गंगा की गोद मे बड़े हनुमान : को स्नान कराने के बाद भी बढ़ा गंगा का जलस्तर,माघ मेले की तैयारी मे विलंब
प्रयागराज– माँ गंगा की गोद मे लेटे श्री रामभक्त संकटमोचन हनुमान ने हर साल की भांति इस वर्ष भी गंगा जल से स्नान कर चुके हैं.वावजूद इसके,अब भी गंगा-यमुना में बाढ़ की स्थिति बनी हुई है.माघ मेला का आयोजन भी पौष पूर्णिमा से आरंभ माना जाता है जो इस बार 6 जनवरी से होना है.
लेकिन अभी तक कोई तैयारी शुरू नही की जा सकी है.बढ़े जल स्तर को देखते हुए मेला प्रशासन जल स्तर कम होने की प्रतीक्षा कर रहा है.जल कम होगा तभी जमीन भी चिन्हित हो सकेगी.पंडालों को आंबटन की जाने वाली भूमि का चिन्हांकन तभी हो सकता है जब गंगा का जल काफी कम हो और गंगा कछार सूखा हो.हालांकि,यह जल स्तर अन्य जगहों में बारिश होने से बढ़ा है,उम्मीद की जा रही है कि दो-चार दिन में जलस्तर कम हो जाएगा. अभी तो मेला परिक्षेत्र एकदम खाली है जहां भैंसें घास चर रही हैं. दो माह बाद यहीं पैर रखने की जंगह नही मिलेगी,इतनी भीड़ होती है माघ मेले में.
चूंकि 6 जनवरी को पौष पूर्णिमा है,अगले दिन से माघ लग रहा है और मेले का आयोजन शुरू हो जाएगा,इसलिए अक्टूबर से ही तैयारी की जाती है,तब जाकर माघ में मेले की शुरुवात की जाती है. लेकिन अभी तक सिर्फ प्लान बनाया गया है एक्शन मोड में आने में परेशानी हो रही है.जल स्तर कम होने के बाद ही प्रशासन कुछ मर सकता है. मेला अधिकारी कार्यालय की माने तो उनका कहना है कि,दीपावली बाद से मेले की तैयारी शुरू होगी,कल्पवासियों के लिए पंडाल,जमीन आबंटन प्रक्रिया की शुरुवात,सड़क निर्माण,पीपा पुल निर्माण आदि तभी हो सकते हैं जब गंगा यमुना का जल स्तर कम होगा.जब जमीन दिखेगी तभी तो टेंट-पंडाल लगेगें व भूमि का आबंटन किया जा सकेगा.अभी सड़क बनाने में प्रयोग किया जाने वाला लोहे का चादर,पीपा तथा अन्य सभी सामग्री मेला परिक्षेत्र के मैदान में रखा है.तैयारी की रूपरेखा व तिथियों की घोषणा जिला मेला।प्रशासन पहले ही कर चुका है.इस बार कुछ भव्य व अलग अंदाज माघ मेले में देखने को मिलेगा.