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कांग्रेस ने फिर कर दी बचकानी हरकत जो खड़ी कर देगी मुश्किल! निक्कर पर छिड़ा दलगत वाकयुध्द, निक्कर वाली पोस्ट पर मचा है बवाल,भाजपा इसे भुनाने को है तैयार

भारत जोड़ो यात्रा में राहुल गांधी साउथ में पैदल यात्रा की तश्वीर उनके वाल से

“भारत जोड़ो यात्रा” की कुछ सुंदर तश्वीरों के साथ भ्रामक तथ्यों के साथ भी पढें यह वैचारिक टिप्पणी। डॉ भोले के अनुसार…

राहुल गांधी की सोशल आधिकारिक ट्वीट से ली गई फ़ोटो

लखनऊ– भारत लोकतंत्र का सुंदर उदाहरण पेश करने वाला लोकतांत्रिक देश है। भारत की असली खूबसूरती गावों में बसती है जहाँ हरियाली है,शुद्ध जल है,स्वच्छ हवा और खुला नीला आसमान है। यहीं से होकर दिल्ली तक का सफर तय होता है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने भी गाँव को भारत की आत्मा व असली भारत बताया है। हालांकि लगातार यह यात्रा सुर्खियां बटोर रहा है,कुछ अच्छी भी तश्वीरें सामने आ रही हैं जो देखने मे तो कम से कम सुकून देती हैं,यदि यही सुकून भरे विचार हैं तब तो और अच्छी बात है। जैसा कांग्रेस ने अपने ट्विटर हैंडल में पोस्ट की है। उसकी नीचे हम लिंक साझा भी कर रहे हैं।

लेकिन और कुछ ऐसे भी पोस्ट हैं जहां दिग्भ्रमित मानसकिता भी दिखती है। उसको भी साझा किया जाना लाजमी होगा।  यदि भारत जोड़ो यात्रा की असली यात्रा निकालनी है तो इन गांवों में ही राहुल को जाना चाहिए,गाँव वालों ने मिलकर उनके हालात जानने चाहिए। सड़कों पर सफेदपोश वालों के साथ कदमताल करने और ट्विटर में निक्कर को जलाने वाले पोस्ट करने से अपने आप मे उड़ती तीर चलाने से कुछ हासिल नही होगा सिवाय नुकसान के।

डिजिटल इंडिया के दौर में बचकानी हरकतों से बचना ही लाभप्रद हो सकता है,न कि उसमें घुसकर अनाप शनाप बोलना व विवादास्पद मटेरियल पोस्ट करना। कांग्रेस देश की गत जमाने की बड़ी राजनीतिक पार्टी रही है। स्वतंत्र भारत का पहला प्रधानमंत्री देने वाली पार्टी और लंबे समय तक सत्तारूढ़ पार्टी भी,फिर भी इतनी सस्ती हरकत कैसे कर सकती है? यह लोगों को भरम में डालती है।

एक तरफ राहुल भारत को जोड़ने निकले हैं।भारत जोड़ो यात्रा पर कदमताल कर रहे हैं और दूसरी तरफ रास्तों में कांटें बोते जा रही है उनकी पार्टी। ऐसे में राहुल की भारत जोड़ो नही बल्कि जन तोड़ो यात्रा होती जा रही है। भारत मे निक्कर वालों की संख्या अधिक है। कांग्रेसी भले ही निक्कर न पहनते हों लेकिन देश के अधिकांश लोग निक्कर जरूर पहनते हैं,उसमे आग लगना कतई उचित नही होगा। कांग्रेस ने ट्विटर हैंडल से एक पोस्ट किया है जिसमे निक्कर में आग लगने को दिखाया गया है। यह देश की जनता के साथ मजाक है और घिनौनी मानसकिता का परिचय भी।

राहुल गांधी को तो इतना पता होना चाहिए कि भारतीय जनता पार्टी गलियों में भी सकारात्मक परिणाम खोजती है। याद होना चाहिए पुराना चुनाव जिसमे गुजरात मे उन्ही की कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता मणिशंकर अय्यर ने मोदी को ‘चायवाला’कहा और कोई और शब्द से संबोधित किया जिसको भाजपा ने संजीवनी शब्द मानकर उसे भुनाया लोगों की भावना के साथ जोड़कर जीत दर्ज कर ली। राहुल खुद “चौकीदार चोर हैं”का नारा दिया जिसमें देश का बड़ा तबका मोदी के साथ हो लिया उसे भी भाजपा ने भावनात्मक रूप से भुना लिया और सत्ता काबिज की। तो ऐसे में जहां भाजपा अपने ऊपर फेंके गए पत्थरों से घर व किला बनाने का काम कर रही हो,निक्कर में आग लगाने वाले पोस्ट कराकर कांग्रेस क्या राहुल को सत्तासीन होने देगी?यह सवाल उसी तरह से लाज़मी है जिस तरह से दूध के साथ सफेदी।

पोस्ट में खाकी का पैंट(निक्कर) पोस्ट किया गया है। महज आरएसएस ऐसा पैंट अपने यूनिफार्म में यूज करती है,लेकिन यह खाकी देश की सुरक्षा से भी जुड़ा है,पुलिस का ड्रेसकोड भी है खाकी और लोगों की अस्मिता भी जुड़ी है निक्कर से। निःसन्देह,यह कांग्रेस के लिए घाटे का पोस्ट हो सकता है। इसे डिलीट कर कांग्रेस को अपनी भूल स्वीकारनी चाहिए और भवनात्मक रूप से लोगों से क्षमायाचना कर उन्हें अपनी मंशा ऐसा न होना बताना चाहिए। राजनीति में सधे हुए कदम रखने की जरूरत है इस वक्त कांग्रेस को,ऐसे नाजुक समय मे जब आप बिल्कुल कम होते जा रहे हैं आपके लोग आपकी पार्टी छोड़ के जा रहे हों उस वक्त को ऐसा कोई कदम न उठाएं जहाँ आपको व आपकी पार्टी को नुकसान उठाना पड़े।

एक तरफ आप “अग्निपथ” को कोसते हैं वहीं दूसरी तरफ ट्वीट कर कहते हैं कि “निकल पड़े हैं अग्निपथ पर लेकर मुहब्बत का पैगाम,सद्भाव,भाईचारे के संग खुशहाल बनाएंगे हिंदुस्तान” । इस पर भी आपकी अग्निपथ पर की गई विपरीत टिप्पणी देखी जाती है। महज अग्निपथ एक चुनौतीपूर्ण शब्द है लेकिन इसी चुनौतीपूर्ण शब्द को सेना भर्ती के लिए एक अभियान व योजना के तहत दिया गया जो देश की सुरक्षा व नौजवानों के लिए था। कुल मिलाकर “भारत जोड़ो यात्रा”खुद अपने आप मे कठिन सफर है।

हमारा मकसद आपके कदम को सचेत करने व सकारात्मकता की ओर उन्मुख करने का है न कि बचकानी हरकतों को बढ़ावा देने का। लेकिन पुरानी राजनीतिक पार्टी की नई विचारधारा को कुंठित न किया जाय बल्कि सहज व सद्भाव के साथ ही कदम बढ़ाया जाय। देश व जनता सब देखती है,विपक्ष पार्टियां एक एक शब्द को माला की तरह पिरोकर मौका आने पर इस्तेमाल करती हैं यह राजनीतिक विसात है राहुल जी,इसका भान होना जरूरी है। आपकी यात्रा में ये सब शब्द व पोस्ट ब्रेकर की तरह काम करेंगे। ऐसा हम नही बल्कि गाँव के सधे हुए कुशल राजनीति के विचारक डॉ भोले(बदला हुआ नाम) का कहना है,अपने नेता के लिए। अन्यथा यहां मोदी व अमित शाह जैसे लोग बैठे हैं आपकी हर विपरीत कोसे गए शब्दों व गालियों से महल कब बना लेंगे आपको पता भी नही चलेगा और नतीजा हासील गए जीरो ही बचेगा। (यह विचार त्वरित लोगों की चर्चा व ट्विटर संवाद की टिप्पणी पर आधारित है,इस लेख व विचार से किसी भी पार्टी की भावना व विरोध से कोई लेना देना नही है ,इसे किसी भी दल की राजनीतिक विरोध की नजर से न देखा जाय).

Khabar Times
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