हिंदुओं के पक्ष में आया फैसला,ज्ञानवापी में मिला पूजा का अधिकार,सच हुई शंकराचार्य की बात
ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामिश्री: अविमुक्तेश्वरानंद: सरस्वती ने कर दी थी पुष्टि,जताई थी दर्शन की इच्छा,पुलिस ने रोका,लेकिन प्रभु ने दे दी अनुमति
वाराणसी–ज्ञानवापी केस में हिंदू पक्ष को पूजा का अधिकार मिल गया है। हिंदू पक्ष को पूजा का अधिकार दिया गया है। व्यासजी तहखाना मामले की सुनवाई के क्रम में यह अधिकार दिया गया। इस मामले में पहले कोर्ट ने सुनवाई पूरी कर ली थी। हालांकि अभी दो दिन पहले ही ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य स्वामी श्री:अविमुक्तेश्वरानंद: सरस्वती ने ज्ञानवापी में मन्दिर होने व पूजा का अधिकार दिए जाने की बात को लेकर अपना मन्तव्य जाहिर किया था,और इस परिसर में परिक्रमा करने की इच्छा जताई थी,लेकिन अनुमति नही मिल सकी थी। गौरतलब है कि, इन्ही शंकराचार्य ने उठाया था ज्ञानवापी का मुद्दा। और अब प्रभु ने स्वीकार कर ली पूज्य शंकराचार्य की परिक्रमा ।
काशी ज्ञानवापी से जुड़े अलग-अलग मामलों की सुनवाई वाराणसी जिला न्यायालय में लगातार जारी है. इसी कड़ी में आज यानी कि बुधवार को ज्ञानवापी परिसर से जुड़े सोमनाथ व्यास जी के तहखाने में नियमित पूजा-पाठ को लेकर वाराणसी जिला कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है. कोर्ट ने व्यास जी तहखाने में हिंदुओं को पूजा करने का अधिकार दे दिया है. कोर्ट ने साथ में यह भी निर्देश दिया है कि 7 दिन के भीतर वहां पूजा कराने की व्यवस्था की जाए. तहखाने में पूजा का अधिकार मिलने के मामले में मुस्लिम पक्ष ने बयान जारी करते हुए कहा कि ASI के रिपोर्ट में कहीं जिक्र नहीं है, हम फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में करेंगे.
शंकराचार्य ने दो दिन पहले ही हिंदुओं की पूजा परंपरा को बताया था आधार,सच होती दिखी बात-
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बता दें,कि ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य स्वामी श्री:अविमुक्तेश्वरानंद: सरस्वती ने ज्ञानवापी में बाबा विश्वनाथ की पूजा परंपरा की बात कही थी। उनका कहना था कि ज्ञानवापी मन्दिर सदियों से हिन्दूओं की आस्था का विषय रहा है,और यह परंपरा रही है कि वहां पूजा बाबा का होता रहा है। शंकराचार्य ने यह बात उस वक्त कही थी जब सोमवार को वे ज्ञानवापी परिक्रमा करने जाने वाले थे और उन्हें वाराणसी की पुलिस ने श्री विद्यामठ में नजर बन्द कर दिया था। स्वामी श्री ने कहा था कि ज्ञानवापी में हिंदुओं का अधिकार है और जो तथ्य मिले हैं या मिल रहे हैं,उसके आधार पर यह अब मान लेना चाहिए कि यहां पर हिंदुओं का ही अधिकार है। और साथ मे यही भी कहा कि अभी जो भी खुदाई शेष है उसमें भी मन्दिर के ही अवशेष मिलेंगे क्योंकि पहले से ही यहां मन्दिर था,और अब कोर्ट ने भी इस बात पर मुहर लगा दी है।
शंकराचार्य ने कहा प्रभु ने दे दी परिक्रमा की अनुमति-
हालांकि,वाराणसी पुलिस ने शंकराचार्य को यह कह कर ज्ञानवापी परिक्रमा करने से मना कर दिया था कि वहां धारा 144 लगी हुई है। इस कानूनी बात को शंकराचार्य ने माना और लिखित रूप से अनुमति प्रदान करने की पेशकश भी किया। लेकिन खबर यह है कि अभी तक उन्हें पुलिस प्रशासन ने परिक्रमा व दर्शन की अनुमति तो नही दी,लेकिन बाबा विश्वनाथ ने अनुमति दे दी है,न्यायालय के माध्यम से यह फैसला सुनाकर। इस फैसले से खुश होकर,शंकराचार्य ने कहा कि,जब हम ज्ञान वापी मन्दिर परिसर में परिक्रमा करने जा रहे थे,तो पुलिस ने हमें रोका जाने नही दिया,अब तो प्रभु ने स्वंय परिक्रमा करने की अनुमति दे दी है। इस फैसले का स्वागत करते हुए सनातनी संघर्ष व अधिकार को मजबूत बताया है और हिंदुओं की आस्था व विश्वास की जीत बताया है।