देशस्वास्थ्य

लगभग 19 करोड़ देशवासी भूखे पेट सोने को मजबूर

14 अरब अमेरिकी डॉलर से ज्यादा होती है अन्न की बर्बादी

खबर ब्यूरो –  हरि इतना दीजिये जामें कुटुंब समाय, मैं भी भूखा न रहूं,साधु न भूखा जाय। जिस भारत देश मे यह संस्कृति व परंम्परा प्रवाहमान होती रहे उस देश मे यदि कोई भूख से पीड़ित भी होता है तो पाप व जघन्य अपराध है। हमारे देश में वसुधैव कुटुंबकम की लोककल्याणकारी भावना पलती है। परंतु आज इसकी कमी निज स्वार्थपरता एवं दिखावे के चक्कर मे किसी के पास प्रभाव है तो किसी के पास अभाव।

हर रात लाखों लोग भूखे सोते हैं। जबकि हमारे देश मे भारी तादाद में अन्न की बर्बादी होती है। यदि आंकड़ों की बात करें तो साल 2015 की रिपोर्ट के अनुसार भारत मे कुल उत्पादन भोजन में से 40 प्रतिशत बर्बाद हो जाता है इस बर्बादी की कुल कीमत 14 अरब अमेरिकी डॉलर से ज्यादा है।

देश मे सबसे ज्यादा बर्बाद होने वाले खाद्य पदार्थों में फल – सब्जियां और दाल भी शामिल है,जबकि अनाज की हिस्सेदारी 4.7 से 6 प्रतिशत के बीच है। भारत मे करीब 22.5 से  23 करोड़ आबादी ऐसी है,जिसे अन्न मुहैया कराया जाना जरूरी है। इनमें से करीब 19.4 करोड़ लोग भूखे पेट सोते हैं।

भूख से मौतों का कारण- भूख से मौतों का मुख्य कारण गरीबी और बेरोजगारी है,जिससे व्यक्ति पोषक तत्वों से वंचित रह जाता है। भारत मे अनाज गोदाम भरे हैं,भंडारण की क्षमता से अधिक होने के कारण खाद्यान्न को खुले में रख दिया जाता है। दूसरी तरफ देश मे लाखों लोग भूख से दम तोड़ रहे हैं। देश मे कहीं भोजन फेंका जा रहा है,कहीं जानवर खा रहे हैं और कहीं भूखे इंसान बिलबिला रहे हैं। इस अधिकता व अभाव के कारण ही असमानता की लकीर भूख से दम तोड़ने मजबूर करती है। 

यह सरकारी तंत्र की घोर लापरवाही है। प्रशासनिक अमला इतना निकम्मापन व लापरवाह है कि गरीब जरूरतमंद तक अनाज पहुंचाने में उसे कोई दिलचस्पी नही है। तभी तो इतनी योजनाएं चलाये जाने के बावजूद भी हंगर इंडेक्स में हम स्थान बनाये हुए हैं। शासन प्रशासन की उदासीनता के कारण भी लाख भूखे सो रहे हैं। एक कारण यह भी है कि अनाज उत्पादन के साथ जनता की खरीद क्षमता को बढ़ाना भी आवश्यक है। क्योंकि बेरोजगारी और गरीबी समस्या बनी हुई है।

जब तक देश मे खाद्य उत्पादन के साथ साथ खाद्य वितरण और खाद्य खरीदने की क्षमता पर रणनीति पूर्वक कार्य नही किया जाएगा,भूख से मौते होती रहेंगी। मानवीय संवेदनाओं व जिम्मेदारी भी कुछ सहायक हो सकती है। लोग अन्न फेकने की बजाय जरूरतमंदों को वितरण कर मानव सेवा कर सकते हैं। कुछ मानवीय संस्थाओं को भी आगे आना चाहिए जिसके चलते अनाज व भोजन का वितरण कर लोगों को भूखे पेट सोने से बचाया जा सकता है।

 

 

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