राजनीतिक चाणक्य केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का रायपुर आगमन,किताब विमोचन,एनआईए भवन सहित बैठकों का दौरा.बदलेंगे सियासी समीकरण भी?
रायपुर– यूं नही बन जाता कोई राजनीति का “शाह”.अमित शाह वाकई राजनीति के शाह हैं.और यहां तक पहुंचने के लिए उन्होंने जो भी कार्य किये,रणनीति बनाई वह सभी असामान्य व असाधारण सफल रहीं। 1980 से आरएसए से जुड़ाव कर 82 में मोदी शाह की मुलाकात, गुजरात की राजनीति पटल पर करिश्मा कर दो दशक बाद केंद्र की राजनीति में मील का पत्थर साबित हो रहे राजनीतिक करिश्माई पंडित अमित शाह अब देश के गृहमंत्री बन चुके हैं। कई महत्वपूर्ण राष्ट्रहित में साहसिक फैसले करने का गौरव गृहमंत्री अमित शाह ने अपने नाम अल्पसमय में ही कर लिया है। 27 अगस्त को छत्तीसगढ़ प्रवास पर आ रहे हैं अमित शाह! एक तीर से कई निशाने साधने वाले अमित शाह के आने की हालांकि पूरी तैयारी कर ली गई है।
राजनीति की हारी पारी को भी अपने पक्ष में कर जीत लेने का महारथ हासिल कर राजनीतिक जादूगर बन चुके अमित शाह के राज्य दौरों के मायने सियासी भूचाल के भी हैं। खबर है कि रायपुर में एन आई ए (केंद्रीय जांच एजेंसी) के कार्यालय का उद्घाटन व मोदी@20 ड्रीम मीट डिलीवरी नामक किताब का विमोचन करने आ रहे हैं। बाद में बीजेपी संगठन की बैठक में शामिल भी होंगे। यही रचना शायद छत्तीसगढ़ में 2023 का परिदृश्य बदलने कामयाब होगी।
.राजनीति के “शाह” अमित का जादुई राजनीतिक सफर रहा है करिश्माई- यूं तो मौजूदा केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह राजनीति के कुशल करिश्माई पंडित हैं। गेम चेंजर कहे जाने वाले कुशल राजनीतिक खिलाड़ी अमित शाह विपक्षियों के लिए संकट भी हैं। 2019 पहली बार लोकसभा चुनाव लड़कर बंपर वोटों से जीत हासिल कर नंबर 2 के शक्ति बने अमित शाह ने राष्ट्रीय स्तर पर करिश्माई राष्ट्रहित में अनोखे फैसले लेकर अनुच्छेद 370 और आर्टिकल 35 A को निरस्त करने का प्रस्ताव पेश कर सफलता पूर्वक उसका परिणाम चसिल करने में सफल रहे। अपने राजनीतिक करियर में निजी तौर पर एक भी चुनाव न हारने वाले अमित शाह ने 2019 में पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ा और भाजपा के मार्गदर्शक लालकृष्ण आडवाणी के संसदीय सीट गांधीनगर से इलेक्शन लड़ा और भारी जीत दर्ज की। अमित शाह उस वक्त जोरों से चर्चा में आये जब संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान नागरिकता संशोधन कानून से जुड़े अध्यादेश ने कानून का रूप दिया.इस बार भी देश के बड़े हिस्सों में आंदोलन हुए,राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में सीएए के खिलाफ शाहीनबाग समेत कई इलाकों में विरोध प्रदर्शन हुए. हालांकि, शाह ने इस बार भी कुशलता दिखाई और लोगों को आस्वस्त किया कि इस कानून से किसी की नागरिकता नही जाएगी.बाद में देश के दिल्ली समेत कई हिस्सों व इलाकों में रह रहे दूसरे देश के नागरिकों में खुशी की लहर दौड़ गई और वह अध्यादेश सफल ढंग से पारित हुआ.
जिन राज्यों में चुनाव होता है,शाह खुद वहां जाकर रुकते हैं और प्लान बनाते हैं।इसके साथ ही लोगों को जिम्मेदारी बांटते हैं.कई भाजपा नेताओं का मानना है कि शाह की सफलता का राज इसमे है कि वे,किसी एक टीम पर विश्वास न कर,बल्कि वह अलग अलग लोगों को जिम्मेदारी देना पसंद करते हैं।ताकि सभी मे संगठन को आगे ले जाने का भाव बना रहे।
राजनीति व राजनीतिक मामलों के लिए शाह को उनकी पार्टी के कार्यकर्ता व प्रसंशक उन्हें चाणक्य कहते हैं। उनके लिये उल्लेखनीय यह है कि,विपक्षी सत्तारूढ़ पार्टी को भी तोड़कर भाजपा की सरकार बनाने में कब जोड़तोड़ कर दें कोई नही जानता,यह उनकी कौशल व रणनीति का हिस्सा है।
छत्तीसगढ़ में भी दिख सकती है हलचल – 27 अगस्त को रायपुर में अमित शाह बीजेपी संगठन की भी बैठक लेंगे और संगठन के कार्यों की समीक्षा भी कर सकते हैं। चुनिंदा कार्यकर्ताओं को आगे की रणनीति पर टिप्स भी देने की चर्चा है। चर्चा इस बात की भी है कि कई कांग्रेसी बड़े चेहरे सियासी बदलाव को लेकर उनसे मुलाकात भी कर सकते हैं। राजनीति अवसर व संभावनाओं का गणित है,कभी भी कुछ भी हो सकता है,और अमित शाह इसी अवसर को फायदों में बदलने के मंझे खिलाड़ी हैं। 2023 में छत्तीसगढ़ में होने वाले विधानसभा चुनाव में एन केन प्रकारेण बाजी भाजपा के पक्ष में करने कोई कसर नही छोड़ेंगे अमित शाह,ऐसा राजनीतिक जानकर व विश्लेषकों का मानना है। हालांकि, खबर है कि राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पहले से ही अपने निवास में खिदमत रखने का न्योता दे दिया है। ताकि कुछ तो गुंजाइश बची रहे। तीजा त्योहार की सांस्कृतिक सभ्यता दिखाने का ही अवसर व बहाना क्यों न हो,लेकिन अटकलें तो उसी ओर सियासत की तरफ ही हैं।
भूपेश बघेल भी हैं राजनीति के धुरंधर-हालांकि छत्तीसगढ़ के मौजूदा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी राजनीति के कुशल व चालाक कांग्रेसी सिपाही हैं। राज्य में 15 साल तक भाजपा की सरकार को एक ही झटके में उखाड़ फेंकने का महारथ हासिल करने का खिताब भी उन्हें मिला हुआ है। कई थपेड़ों के वावजूद भी छत्तीसगढ़ में अपना वर्चस्व कायम किये हुए बघेल को हटाना भी भाजपा के लिए अभी थोड़ा मुश्किल काम हो सकता है। भले ही जय भीरू की जोड़ी में जय उलटी चाल में हों परन्तु भीरू की निडरता और कार्य कुशलता छत्तीसगढियों में लोकप्रिय है। राज्य की लोकपरंपराओं के साथ ही आदिवासियों में गहरी छाप है भूपेश की। भाजपा को अपना घर मजबूत करने की अभी सख्त जरूरत है। भूपेश बघेल कांग्रेस पार्टी में शीर्ष नेतृत्व की नजर में भी संकट मोचक की भूमिका में देखे जाते हैं। ऐसे में गृहमंत्री अमित शाह कैसी रणनीति अपनाते हैं यह भी देखने वाली बात होगी। हालांकि बतौर केंद्रीय गृह मंत्री को राज्य के मुखिया का आमंत्रण स्वीकार कर आना महज एक औपचारिकता भो होगी। परन्तु,सियासी मायने भी तो होंगे। हालांकि,प्रदेश की राजनीति गरमा गई है।भाजपा इस वक्त जोरशोर से सत्तारूढ़ होने जद्दोजहद में लगी है,चुनाव अभी कई महीनों बाद होने हैं,पर सियासी पारा गर्म है। मोदी,अमित शाह,जेपी नड्डा की तिगड़ी की सिगड़ी में कैसी राजनीतिक रोटियां सेंकी जायेगीं यह तो भविष्य की गर्भ में है,परन्तु भूपेश बघेल की राजनीतिक परख का लौहदण्ड भी मजबूत है।
आज दोपहर 2 बजे से रात 7 बजे तक रायपुर में रहेंगे अमित शाह।