मयूरभंज की मुर्मु के माथे पर राष्ट्र के प्रथम नागरिक का लगा टीका : द्रोपदी मुर्मु बनी देश की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति
दुखों से भरा है जीवन ,पर हर संकट व बाधा को अध्यात्म की संकल्प शक्ति से किया है पार। मूलतः ओडिसा की रहने वाली हैं द्रोपदी मुर्मु। भाजपा ने साधे एक साथ कई राजनैतिक निशाने
नव निर्वाचित राष्ट्र द्रोपदी मुर्मु के बारे में एक नजर-
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- ओडिसा के मयूरभंज जिले में 20 जून, 1958 में स्वतंत्र भारत मे जन्मी 64 वर्षीय पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति बनीं.
- 2000-2004 तक ओडिसा में मंत्री रहीं.
- 2015-2021 तक झारखंड की राज्यपाल रहीं.
- प्रतिद्वंदी यशवंत सिन्हा को हराकर राष्ट्रपति निर्वाचित हुईं.
नेशनल डेस्क – भारतीय गणराज्य को 15 वें राष्ट्रपति के रूप में द्रोपदी मुर्मु को चुना गया है। राष्ट्रपति की उम्मीदवारी में द्रोपदी मुर्मु ने अपने प्रतिद्वंदी यशवंत सिन्हा को मात दे दी है। नारी शक्ति की जीत हुई । मुर्मु देश की पहली ऐसी आदिवासी महिला होंगी जो राष्ट्रपति निर्वाचित हुई हैं। अब तक राष्ट्रपति में सबसे कम उम्र 64 वर्ष में राष्ट्रपति बनने का खिताब भी द्रोपदी मुर्मु के नाम जुड़ गया है।
स्वतंत्र भारत मे पैदा हुई सबसे कम उम्र की बनी राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मु – भारत गणराज्य को नए राष्ट्रपति के रूप में द्रोपदी मुर्मु को चुन लिया गया है। अब द्रोपदी मुर्मु राष्ट्रपति बन चुकी हैं। आधिकारिक रूप से 15 वीं राष्ट्रपति निर्वाचित हो गई हैं।मतगणना में उन्हें 50 प्रतिशत से ज्यादा वोट मिले हैं.जबकि प्रतिद्वंदी रहे यशवंत सिन्हा को काफी कम मत प्राप्त हुए. 64 वर्ष की द्रोपदी मुर्मु देश मे सबसे कम उम्र में राष्ट्रपति बनने का रिकार्ड बनायेंगी.साथ ही पहली आदिवासी महिला को राष्ट्रपति बनने का गौरव भी इन्ही के नाम होगा. द्रोपदी मुर्मु का जन्म 20 जून 1958 को ओडिसा के मयूरभंज जिले में हुआ.मुर्मु स्वतंत्र भारत की 64 वर्षीय आदिवासी महिला हैं। रायरंगपुर से ही उन्होंने भाजपा की सीढ़ी पर पहला कदम रखा था.वह 1997 में स्थानीय अधिसूचित क्षेत्र परिषद में पार्षद बनीं थीं और 2000 से 2004 तक ओडिसा की बीजद-भाजपा गठबंधन सरकार में मंत्री बनीं. वर्ष 2015 में उन्हें झारखंड का राज्यपाल नियुक्त किया गया और 2021 तक इस पद पर रहीं. और अब 2022 में राष्ट्रपति पर सुशोभित होने जा रही हैं.
बहुत दर्द भरा रहा जीवन,आध्यात्मिक संकल्प के बल पर मिली यह मंजिल – द्रोपदी मुर्मु का जीवन बेहद संघर्षपूर्ण रहा.बहुत संघर्ष व कांटों भरे रास्ते मे चलकर यहां तक आई हैं। दुख की आंखमिचौली द्रोपदी के जीवन मे चुभता है। हालांकि उनका जीवन काफी दर्द भरा रहा। दो जवान बेटों और पति की मौत का दंश झेलकर अपने आप को कैसे यहां तक संभाली होंगी,यह तो वह ही जान सकती हैं। 2009 में मुर्मु ने अपने 25 वर्षीय बेटे लक्ष्मण मुर्मु को खोया,उनकी मृत्यु का शोक सहन किया ही था कि 2013 में द्रोपदी मुर्मु ने अपना दूसरा बेटा भी खो दिया,एक सड़क दुर्घटना में मौत हो गई। महज 4 साल में ही अपने दो जवान बेटे की मौत के सदमे से उबर भी नही पाई थीं कि उनके पति का 2014 में हार्ट अटैक से मृत्यु हो गई। इतना बड़ा दुख जीवन मे क्रूरता बनकर आई,प्रकृति की निष्ठुरता ने हद कर दी । 5 साल में दो बेटे और पति को खोने के बाद द्रोपदी मुर्मु पूरी तरह से टूट चुकी थीं। उन्होंने ब्रह्मकुमारी की ध्यान तकनीकियों को आत्मसात कर अपने आपको चमक दमक और प्रचार प्रसार से दूर रखा,वे धैर्यता की प्रतिमूर्ति हैं जो कि आध्यात्मिक प्रेरणा से है। उन्होंने गहन अध्यात्म व चिंतन का दामन उस वक्त थामा था,जब उन्होंने 2009 से लेकर 2015 तक की छह वर्षों की अवधि में अपने पति ,दो बेटों,माँ और भाई को खो दिया था।
हालांकि राष्ट्रपति पद हासिल करने वाली द्रोपदी मुर्मु 15 वीं व्यक्ति होंगी जबकि देश को 17 वां राष्ट्रपति मिलेगा.क्योंकि देश के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद लगातार दो कार्यकाल तक इस पद पर रहे थे. इत्तफाक ही है कि पूर्व राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा पाटिल ने भी 21 जुलाई को जीत दर्ज कर 25 जुलाई को राष्ट्रपति की शपथ ली थीं,अब यह भी द्रोपदी मुर्मु के रूप में महज संयोग है,पर तिथि का सहयोग दुहराया जाएगा।
जीत के बाद पीएम ने दी बधाई- द्रोपदी मुर्मु एक संघर्षशील महिला हैं। उन्होंने जनसंघीय ढांचे में रहकर विश्वास हासिल किया है। नव निर्वाचित राष्ट्रपति को भारत के उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जीत की बधाई दी है। उनके साथ गृहमंत्री अमित शाह, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह सहित बड़े नेताओं ने बधाई दी है।
यशवंत सिन्हा ने भी दिया बधाई- राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष के उम्मीदवार डॉ यशवंत सिन्हा ने द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति निर्वाचित होने पर बधाई दी है। उन्होंने भगवत गीता के कर्म पथ को बल देते हुए कहा कि हमने जो अपना कर्म था वह किया फल की इच्छा से रहित होकर। नवनिर्वाचित राष्ट्रपति को बधाई देते हुए डॉ सिन्हा ने कहा कि “हर भारतीय उम्मीद करता है कि 15 वें राष्ट्रपति के रूप में वह बिना किसी डर या पश्चाताप के संविधान के संरक्षक के रूप में कार्य करेंगी”. निर्वाचक मंडल को अपने पक्ष में वोट करने हेतु धन्यवाद भी दिया उन्होंने कहा कि आपने हमारे ऊपर जो विस्वास जताया है उसके लिए आप सभी को धन्यवाद।
एक तीर से कई निशाना भी साधा है भाजपा ने- यदि देखा जाय तो द्रोपदी को सिर्फ एनडीए समर्थित निर्वाचक मंडल ने ही नही बल्कि अन्य दलों ने भी वोट दिया है। द्रोपदी मुर्मु एक आदिवासी पृष्ठभूमि की महिला हैं। एनडीए ने उन्हें उम्मीदवार बनाकर एक साथ कई राजनीतिक निशाने साधे हैं। यह आदिवासी पृष्टभूमि ने सिर्फ मुर्मु को देश के उच्चतम शीर्ष पद तक पहुंचाने में मदद नही की,बल्कि उन्हें मैदान में उतारकर भाजपा ने 2024 के लोकसभा चुनाव के अलावा- गुजरात , छत्तीसगढ़, राजस्थान और मध्यप्रदेश में आगामी विधानसभा चुनावों में एस टी समुदायों के महत्वपूर्ण वोटों पर भी नजर गड़ाए हुए है।उड़ीसा में पैर जमाने का प्रयास कर रही भाजपा का ध्यान आदिवासी बहुल मयूरभंज पर हमेशा से ही रहा है। उड़ीसा पर विशेष फोकस कर रही भाजपा का यह दूरगामी राजनीतिक विसात है,जो देश की आवाज भी बन रही है। आदिवासी गौरव की अनुभूति कर रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी का यह मास्टर स्ट्रोक आगामी चुनाव में बेहतर साबित हो सकता है। हालांकि नवनियुक्त राष्ट्रपति संकल्पना की धनी व राष्ट्रीय सुरक्षा की भावना से ओतप्रोत हैं,यह कदम राष्ट्रीय सुरक्षा व जनभावना के संवैधानिक अधिकारों पर खरा उतरेगा यही विश्वास जनता कर रही है।