गुटबाजी में बंटी भाजपा में चेहरे बदलने से मिल सकती है मजबूती
खेमेबाजी की शिकार खाली कुर्सियां हकीकत बयां कर रही हैं दुर्ग भाजपा का दर्द केंद्रीय राज्यमंत्री का है आगमन
दुर्ग- छत्तीसगढ़ में 15 वर्ष तक सत्ता में काबिज भारतीय जनता पार्टी क्षेत्रीय खेमेबाजी की शिकार हो गई। यह बात किसी से छिपी हुई नही है कि कई दिग्गज अपना खेमा बनाकर संगठन को कमजोर कर दिए हैं। भारतीय जनता पार्टी की विगत 15 सालों तक लगातार सरकार राज्य में थी ,रमन सिंह उस सरकार के मुखिया रहे। लेकिन गुटबाजी और घिसेपिटे वही पुराने चेहरों पर पार्टी दांव आजमाती रही जिससे चुनाव में हार का स्वाद चखना पड़ा। लंबे समय तक सत्ता में रही भाजपा पिछला चुनाव हार गई। यह तब और चिंताजनक हो जाता है जब केंद्र में मोदी सरकार की लहर चल रही हो अन्य कांग्रेस शासित राज्यों में मोदी लहर के कारण भाजपा की सरकार बन गई और जहां लंबे अरसे तक सरकार रही हो वहां मोदी लहर में भी सत्ता से बेदखल हो जाना न पचने वाली पार्टी के लिये अतिशयोक्ति हो जाती है। इसकी समीक्षा हुई जिसमें पार्टी के कुछ बड़े चेहरों का ही चेहरा नजर आया। लेकिन संगठन अनुशासन का डंडा चलाने में लचर दिखा। जिसकी बदौलत कांग्रेस का जनाधार व विश्वास लोगों में बढ़ता गया । विकल्प के रूप में अपनी खीज निकालने के लिए जनता ने कांग्रेस को सत्ता में बैठाकर भूपेश बघेल पर भरोसा जताया। भाजपा आज भी जनहित के मुद्दे से भटक कर गुटबाजी का दंश झेल रही है। छत्तीसगढ़ में गाँव गरीब और कल्याणकारी नीतियों से भटक कर नेताओं को खुश करने में लगी यह पार्टी नए कार्यकर्ताओं पर भरोसा नही जता पाई है।
कुर्सी के मोहजाल में फंसे नेता जनता का भरोसा जीतने में कोसों दूर- दुर्ग में सोमवार को आयोजित यह संभागीय गरीब वंचित कल्याककारी योजनाओं का कार्यक्रम जिसमे खाली कुर्सियां पार्टी की सूरतेहाल बयां कर रही हैं। मंच पर मुख्यातिथि केंद्रीय राज्य मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते सहित सारे दिग्गज नेता आसीन हैं,पूर्व मंत्री,राष्ट्रीय नेत्री राज्य सभा सांसद सहित तमाम पूर्व क्षेत्रीय विधायक भी और जिला अध्यक्ष भी मंचस्थ हैं। दुर्ग भिलाई में दो गुट में बटी भाजपा आज इसकी शिकार हो गई।
आठ जिलों के अध्यक्षों ने मिलकर भी नही भर पाए सभा मे लगाई गई कुर्सियां- दुर्ग में आयोजित गरीब वंचित कल्याण जनसभा में हजार भी लोग नही पहुंच पाए। मंच पर भाजपा के लगभग सभी पदाधिकारियों, पूर्व मंत्रियों व विधायकों की उपस्थिति तो जरूर रही लेकिन कुर्सियां खाली रहीं। कार्यकर्ताओं ने लगता है भरोसा खो चुके हैं तभी तो संभागीय कार्यक्रम में कुर्सियां भर नही पाई।