चुनाव नगर निगम का – रूप बदल बदल कर रिझाने आ गए हैं बहुरंगी छतरी वाले.मेयर हो या पार्षद सभी प्रत्याशी पकड़ने लगे हैं जनता जनार्दन के पाँव,क्या है समीकरण जाने जनता की जुबानी.
प्रयागराज– संगम नगरी आध्यात्मिक मेल ही नही बल्कि राजनीतिक संगम भी कराती है.मौजूदा समय चुनाव की गर्मी का है और यह चुनाव नगरीय निकाय का है.राजनीतिक विसात पर सामाजिक समरसता का चौसर बिछा कर बड़े दल वाले दांव लगा रहे हैं,और खेलने में माहिर राजनीतिक खिलाड़ी अपने भी भाग्य को मजबूत करने की जुगत लगा रहे हैं.हालांकि जनता चुनावी जनार्दन होती है इसलिए अभी उनके सूजे हुए पांव भी दबा कर थकान मिटाने का काम भी नेता जी लोग कर रहे हैं.
भारतीय जनता पार्टी में अंतर्कलह लेकिन योगी सरकार बन सकती है खेवनहार-
निकाय चुनाव में पार्टियों के बड़े नेताओं की प्रतिष्ठा दांव में लगी है.और खासकर भारतीय जनता पार्टी की.क्योंकि मौजूदा दो बार की मेयर रह चुकी कबीने के मंत्री नंदगोपाल गुप्ता नन्दी की पत्नी अभिलाषा गुप्ता अभी नाराज चल रही हैं.कारण है,भाजपा ने उन्हें फिर से हैट्रिक लगाने के लिए टिकट नही दिया है.उनकी नाराजगी कहीं न कहीं बगावती सुर को बल देती हुई नजर आ रही है,इसकी चर्चा भी शहर में जोरों पर है.इसकी और पुष्टि तब हो गई जब नंदगोपाल गुप्ता नन्दी के प्रतिद्वंदी रईस शुक्ला को बीजेपी में जॉइन कराना.इससे कैबिनेट मंत्री नाराज हो गए हैं,इसकी कमी मेयर चुनाव में दिखनी तय है.हालांकि रईस शुक्ला की भी फौज शहर में है,सेंध को पाटने का काम करेगी लेकिन नंदी सत्ता में हैं और व्यापारी वर्ग सीधे तौर पर इनसे जुड़ा है.
भाजपा के अंतर्कलह का फायदा सपा को मिल सकता है.क्योंकि सपा के मेयर प्रत्याशी भी कायस्थ हैं जो वर्ग यहां निर्णायक भूमिका तय करता है.प्रयागराज में मुस्लिम,निषाद और कायस्थ तीनो मिलकर जीत की दशा और दिशा तय करते हैं.सपा की तरफ मुस्लिम भी है,कुछ लाला भी हैं और ओबीसी फैक्टर भी काम कर रहा है.नंदी का प्रभाव भी समाजवादी पार्टी के मेयर प्रत्याशी अजय श्रीवास्तव पर सकारात्मक दिख सकता है.
कांग्रेस की दयनीय हालत पर बीमारू रुझान की चर्चा-
हालांकि कांग्रेस इधर बीमारू हालात पर दिख रही है.राहुल गांधी की दशा पर तरस खाते लोग अक्सर चौक चौराहे पर यही कह रहे हैं कि कांग्रेस का तो कोई जनाधार ही नही है,राष्ट्रहित में कोई फैसला और कदम कांग्रेस नही ले सकती,कोई नेतृत्व नही है और मेयर जीत कर करेंगे भी क्या जब इनकी कोई सुनेगा ही नही.हालांकि कांग्रेस के मेयर प्रत्याशी प्रभाशंकर मिश्रा नगर निगम में व्याप्त भ्रष्टाचार को खत्म करने का चुनावी वादा भी कर रहे हैं.वे यह भी कहते नजर आते हैं कि टैक्स के बोझ से नगरीय निकाय की जनता व आम आदमी को निजात भी दिलाएंगे,लेकिन जनता का मूड है अभी बना हुआ दिख नही रहा है.ले दे के एक ही नेता को पार्टी लगाती है छत्तीसगढ़ के राजेश तिवारी को जिनका कोई भी जादू यहाँ नही चलता दिख रहा है.हाँ, कुछ प्रभाव स्थानीय नेता प्रमोद तिवारी का वजूद है जो कहीं कहीं लोग उनकी सुन लेते हैं.कुल मिलाकर भारतीय जनता पार्टी की योगी सरकार के बुलडोजर प्रेम ने जनता को गिरफ्त में लिया है,उसी लोकप्रियता के वशीभूत जनता का फायदा एक्सिडेंटल मेयर के निर्माण में सहायक हो सकता है.हालांकि करीबी और दमदार मुकाबला समाजवादी पार्टी के मेयर प्रत्याशी अजय श्रीवास्तव से है.जनता सब देख रही है निर्णय भी उसी को करना है.यह तो समय ही बताएगा कि निर्णय किस ओर न्याय करता है और किसको मेयर की कुर्सी में बैठाता है.