समझा.चूंकि उनके दो बेटे व दो बेटियां हैं,लेकिन दोनों बेटे विदेश में नौकरी करते हैं और बेटियां अपने ससुराल में रहती हैं।ऐसे में 2013 में आई किरायेदार गीतांजलि सिंह ने नायक दंपत्ति को विश्वास में लेकर 4 साल बाद तगड़ा विश्वासघात कर दिया। और विश्वासघात भी इस कदर की,नायक के पास की पूरी संपत्ति चल व अचल,कूटरचना कर अपने नाम पर करा लिया.
जिसमे बैंक में जमा पैसे ,राजनांदगांव में 45 एकड़ का फार्म हाउस,स्मृतिनगर का मकान और रायपुर में डी मार्ट के पास स्थित कीमती जमीन शामिल है।इसका खुलासा तब हुआ जब उनका एक बेटा विदेश से पिता के अस्वस्थता का समाचार सुनकर भिलाई आया.अपने पिता की हालत को देखकर उसकी वजह जानी और कारण समझा. बैंकों के लेनदेन की तहकीकात करने से पता चला कि पूरी राशि गीतांजलि सिंह ने गोलमोल कर दी है।
ठगी के शिकार हुए देवनारायण नायक के बेटे ने बताया कि इस मामले की लिखित शिकायत संबंधित थाना सुपेला में जी गई थी. 3 वर्ष पूर्व की गई शिकायत में आज पर्यंत अपराध पंजीबद्ध नही किया गया.कई बार पीड़ित परिवार ने थाने के चक्कर लगाए लेकिन रसूखदार व प्रभावशील मास्टरमाइंड के आगे पुलिस नतमस्तक दिखती रही,पीड़ित पक्ष को आजकल में हो जाने का आश्वासन देकर गोलमटोल जबाब दिया जाता रहा.आखिरकार,विदेश के लौटे संदीप नायक ने दुर्ग एसपी के यहाँ उक्त संबंध में लिखित फरियाद किया है,तथा साथ ही दुर्ग जिलाधीश से मिलकर अपने माता-पिता के साथ हुई करोड़ों की ठगी के बारे में विस्तार पूर्वक आपबीती बताया,कलेक्टर मीणा ने गंभीरता से इस मामले को लेते हुए कहा कि अब वह खुद इस फर्जीवाड़ा करने वालों के विरुद्ध एक्शन लेंगे. उन्होंने पीड़ित को कार्रवाई करने का भरोसा देते हुए कहा कि एसपी अभी नही हैं,उनसे बात कर दो दिन के अंदर ठगी करने वालों के ऊपर अपराध पंजीबद्ध करवा कार्रवाई की जाएगी। कलेक्टर से मिले आश्वासन से पीड़ित परिवार कार्रवाई किये जाने की उम्मीद लगाए बैठा है.
मीडिया कांफ्रेंस- में आया दिलचस्प मामला लूट व जालसाजी का,जिसमे करोड़ो की संपत्ति पर किया गया कब्जा ,गैर ने पावर ऑफ अटॉर्नी बना, हथिया ली संपत्ति,असली वारिस विदेश से आये वापस,अपराध पंजीबद्ध कराने लगा रहे पुलिस का चक्कर – जब हर तरफ से निराशा छा जाती है, कोई नही सुनता,तब पीड़ित को अपनी बात कहने मीडिया का सहारा लेना पड़ता है.इस मामले में भी वही हुआ.प्रेस कांफ्रेंस कर मीडिया के समक्ष नेहरू नगर के निवासी देवनारायण नायक व उनकी पत्नी उमा नायक के साथ हुए फर्ज़ीवाड़े को उजागर किया गया.इस कांफ्रेंस में पीड़ित पक्ष का बतौर अधिवक्ता साथ दे रहे सतीश त्रिपाठी व पीड़ित के बेटे ने गीतांजली सिंह व उसके सहयोगी दोस्तों योगेश यादव व अजीत प्रसाद जिन्होंने इसके साथ मिलकर करोड़ो की ठगी को अंजाम दिया,उनके कारनामो को उजागर कर फर्जीवाड़े की कूटरचित दस्तावेजों को मीडिया के समक्ष रखा.एक साधारण गरीब परिवार की पढ़ने वाली लड़की अब करोड़ों की मालकिन बन बैठी है.
क्या है मामला,कैसे की गई ठगी,जानें- 2013 से ठगी की लिखी गई स्क्रिप्ट- मिस नटवरलाल ..!
इस फर्जीवाड़े की नींव रखी गई 2013 में. एक कलेजियस स्टूडेंट के रूप में.पढ़ाई के लिए भिलाई आयी एक लडक़ी रूम रेंट की तलाश में नेहरू नगर देवनारायण नायक के घर पहुंचती है और कहती है कि उसे किराए में कमरा चाहिए वह भिलाई में एक कॉलेज में पढ़ाई कर रही है,जल्द ही बिजिनेस भी शुरू करेगी,तब तक के लिए रहने हेतु कमरा चाहिए। चूंकि लड़की थी और उस घर मे सिर्फ बुजुर्ग दंपत्ति ही रहते थे,बातचीत कर कमर दे दिया गया.वह लड़की थी गीतांजली सिंह.
नायक के साथ की जाती रही जहरखुरानी-चाय पीने के चंद मिनटों में बेहोशी सी जाती थी हालत- अब हॉस्पिटल में हैं नायक.
गीतांजली सिंह,देवनारायण नायक के घर मे रहते हुए पूरी जानकारी पारिवारिक पृष्ठभूमि की इकट्ठी कर,बुजुर्ग नायक दंपत्ति की सेवा सुश्रुवा भी करने लगी,चेहरे की मासूम दिखने वाली लड़की का भरोसा करते हुए धीरे धीरे नायक परिवार उस पर भरोसा करना शुरू कर दिया.अब गीतांजली सिंह चाय नाश्ता भी बनाकर देना शुरू किया,पारिवारिक माहौल व रिश्ता सा बना ली.आगे जानकारी देते हुए संजीव नायक ने बतया की समय बीतता गया,कुछ दिनों बाद गीतांजली की चाय पीने के चंद मिनटों में देवनारायण को नींद आ जाती और गीतांजली उसका फायदा उठाती,बैंक कागजात,मोबाइल फोन सहित सभी की डिटेल्स कलेक्ट करना शुरू किया.चूंकि उसके मन मे धन संपत्ति की लालच घर कर गई थी,उसे यह भलीभांति जानकारी हो गई थी कि नायक के बेटे-बहू विदेश में रहते हैं उनका यहां कोई नही रहता,तो इसका फायदा क्यों न उठाया जाए,भरोसे का नाजायज फायदा उठाने के मकसद से सारी जानकारी इकट्ठी कर लगभग दो साल बाद यह बोलकर निकल जाती है कि उसका बिजिनेस चालू हो गया है,अब उसको संभालना है. फिर 2017 में गीतांजली वापस पुनः नायक के घर पहुंचती है और नए बिजिनेस के विस्तार करने की मनगढ़ंत कहानी सुनाकर रहने लगती है। उस बिजिनेस में नायक दंपत्ति को भी साझेदार बनाने की कथा सुनाकर उमा नायक को अपने झांसे में लेती है। और फर्जी कागजात तैयार करना शुरू करती है,बैंक,आनलाइन लेनदेन,स्टाम्प पेपर पर बिजिनेस बांड तैयार करने का दिखावा आदि पर दखल करते हुए ठगी का गेम प्लान शुरू कर देती है.संजीव बताते हैं कि उनके।पिता एक चैतन्य व स्वस्थ व्यक्ति थे,इसने धन के लालच में मेरे पिता को चाय में कुछ मिलाकर देती रही,जिससे आज वे पूर्णतः अस्वस्थ हैं,हॉस्पिटल में एडमिट हैं,ऑपरेशन कर डॉक्टर ने उनके पेट से लगभग 3 लीटर सफेद पस की तरह तरल पदार्थ निकाला है,उन्हें मृत जैसी अवस्था मे लाकर खड़ा कर दी है इस ठगी की गिरोह ने.
देवनारायण व उमा नायक के बेटे संजीव नायक व अन्य सहयोगियों ने मीडिया से रूबरू होते हुए बताया कि,श्रीमती नायक कम पढ़ी लिखी सामान्य गृहणी महिला हैं,इसका फायदा उठाते हुए शातिराना अंदाज में गीतांजली सिंह ने एक बेटी की तरह सेवा कर,अपने प्लानिंग के तहत भरोसा जीतते हुए, कूटरचना कर उनकी करोड़ों की संपत्ति हथिया ली,और करोड़ों रु.अपने रिश्तेदारों और जान पहचान वालों को श्रीमती नायक के ही चेक से उनके हस्ताक्षर कराकर अंतरित करवा दिए ।
राजनीतिक दखल रखती है गीतांजली सिंह,लड़ चुकी है विधानसभा चुनाव-
मीडिया कांफ्रेंस में इसकी जानकारी देते हुए संजीव नायक ने बताया कि, गीतांजलि सिंह एक राजनीतिक कार्यकर्ता हैं जो जोगी कांग्रेस से जुड़ी हुई हैं। पूर्व मैं वह कांग्रेस के युवा नेताओं के साथ भी जुड़ी रह चुकी हैं । गीतांजलि सिंह विधानसभा 2018 का चुनाव भी लड़ चुकी हैं । अत्यंत कम पढ़ी लिखी गीतांजलि सिंह करोड़ों अरबों की मालकिन है । गीतांजलि सिंह के पिता एक ड्राइवर के रूप में कोरबा के एसईसीएल के अधिकारी संजय सिंह के मातहत नौकरी करते थे । गीतांजलि सिंह ने बेहद शातिराना तरीके से बोरसी दुर्ग निवासी योगेश यादव सहित अजीत प्रसाद और अन्य कई शातिर लोगों के साथ मिलकर, नायक परिवार को फंसा कर उनकी सारी संपत्ति को हासिल करने का षड्यंत्र किया । गीतांजली सिंह ने करीब वर्त्तमान दर से पचास करोड़ रुपये की जालसाजी को अंजाम दिया और अंत में बुजुर्ग नायक दंपत्ति को जान से मार देने की योजना भी बना रखी थी । गीतांजली सिंह ने श्रीमती उमा नायक से दर्जनों चेक ले लिए l वर्तमान में नायक परिवार के स्मृति नगर स्थित आवास पर गीतांजलि सिंह के गुंडों ने ताला तोड़कर अपना कब्जा कर लिया है ।
रायपुर,राजनांदगांव सहित स्मृतिनगर के करोड़ों की जमीन व मकान पर कूटरचित व सरहंगई से किया कब्जा-
आगे बताया गया कि, गीतांजलि सिंह ने रायपुर स्थित नायक परिवार के नाम से पंजीकृत व्यावसायिक भूमि को बेचने के नाम पर लगभग 8 करोड़ रुपए से अधिक की रकम हथिया ली । इसी प्रकार 45 एकड़ कृषि भूमि भी अपने नाम से हथियाने के लिए गीतांजलि सिंह ने अपने दोस्त यारों के साथ मिलकर साजिश करते हुए नामांतरण करवाया ।स्मृति नगर स्थित नायक परिवार के नाम से निर्मित आवास की दो बार अलग-अलग रजिस्ट्री करवा कर और स्थानीय वकीलों के माध्यम से दबाव बनाकर रजिस्ट्रार से जमीन का नामांतरण करवा लिया ।
स्मृति नगर के प्लॉट नंबर 126 ए सड़क 28 की संपत्ति को एनजीओ के ऑफिस खोलने के नाम पर गीतांजलि सिंह ने पहले किसी समसुद्दीन के नाम पर रजिस्ट्री करवाई और फिर कुछ ही दिनों बाद कोरबा के संजय सिंह के नाम से रजिस्ट्री करवा दी । नायक परिवार ने रायपुर की संपत्ति का एडवांस 3 करोड़ 75 लाख रुपए खाते में आने पर लगभग 1 करोड़ रुपए इनकम टैक्स का जमा कर दिया । गीतांजलि सिंह से नायक परिवार ने यह कहा कि उन्हें किसी प्रकार की ऐसी रकम नहीं चाहिए जो अवैध रूप से मिलती हो । सारी रकम अगर टैक्सेबल है तो वो उसका टैक्स जमा करेंगे l
बड़े अमाउंट के लिए एनजीओ खोल,लिया सहारा,पुलिस ने एक बार नायक के घर से धक्के मारकर निकाल चुकी है.
गीतांजली सिंह ने एक ” ख्वाइश ” नाम की स्वयं की एनजीओ के नाम से सारा पैसा लेकर उसे चेक के माध्यम से नायक परिवार को देने का निर्णय बताया था । गीतांजलि सिंह ने फर्जी तरीके से एक पावर ऑफ अटॉर्नी पर हस्ताक्षर करवा लिए थे । जिसकी प्रति नायक परिवार के पास मौजूद है । बेहद शातिर तरीके से गीतांजलि सिंह खरीदी बिक्री के मामलों में केवल गवाह के रूप में मौजूद हैं । फर्जीवाड़े के सारे दस्तावेज बोरसी के योगेश यादव के द्वारा तैयार किए जाते थे । सारी अपराध की गतिविधियां तब सामने आई जब छोटे बेटे संजीव नायक वापस 2018 को भिलाई पहुंचे । तब तक गीतांजलि सिंह ने दत्तक पुत्री का एक दस्तावेज तैयार करवा कर देवनरायण नायक और उनकी पत्नी के हस्ताक्षर का प्रस्ताव रख दिया था । नायक परिवार के छोटे बेटे संजीव नायक ने जब संपूर्ण मामले को समझा तब परिवार के सभी सदस्यों को बता कर 18 अगस्त 2020 को प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराने हेतु एक आवेदन सुपेला थाने में दिया। प्रशासन के समक्ष मामले का खुलासा होने पर स्वयं तत्कालीन पुलिस अधिकारियों ने गीतांजलि सिंह को नायक परिवार के नेहरू नगर स्थित मकान से धक्के मारते हुए घर से बाहर निकाल दिया।
गीतांजली सिंह ने दत्तक पुत्री बनाये जाने का दस्तावेज भी थाने में की है जमा-
पुलिस के सामने ही पूछे जाने पर यह जानकारी प्राप्त हुई थी कि गीतांजलि सिंह ने दत्तक पुत्री बनाए जाने के दस्तावेज सोमनी थाने में दे दिए हैं और उसमें यह लिखा कि दोनों बेटे अपने मां बाप को प्यार नहीं करते हैं इसलिए नायक परिवार उन्हें दत्तक पुत्री बनाना चाहता है । गीतांजलि सिंह 2018 में विधानसभा का चुनाव लड़ चुकी हैं। अधिवक्ता सतीश कुमार त्रिपाठी ने इस मामले में आरोप लगाते हुए कहा कि एक तरफ शहर के एसपी अभिषेक पल्लव देर रात तक घूम घूम कर अपराधियों को पकड़ने का प्रयास कर रहे हैं जबकि उनके अपने थानों में सालों से एफआईआर दर्ज किए जाने के लिए हजारों पन्नों के दस्तावेज सहित आवेदन मौजूद होने के बावजूद एफआईआर नहीं लिखी जा रही है।
हालांकि, एसपी अभिषेक पल्लव शहर व जिले की व्यवस्था चुस्त दुरुस्त व भयमुक्त,अपराध मुक्त करना चाहते हैं,लेकिन इसस बड़ा अपराध भला क्या होगा,जहां करोड़ों की ठगी कर एक प्रतिष्ठित बुजुर्ग दंपत्ति की सम्पति को हड़प लिया गया हो.
आयकर विभाग उस वक्त क्या कर रहा था जब करोड़ों की लेनदेन फटाफट एक ही चेक बुक व ऑनलाइन से हो रहे थे? यह एक बड़ा सवालिया निशान भी है.
आयकर विभाग की ऐसी स्थिति है कि सामान्य कर्मचारियों से अगर हजार – लाख रुपए की इनकम टैक्स में भूल चूक हो जाए तो उसके कई गुना रकम वसूल करने के लिए परेशान करने वाला इनकम टैक्स डिपार्टमेंट गीतांजलि सिंह जैसी महिला के पास बेहद महंगी लग्जरी गाड़ियों की खरीदी और खातों में अनाप-शनाप पैसे के ट्रांजैक्शन के विषय में कभी कोई जानकारी प्राप्त नहीं कर पाता ।
इस प्रकार के सफेदपोश अपराधी और अपराधों से बचने के लिए सामान्य आदमी भी असमर्थ है। यहाँ,सवाल उठना लाजमी हो जाता है कि,मौजूदा समय मे आई टी की रेड बार बार पड़ रही है,उस वक्त इनकम टैक्स वाली टीम कहां थी,जब नायक परिवार के साथ कोरोड़ों का फर्जीवाड़ा किया जा रहा था.उन लोगों के बैंक खातों पर सवाल क्यों नही उठा जिनके खाते में एकाएक लाखों रुपये ट्रांसफर किये गए? बैंक डिपार्टमेंट की विजिलेंस क्या कर रही थी?बैंक वालों ने वैसे तो सामान्य व्यक्ति के खाते खुलवाने में कागजात वेरिफिकेशन में सैकड़ों चक्कर लगा देती है, इस मामले में बैंक की संदेहास्पद स्थिति पर मौन क्यों?
राजनीतिक दखल के लोगों ने भी लेटलतीफी और अब तक कार्रवाई न किये जाने पर प्रशासन की जबाबदेही पर उठाया प्रश्न.
पत्र वार्ता में उपस्थित भाटापारा के पूर्व विधायक नरेंद्र कुमार शर्मा ने इस मामले में तत्काल गीतांजलि सिंह के ऊपर एफ आई आर दर्ज नहीं करने को प्रशासन पर कलंक बताया। मांग की कि गीतांजलि सिंह को उनके साथियों सहित तत्काल गिरफ्तार करना चाहिए और नायक परिवार को उनकी कब्जा कर ली गई संपत्ति वापस दिलवाई जानी चाहिए। पूरे मामले की पैरवी करते हुए राष्ट्रीय स्वाभिमान पार्टी के राष्ट्रीय पदाधिकारी अधिवक्ता सतीश त्रिपाठी ने पुलिस अधीक्षक को लिखित पत्र देकर यह मांग की है कि इस तरह की लूट जिले में हो रही है और पुलिस लूट करने वालों,ठगी करने वालों पर कार्रवाई नही करती,कार्रवाई तो दूर,अपराध तक पंजीबद्ध नही करती है,पीड़ित बुजुर्ग फरियादी को 3 साल से थानों का चक्कर लगाना कतई भी संवैधानिक पदत्त अधिकारों का समर्थन नही करता है,अपराध न लिखना भी कानून का उल्लंघन है .सतीश ने आगे लिखा है कि,जल्द से जल्द इस फर्जीवाड़े की खिलाफी दंडात्मक करवाई सुनिश्चित कराने हेतु प्राथिमिकी दर्ज कराई जाए,अन्यथा कोर्ट व आंदोलन का रुख किया जाएगा.
इधर श्रमिक यूनियन के नेता प्रभुनाथ मिश्र ने कहा कि लगभग 3 साल से ज्यादा समय बीत जाने पर भी एफआईआरका दर्ज न किया जाना सरकार के माथे पर कलंक है। प्रशाशन को तत्काल प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कर अपराधियों के विरुद्ध कार्यवाही करना चाहिए ।
यह मामला अब तक के भिलाई दुर्ग के इतिहास में एक दिलचस्प शातिराना अंदाज में कूटरचना कर ठगी का स्कैण्डल है.जो कि अपने आप मे बहुत बड़ा व पेचीदा मामला सामने आया है.इस मामले की पूरी ईमानदारी,सजगता व दूरगामी परिणामो को लेकर यदि पुलिस जांच करती है,तो निश्चितरूप से एक बड़े ठग गिरोह का पर्दाफाश हो सकता है,जो पुलिस इतिहास में एक मिशाल का काम कर सकेगा. हालांकि,पीड़ित परिवार को दुर्ग जिला कलेक्टर का यह सकारात्मक आस्वासन मिला है,कि दो दिन में फर्जीवाड़े के इस मामले में 3 साल पूर्व की गई शिकायत को एवं सौंपे गए प्रामाणिक दस्तावेजों के आधार पर गंभीरता से लेते हुए जालसाजी करने वालों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज होगी.देखना यह होगा कि जिला प्रशासन इस मामले में क्या कार्रवाई करता है? मिस नटवरलाल के गिरोह का पर्दाफाश कर पुलिस उसे गिरफ्तार करेगी या फिर अन्य प्रभावशील व्यक्तियों के केस की तरह इसे भी ठंडे बस्ते में डाल देगी? हालांकि, पीड़ित पक्ष शीर्ष अदालत तक जाने को तैयार है,यदि कार्रवाई नही होती तो आंदोलन करने की भी बात सामने आई है.