दुर्ग-शिवनाथ नदी महमरा एनीकट डेंजर जोन : आज फिर हुआ हादसा,लापरवाही बनी मुसीबत,प्रशासन बेपरवाह क्यों?सुरक्षा की अप्रबंधनियता कहीं वजह तो नही? नदी में बहा 14 वर्षीय बालक.!
शिवनाथ नदी में सुरक्षा के प्रबंध न होने की वजह से आये दिन हो रहा हादसा,,,तुषार साहू डूबा शिवनाथ नदी में।
दुर्ग- शिवनाथ नदी में 14 वर्षीय एक बालक का पैर फिसल जाने से नदी में बह जाने की पुष्टि हुई है। बताया जा रहा है कि यह लड़का अपने दोस्तों के साथ नदी पर बने महमरा एनीकट में पैदल जा रहा था। पैर फिसल जाने से नदी में गिर पड़ा। दोस्तों ने आवाज लगाई,आसपास के लोगों को मदद के लिए भी गुहार लगाई गई लेकिन परिणाम बेनतीजा रहा।
जो लड़का नदी में बहा है,उसका नाम तुषार साहू है,14 वर्षीय तुषार दुर्ग के पंचशील नगर का रहने वाला है। यह आज सुबह लगभग 10 बजे अपने दोस्तों के साथ नदी घूमने गया था,जहाँ दुर्घटना उसकी प्रतीक्षा कर रही थी। हालांकि खोजबीन चालू है।
एनीकट में पानी ऊपर बह रहा है तो सुरक्षा के इन्तजाम क्यों नही -जब बारिश हो रही है ,पानी एनीकट के ऊपर बह रहा है तब भी प्रशासन लोगों को आरपार कैसे जाने दे रहा है। यह प्रशासन की घोर लापरवाही ही। पिछले बारिश में भी इसी तरह की घटना होती रही है। हर साल घटना के बाद जिम्मेदार अधिकारियों की तरफ से बड़े बड़े बयां व दावे किए जाते हैं ऐसा प्रबन्ध कर दिया गया है कि घटना की पुनरावृत्ति नही हो सकेगी। लेकिन आये दिन घटनाये घट रही हैं। बोर्ड लगा देने से जिम्मेदारी पूरी नही हो जाती। एनीकट के पास दोनों तरफ सुरक्षा गार्ड लगाये जाने चाहिए खासकर बारिश के समय। महज प्रशासन कागजों व खानापूर्ति के अलावा और कुछ सार्थक कदम नही उठाती यही कारण है कि हादसे पैर जमा रहे हैं।
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- बारिश के समय हर वक्त गोताखोर व ट्रेंड सुरक्षा कर्मी नदी तट पर क्यों नही ? – आपदा प्रबंधन व जिला सुरक्षा टीम क्या कर रही थी। बारिश आते ही इन्हें एलर्ट मोड पर होना चाहिए। दुर्ग महमरा एनीकट तट एक संवेदनशील बिजी रहने वाला tt क्षेत्र है। श्मशान तट, मन्दिर व आवागमन होने से यहां सुरक्षा कर्मी होना लाजमी है। पर यहां क्यों नही।
नेताओं के यहां सुरक्षा क्यों और महमरा के व्यवस्ततम तट पर क्यों नही ? दुर्ग नदी तट का महमरा एनीकट स्थल काफी व्यस्त स्थल है। लोगों की आवाजाही बनी रहती है। इस तट पर लोगों की आस्था भी जुड़ी है,मोक्ष की कामना भी,यहीं जीवन की अंतिम यात्रा भी आती है तो नदी की आरती भी हर पूर्णिमा होती है। लोगों का आवागमन बना रहता है। शहर व गाँव को जोड़ने वाला यह एनीकट मार्ग कइयों की जिंदगियां छीन चुका है। फिर भी प्रशासन आंख बंद कर अपनी नौकरी बजाने में लगा है। मानव के जीवन की कीमत जिला प्रशासन को शायद उतनी महत्वपूर्ण नही दिखती,जितनी नेताओं की खुशामदी। सत्ताधारी हों, नेता हों या तथाकथित वीआईपी इनके यहाँ सुरक्षाकर्मी तैनात मिलेंगे,यदि उनके कुत्ते व भैसों को कुछ हो जाय तो सुरक्षा बढ़ा दी जाएगी,लेकिन इस मार्ग पर जहां जीवन की हर पल चुनौती है,जहाँ संकट दिख रहा है,जहां अनहोनी पल पल होने की संभावना है, वहां कोई एक भी सिपाही नही और न ही कोई सुरक्षा कर्मी जो सिटी भी मारकर चेता सके। आखिर!इतनी बेरुखी महमरा एनीकट के साथ क्यों। जिला प्रशासन को अब हर हालत में यहां सुरक्षा व्यवस्था का प्रबंध कर बरसात में आवाजाही पर सतर्कता बरतनी चाहिये,ताकि अब उस जगह ऐसी घटना की पुनरावृत्ति न हो सके।
दुर्ग विधायक व गोताखोर पहुंचे घटनास्थल- घटना लगभग 10 बजे सुबह के आसपास की है। जैसे ही तुषार साहू के नदी में गिर जाने की खबर वायरल हुई ,वैसे ही गोताखोरों की टीम नदी में उतार दी गई।हालांकि खबर लगने के बाद नदी तक पहुंचने में समय तो लग ही गया,परन्तु नदी में गोताखोर व एसडीआरएफ की टीम उतर कर तलाश जारी कर दी थी। लगभग 6 घण्टे तक कोई पता नही चल सका और खबर लिखने तक भी कोई सुराग नही मिला है। दुर्ग शहर के विधायक अरुण वोरा भी घटना को सुनकर घटना स्थल पहुंचे । उन्होंने नदी में गिरे तुषार साहू को ढूंढ निकालने का हर संभव प्रयास किये जाने की बात की व संबंधित अधिकारियों को इसके लिए निर्देशित किया।